प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि नोटबंदी (Demonetisation) के बाद हुई मौतों के बारे में उसके पास कोई ‘सूचना' नहीं है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ नवम्बर 2016 को नोटबंदी (Demonetisation) की घोषणा की थी. पीएमओ में मुख्य जनसूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष यह दावा किया. केंद्रीय सूचना आयोग एक आरटीआई आवेदक की याचिका पर मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसे आवेदन देने के बाद आवश्यक 30 दिनों के अंदर सूचना मुहैया नहीं कराई गई थी. तत्कालीन वित्त मंत्री अरूण जेटली ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में 18 दिसम्बर 2018 को कहा था कि उपलब्ध सूचना के मुताबिक नोटबंदी के दौरान भारतीय स्टेट बैंक के तीन अधिकारी और इसके एक ग्राहक की मौत हो गई थी. बताया जाता है कि नोटबंदी से जुड़ी मौत पर सरकार की यह पहली स्वीकारोक्ति थी. देश भर से नोटबंदी से जुड़े मामलों में लोगों की मौत की खबर आई थी.
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नीरज शर्मा ने पीएमओ में आरटीआई आवेदन देकर जानना चाहा कि नोटबंदी के बाद कितने लोगों की मौत हुई थी और उन्होंने मृतकों की सूची मांगी थी. पीएमओ से निर्धारित 30 दिनों के अंदर जवाब नहीं मिलने पर शर्मा ने सीआईसी का दरवाजा खटखटाकर अधिकारी पर जुर्माना लगाए जाने की मांग की. सुनवाई के दौरान पीएमओ के सीपीआईओ ने आवेदन का जवाब देने में विलंब के लिए बिना शर्त माफी मांगी. उन्होंने कहा कि शर्मा ने जो सूचना मांगी है वह आरटीआई कानून की धारा 2 (एफ) के तहत ‘सूचना' की परिभाषा में नहीं आती है.
सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने कहा, ‘दोनों पक्षों की सुनवाई करने और रिकॉर्ड देखने के बाद आयोग ने पाया कि शिकायतकर्ता ने आरटीआई आवेदन 28 अक्टूबर 2017 को दिया था और उसी दिन वह जवाब देने वाले अधिकारी को मिल गया था. बहरहाल, सीपीआईओ ने सात फरवरी 2018 को उन्हें जवाब दिया. इस प्रकार जवाब दिए जाने में करीब दो महीने का विलंब हो गया.' बहरहाल, उन्होंने कोई जुर्माना नहीं लगाया.
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