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This Article is From Oct 11, 2022

दिल्ली दंगों के दौरान सुर्खियां बटोरने वाले जज का ट्रांसफर अटका, पेंडिंग है फाइल

जस्टिस जसवंत सिंह और जस्टिस एस मुरलीधर दोनो ही वर्तमान में उड़ीसा हाईकोर्ट में है. जस्टिस एस मुरलीधर जहां उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं. वहीं, जस्टिस जसवंत सिंह सीनियर मोस्ट जज है. जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले की सिफारिश को मंजूरी नहीं मिलने से उड़ीसा सीजे का पद भी रिक्त नही होता है.

दिल्ली दंगों के दौरान सुर्खियां बटोरने वाले जज का ट्रांसफर अटका, पेंडिंग है फाइल

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium)ने मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पद के लिए जस्टिस एस. मुरलीधर (Justice S Muralidhar) के नाम की सिफारिश की थी. लेकिन, अभी तक केंद्र ने इसकी मंजूरी नहीं दी है. जस्टिस एस मुरलीधर की सिफारिश को फिलहाल पेंडिंग रखा गया है. सरकार ने आज 28 सितंबर को एक प्रस्ताव के माध्यम से कॉलेजियम द्वारा स्थानांतरण के लिए सुझाए गए अन्य नामों को मंजूरी दे दी. इसके तहत जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मिथल जल्द ही राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालेंगे. लेकिन जस्टिस मुरलीधर के बारे में अभी कुछ तय नहीं किया गया है.

जस्टिस जसवंत सिंह और जस्टिस एस मुरलीधर दोनो ही वर्तमान में उड़ीसा हाईकोर्ट में है. जस्टिस एस मुरलीधर जहां उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं. वहीं, जस्टिस जसवंत सिंह सीनियर मोस्ट जज है. जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले की सिफारिश को मंजूरी नहीं मिलने से उड़ीसा सीजे का पद भी रिक्त नही होता है. ऐसे में जस्टिस जसवंत सिंह की नियुक्ति भी नहीं हो पाएगी. केंद्र सरकार द्वारा दोनों जजों के नाम पेंडिंग रखे जाने पर कानून मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सरकार न तो जस्टिस मुरलीधर को मद्रास भेजने के पक्ष में है और न ही जस्टिस जसवंत सिंह को उड़ीसा सीजे के तौर पर नियुक्ति देने के पक्ष में है.

देशभर में हाईकोर्ट जजों की वरिष्ठता के अनुसार, जस्टिस एस मुरलीधर सबसे वरिष्ठ जज हैं. दिल्ली हाईकोर्ट में उन्हें 29 मई 2006 को बार कोटे से जज नियुक्त किया गया था. कहा तो ये भी जा रहा है सुप्रीम कोर्ट जाने का इंतजार कर रहे जस्टिस एस मुरलीधर ने मद्रास जाने के प्रति कोई आकर्षण नहीं दिखाया. हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश के तौर पर उनके पास करीब एक वर्ष का कार्यकाल शेष है, वे अगले वर्ष 7 अगस्त को सेवानिवृत होंगे.  

उड़ीसा हाईकोर्ट वर्तमान में जजों के स्वीकृत 33 पदों पर 23 कार्यरत जजो की संख्या के साथ कार्य कर रहा है. ऐसे में जल्द ही उड़ीसा हाईकोर्ट में रिक्त 10 पदों के लिए कॉलेजियम की बैठक करनी होगी. जस्टिस एस मुरलीधर उड़ीसा सीजे बने रहते हैं, तो यह बैठक उनकी अध्यक्षता में आयोजित होगी. बहरहाल केंद्र सरकार के अगले कदम का इंतजार किया जा है कि क्या वह दोनों जजों के नाम की सिफारिश को मंजूरी देता है या फिलहाल पेंडिंग रखता है. 

28 सितंबर की बैठक द्वारा जारी किए गए तीसरे स्टेटमेंट के अनुसार उड़ीसा, कर्नाटक और जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के लिए नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की सिफारिश की गयी. इसके लिए उड़ीसा हाईकोर्ट के सीनियर मोस्ट जज जस्टिस जसवंत सिंह को उड़ीसा सीजे, बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस पी बी वराले को कर्नाटक सीजे और जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस अली मोहम्मद मागरे को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट सीजे के पद पर नियुक्ति की सिफारिश की गयी थी.

केंद्र सरकार ने तीन नए मुख्य न्यायाधीश के लिए की गयी सिफारिश में से जस्टिस पी बी वराले और जस्टिस अली मोहम्मद मागरे की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है, लेकिन मूल पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के जज जस्टिस जसवंत सिंह को उड़ीसा सीजे बनाए जाने की सिफारिश को फिलहाल पेंडिंग रखा है.

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