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This Article is From Jun 07, 2021

सबसे सस्ती होगी नई देशी Corbevax वैक्सीन ! दूसरे टीके से किस मायने में है अलग? कैसे करती है काम? 

New Corbevax Vaccine: यह पहली बार है जब भारत सरकार ने ऐसी वैक्सीन की खरीद का आदेश दिया है जिसे आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी अभी तक नहीं मिली है. अपने ऑर्डर को पूरा करने के लिए सरकार ने फार्मा कंपनी बायोलॉजिकल ई को 1,500 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया है.

सबसे सस्ती होगी नई देशी Corbevax वैक्सीन ! दूसरे टीके से किस मायने में है अलग? कैसे करती है काम? 
अधिकांश अन्य कोविड-19 वैक्सीन की ही तरह Corbevax भी दो खुराक वाली वैक्सीन है.
नई दिल्ली:

New Corbevax Vaccine: हैदराबाद (Hyderabad) स्थित फार्मा कंपनी बायोलॉजिकल ई (Biological E) एक नए तरह का कोरोना वायरस (Coronavirus) वैक्सीन Corbevax का ट्रायल कर रही है. केंद्र सरकार ने बायोलॉजिकल ई से Corbevax की 30 करोड़ खुराक खरीदने का एडवांस ऑर्डर दिया है.  माना जा रहा है कि यह सबसे सस्ती वैक्सीन होगी जिसकी एक खुराक की कीमत सिर्फ 50 रुपये होगी. इसी रेट पर सरकार ने 30 करोड़ डोज का ऑर्डर किया है. 

बाजार में Corbevax की दोनों खुराक की कीमत 400 रुपये तक रखी जा सकती है. अगर ऐसा हुआ तो यह दुनिया की सबसे सस्ती वैक्सीन होगी. फिलहाल यह वैक्सीन ट्रायल के तीसरे चरण में है. उम्मीद है कि अगस्त से कंपनी हर महीने साढ़े सात करोड़ डोज प्रति माह तैयार करेगी.

Corbevax टीका कैसे करती है काम?
यह एक  'रीकॉम्बिनेंट प्रोटीन सबयूनिट' वैक्‍सीन है. इसका अर्थ है कि यह SARS-CoV-2 के एक विशिष्ट भाग (जो वायरस की सतह पर पाया जाता) स्पाइक प्रोटीन से बना है. स्पाइक प्रोटीन वायरस को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने की अनुमति देता है ताकि यह दोबारा बीमारी का कारण बन सके.

हालांकि, जब यह प्रोटीन अकेले शरीर में दिया जाता है, तब इसके हानिकारक होने की उम्मीद नहीं होती है क्योंकि बाकी वायरस अनुपस्थित होते हैं. इंजेक्शन द्वारा दिए गए स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ शरीर में एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (इम्यून सिस्टम) विकसित होने की उम्मीद रहती है. इसलिए, जब असली वायरस शरीर को संक्रमित करने का प्रयास करता है, तो उसके पास पहले से ही एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया तैयार होती है जिससे व्यक्ति के गंभीर रूप से बीमार पड़ने की संभावना नहीं होती है.

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पहले भी हुआ इस तकनीक का इस्तेमाल
हालांकि इस तकनीक का इस्तेमाल दशकों से हेपेटाइटिस बी के टीके बनाने के लिए किया जा रहा है. Corbevax इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाले पहले कोविड -19 टीकों में से एक होगा. नोवावैक्स (Novavax) ने भी एक प्रोटीन-आधारित टीका विकसित किया है, जो अभी भी विभिन्न नियामकों से आपातकालीन उपयोग की इजाजत मिलने का इंतजार कर रहा है.

Corbevax दूसरे टीकों से किस मायने में अलग?
अब तक स्वीकृत अन्य कोविड -19 वैक्सीन या तो mRNA वैक्सीन (फाइजर और मॉडर्न), हैं या वायरल वेक्टर वैक्सीन (एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड / कोविशील्ड, जॉनसन एंड जॉनसन और स्पुतनिक वी) या फिर निष्क्रिय टीके (कोवैक्सिन, सिनोवैक-कोरोनावैक और सिनोफार्म के SARS-CoV- 2 वैक्सीन-वेरो सेल) हैं लेकिन Corbevax प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है जो बीमारी देने वाले वायरस के स्पाइक प्रोटीन से बनी है, ताकि इम्यून सिस्टम उसे पहचान ले.

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अधिकांश अन्य कोविड-19 वैक्सीन की ही तरह Corbevax भी दो खुराक वाली वैक्सीन है. चूंकि इसे कम लागत वाले प्लेटफॉर्म का उपयोग करके बनाया गया है, इसलिए यह देश में उपलब्ध वैक्सीन में सबसे सस्ते होने की उम्मीद है. Corbevax को स्‍टोर करना बेहद आसान है. इसे सामान्‍य रेफ्रिजरेटर में रखा जा सकता है. भारत के लिहाज से यह बेहद अहम है.

यह भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
यह पहली बार है जब भारत सरकार ने ऐसी वैक्सीन की खरीद का आदेश दिया है जिसे आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी अभी तक नहीं मिली है. अपने ऑर्डर को पूरा करने के लिए सरकार ने फार्मा कंपनी बायोलॉजिकल ई को 1,500 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया है. 30 करोड़ खुराक से 15 करोड़ भारतीय नागरिकों का टीकाकरण किया जा सकता है. 

केंद्र सरकार ने इस वैक्सीन के डेवलपमेंट में  प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल परीक्षण सहायता भी मुहैया कराई है. इसके अलावा जैव प्रौद्योगिकी विभाग से 100 करोड़ रुपये की सहायता अनुदान भी शामिल है. केंद्र द्वारा इतना बड़ा ऑर्डर देने की एक बड़ी वजह वैक्सीन की आपूर्ति बढ़ाने में हो रही मुश्किलें भी हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने भी फाइजर, एस्ट्राजेनेका और मॉडर्न जैसे टीकों में अग्रिम भुगतान और जोखिमभरे निवेश किए थे, लेकिन भारत ने सीमित ऑर्डर देने से पहले अपने पहले दो टीकों को मंजूरी मिलने तक इंतजार किया था.

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