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अद्भुत पल... मां ने जब CJI बने बेटे गवई को शीश झुकाकर किया नमस्कार

कमल ताई गवई बताती हैं कि अगर कभी भूषण को घर में कोई मिलेगा, तो हैरान रह जाएगा. वह बहुत डाउन-टू-अर्थ है. घर पर लगता ही नहीं कि वह इतना बड़ा जज है.

न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा...

नई दिल्‍ली:

भारत के मुख्‍य न्यायाधीश (CJI) की शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने जब अपनी मां कमल ताई गवई के पैर छुए, तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. ये एक अद्भुत पल था, जब सीजेआई बने गवई ने मां के पैर छुए और मां ने न्‍याय के सर्वोच्‍च पद पर बैठे बेटे को सिर झुकाकर नमस्‍कार किया. इस तरह उन्‍होंने मां के फर्ज के साथ-साथ पद की गरिमा का सम्‍मान किया.

राष्‍ट्रपति भवन में हुए सीजेआई के शपथ ग्रहण समारोह में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई अपनी मां के साथ पहुंचे थे. जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की मां कमल ताई गवई सफेद साड़ी में समारोह हॉल में पहली पंक्ति में बैठी थीं. उनके चेहरे पर गर्व के भाव साफ नजर आ रहे थे. उनका बेटा भारत का मुख्‍य न्‍यायाधीश बनने जा रहा था. 

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मां उस अहसास को शब्‍दों में बयां नहीं कर सकती, जब उसका बेटा कोई उपलब्धि हासिल करता है, तो उसे कैसे महससू होता है. वह सिर्फ अपने बेटे के सिर पर हाथ रखती है और उसे गले से लगा लेती है. कमल ताई गवई ने भी ऐसा ही किया. सीजेआई बन जब बेटा पैरे छूने आया और उन्‍होंने सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया. लेकिन अगले ही पल CJI के पद की गरिमा को ध्‍यान में रखते हुए मां ने हाथ जोड़ लिये. बेटे सीजेआई को हाथ जोड़ और सिर झुकाकर नमस्‍कार किया. ये अद्भुत पल था.

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बेटे के सीजेआई के रूप में शपथ लेने से पहले एनडीटीवी से एक खास बातचीत में कमल ताई गवई ने बताया कि मेरे बेटे बेहद साफ दिल का है. वह दिल में जो होगा, वही करेगा. न्याय के रास्ते में उसे कोई नहीं झुका सकता है. इसलिए वह एक अच्‍छा सीजेआई साबित होगा. वैसे भी वह एक डेयरडेविल  है. उसके पिछले फैसले उठा कर देख लीजिए. वह न्‍याय के रास्‍ते पर चलते ही बिल्‍कुल भी घबराता नहीं है. 

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कमल ताई गवई बताती हैं कि अगर कभी भूषण को घर में कोई मिलेगा, तो हैरान रह जाएगा. वह बहुत डाउन-टू-अर्थ है. घर पर लगता ही नहीं कि वह इतना बड़ा जज है. आज भी अगर घर में वो अकेले होता है, तो मेहमान को खुद से पानी लेकर देता है. इसमें उसे कोई शर्म महसूस नहीं होती है. वह हमेशा कहता है कि जब कुर्सी पर होता हूं, तब जज हूं... नहीं तो आम आदमी. 

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सीजेआई की मां बताती हैं कि सेवा की भावना उसने अपने पिता से सीखी है. जब पिताजी के साथ मुंबई में सामाजिक कार्यकर्ता की तरह काम करता था, उस वक़्त जमीन पर चादर बिछाकर भी सोता था. मुझे यकीन वो देश के लोगों को इंसाफ देगा.  

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