- नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित करने के लिए CBI और ED की टीम अगले सप्ताह लंदन जाकर अदालत में पक्ष रखेगी
- भारत सरकार ने यूके को लिखित भरोसा दिया है कि नीरव मोदी को भारत में कानूनी प्रक्रिया का सामना करना होगा
- नीरव मोदी पर पीएनबी में फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग बनवाकर करोड़ों रुपये विदेश भेजने का आरोप है
नीरव मोदी को भारत लाने की कोशिशों को तेज हो गई हैं. भारत की बड़ी जांच एजेंसियां, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) प्रत्यर्पण संबंधी मामले की सुनवाई में शामिल के लिए अगले हफ्ते लंदन जा रही हैं. एजेंसियों का दौरा इसलिए अहम है क्योंकि नीरव मोदी ने ब्रिटेन की अदालत में यह दावा किया है कि अगर उसे भारत भेजा गया तो उसके साथ 'प्रताड़ना या गलत व्यवहार' हो सकता है. वहां CBI और ED की टीम अदालत में नीरव मोदी के इस दावे का जवाब देंगी.
भारत सरकार का भरोसा
भारत सरकार पहले ही यूनाइटेड किंगडम को लिखित भरोसा दे चुकी है. इस लेटर में कहा गया है कि नीरव मोदी को भारत लाए जाने के बाद उसे सिर्फ अदालत की कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा. कोई भी एजेंसी उसे परेशान नहीं करेगी.
कब होगी सुनवाई?
भारतीय टीम 14 दिसंबर से लंदन में मौजूद रहेगी. इस मामले की यह बड़ी सुनवाई 16 दिसंबर को होने की उम्मीद है. यह सुनवाई बहुत अहम है क्योंकि इसी में यह तय हो सकता है कि नीरव मोदी की अंतिम अपील मंजूर होती है या वह भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा.
क्या हैं नीरव मोदी पर आरोप?
नीरव मोदी पर आरोप है कि उसने पीएनबी में फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) बनवाकर देश से बड़ी रकम विदेश भेजी. उसकी कंपनियों के जरिए यह रकम बाहर गई और बाद में वह खुद देश छोड़कर भाग गया.
कानूनी दांव-पेच
सीबीआई और ईडी का कहना है कि नीरव मोदी लगातार कानूनी पेचिदगियों का इस्तेमाल करके प्रत्यर्पण में देरी कर रहा है. वह मार्च 2019 से लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है. हालांकि, यूके की अदालत पहले ही उसके भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे चुकी है. नीरव मोदी ने इसके खिलाफ कई अपीलें दायर की हैं. 16 दिसंबर की सुनवाई उन्हीं अपीलों का एक अहम हिस्सा है.
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