
केंद्रीय कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में मोदी सरकार ने देश में जाति जनगणना (Caste Census) करवाने का फैसला लिया है. विपक्षी दलों की तरफ से लंबे समय से इसकी मांग की जा रही थी. कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार सरकार पर इसे लेकर हमलावर थे. बताते चलें कि भारत में जाति जनगणना की मांग काफी पुरानी रही है. बिहार चुनाव से पहले इसे मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है. बिहार में महागठबंधन के सरकार के दौरान नीतीश कुमार के कैबिनेट जातिगत सर्वे करवाया था. जिसके बाद से देश भर में इसे करवाने की मांग हो रही थी.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सामाजिक ताने-बाने को ध्यान में रखकर संविधान में स्पष्ट व्यवस्था के मद्देनजर ये फैसला लिया गया है. केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि 1947 से जाति जनगणना नहीं की गई. मनमोहन सिंह ने जाति जनगणना की बात कही थी. कांग्रेस ने जाति जनगणना की बात को केवल अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया है.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के बयान की महत्वपूर्ण बातें
- कांग्रेस की सरकारों ने आज तक जाति जनगणना का विरोध किया था
- 1947 से आज तक जातियों की जनगणना नहीं की गई थी.
- 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जाति जनगणना का आश्वासन दिया था.
#WATCH दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।" pic.twitter.com/VFD4uxXASQ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 30, 2025
यह लालू जी की जीत है: तेजस्वी यादव
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने जाति जनगणना करवाने के सरकार के फैसले को अपनी पार्टी की जीत करार दिया है. उन्होंने कहा कि यह लालू प्रसाद यादव की जीत है. तेजस्वी ने कहा कि जाति जनगणना के डेटा के बाद पिछड़ों और अतिपिछड़ों के लिए संसद और विधानसभा में सीटें आरक्षित करनी होंगी. यह उनकी पार्टी की अगली लड़ाई होगी.
प्रधानमंत्री को बहुत-बहुत धन्यवाद: नित्यानंद राय
केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने 'X' पर लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने फैसला किया है कि आगामी जनगणना में जाति गणना को भी शामिल किया जाना चाहिए. यह दर्शाता है कि वर्तमान सरकार देश और समाज के सर्वांगीण विकास और मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध है. अतीत में भी जब समाज के गरीब वर्गों को 10% आरक्षण प्रदान किया गया था, तो इसे समाज में व्यापक रूप से स्वीकार किया गया था और कोई सामाजिक तनाव पैदा नहीं हुआ था. प्रधानमंत्री को बहुत-बहुत धन्यवाद.
लालू यादव ने क्या कहा?
लालू यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि मेरे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते दिल्ली में हमारी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने 1996-97 में कैबिनेट से 2001 की जनगणना में जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था जिस पर बाद में NDA की वाजपेयी सरकार ने अमल नहीं किया.
2011 की जनगणना में फिर जातिगत गणना के लिए हमने संसद में जोरदार मांग उठाई. मैंने मुलायम सिंह जी, शरद यादव जी ने इस मांग को लेकर कई दिन संसद ठप किया और बाद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी के सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कराने के आश्वासन के बाद ही संसद चलने दिया. देश में सर्वप्रथम जातिगत सर्वे भी हमारी 17 महीने की महागठबंधन सरकार में बिहार में ही हुआ.
जिसे हम समाजवादी जैसे आरक्षण, जातिगणना, समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि 30 साल पहले सोचते है उसे दूसरे लोग दशकों बाद फॉलो करते है. जातिगत जनगणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला. अभी बहुत कुछ बाक़ी है. हम इन संघियों को हमारे एजेंडा पर नचाते रहेंगे.
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