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निठारी हत्याकांड: सुरेंद्र कोली की क्यूरेटिव याचिका पर फैसला सुरक्षित, जानें सुप्रीम कोर्ट के जजों ने क्या कहा

सुरेंद्र कोली की उम्रकैद की सजा के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी है. अब उसने सुप्रीम कोर्ट मे क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर उम्रकैद की सजा को चुनौती दी है.

निठारी हत्याकांड: सुरेंद्र कोली की क्यूरेटिव याचिका पर फैसला सुरक्षित, जानें सुप्रीम कोर्ट के जजों ने क्या कहा
निठारी केस में दोषी सुरेन्द्र कोली की क्यूरेटिव याचिका पर फैसला सुरक्षित
  • सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड में दोषी सुरेन्द्र कोली की क्यूरेटिव याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.
  • CJI बी आर गवई, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणियां कीं.
  • सुरेन्द्र कोली को 13 में से 12 मामलों में बरी किया गया था, जबकि एक मामले में उम्रकैद की सजा मिली थी.
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निठारी हत्याकांड से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी सुरेन्द्र कोली का क्यूरेटिव याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. ये फैसला तीन जजों की बेंच ने सुरक्षित रखा है. अदालत हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पर फैसला करेगी. CJI बी आर गवई, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणियां की हैं.

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तीन जजों की बेंच ने क्या कहा?
 

  • CJI गवई ने कहा कि ये मामला एक मिनट में अनुमति देने वाला है.
  • बाकी मामलों में बरी होने के बाद भी अगर इस मामले में उसे दोषी ठहराया जाए तो एक अजीब स्थिति पैदा हो जाएगी.
  •  क्या यह न्याय का उपहास नहीं होगा?
  •  जस्टिस विक्रम नाथ ने भी कहा दोषसिद्धि  बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी पर आधारित है. 
  •  क्या यह संभव है कि रसोई के चाकू से हड्डियां काटी जाएं. 
  • सुरेंद्र कोली 12 मामलों मे बरी हो चुका है, लेकिन एक मामले में उसे उम्रकैद की सजा मिली है. 

क्यूरेटिव पिटीशन पर फैसला सुरक्षित

 सुरेंद्र कोली की उम्रकैद की सजा के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी है. अब उसने सुप्रीम कोर्ट मे क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर उम्रकैद की सजा को चुनौती दी है. कोली पर 2005 और 2007 के बीच हुए इस चौंकाने वाले अपराध में बलात्कार और हत्या के 13 मामले थे, लेकिन  12 मामलों में वो बरी हो हो चुका है. एक मामले में 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा पर मुहर लगाई थी. 

निठारी कांड के बारे में जानें

बता दें कि निठारी केस की शुरुआत 7 मई 2006 को हुई थी, जब एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था. जिसके बाद वह युवती वापस घर नहीं लौटी. उसके पिता ने नोएडा के सेक्टर-20 थाने में बेटी की गुमशुदगी का केस दर्ज कराया था.इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे.

पुलिस ने बाद में  मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार कर लिया था. बाद में निठारी कांड से संबंधित सभी मामले सीबीआई को ट्रांसफर कर दिए गए. जुलाई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के कोली और पंढेर को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था. 
 

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