सरकार के थिंकटैंक नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने आज 2016 के नोटबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एनडीटीवी से बात की. राजीव कुमार ने कहा कि नोटबंदी का परिणाम "काफी मिलाजुला" रहा." क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा आज भी नकदी पर चल रहा है. काले धन जैसे मुद्दे पर मुझे नहीं लगता है कि हमें वैसी सफलता मिली. गौरतलब है कि नवंबर 2016 में नोटबंदी की घोषणा करते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि यह प्रतिबंध काले धन पर अंकुश लगाने की एक बड़ी योजना का हिस्सा था और इससे आतंकवाद को कंट्रोल करने में भी सफलता मिलेगी.
लेकिन छह साल बाद प्रचलन में नकली नोटों की मात्रा 2016 से कहीं अधिक है. वित्त मंत्रालय ने संसद को बताया है कि इस साल मार्च में कुल मुद्रा का मूल्य मार्च 2016 के 16,41,571 करोड़ रुपये की तुलना में 89% बढ़कर 31,05,721 करोड़ रुपये हो गया है.
मंत्रालय द्वारा लोकसभा में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, प्रचलन में नोटों की संख्या के संदर्भ में मुद्रा की मात्रा मार्च, 2022 में 44 प्रतिशत बढ़कर 1,30,533 मिलियन हो गई.इस बीच, डिजिटल भुगतान का मूल्य 2016 में 6,952 करोड़ रुपये से बढ़कर अक्टूबर 2022 में 12 लाख करोड़ रुपये हो गया.
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत के बहुमत के फैसले ने आज कहा कि सरकार के पास सभी श्रृंखलाओं के बैंक नोटों को विमुद्रीकृत करने की शक्ति है और 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये मूल्यवर्ग के नोटों पर प्रतिबंध लगाते समय उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था. अदालत ने कहा कि निर्णय आनुपातिकता की कसौटी पर खरा उतरता है - मतलब यह काले धन और नकली मुद्रा को जड़ से खत्म करने का एक उचित तरीका है. न्यायाधीशों ने कहा कि नोट बदलने के लिए दिया गया 52 दिन का समय अनुचित नहीं था.
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