भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने और रोकने के लिए सोमवार को एक समझौते पर सहमति हुई है. इस समझौते के तहत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC पर दोनों देशों के सैनिक पीछे हटेंगे. इसके साथ ही LAC पर दोबारा पेट्रोलिंग शुरू की जा सकेगी. सवाल उठता है कि चीन की चालबाजियों और हाल के दावों के बीच आखिर ये सहमति कैसे बनी? विदेश मंत्री एस जयशंकर ने NDTV World Summit 2024 में इसका जवाब दिया है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "चीन के साथ धैर्य की रणनीति से के कारण ये कामयाबी मिली है. हम सितंबर 2020 से बातचीत कर रहे हैं. उस समय मॉस्को में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बाद मुझे लगा था कि हम शांति और 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ सकेंगे. बातचीत की बहुत जटिल प्रक्रिया रही. उम्मीद है कि हम शांति की ओर बढ़ रहे हैं."
2020 के पहले की स्थिति में लौटेंगे दोनों देश
विदेश मंत्री ने कहा, "भारत और चीन के बीच सहमति बहुत पॉजिटिव है. दोनों ने 2020 में गलवान झड़प से पहले वाली स्थिति में जा रहे हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सहमति का आगे कैसे असर होता है."
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पहली कही थी विवाद का 75% हल निकलने की बात
इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा में एक समिट के दौरान कहा था कि चीन के साथ विवाद का 75% हल निकल गया है. विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण का मुद्दा अभी भी गंभीर है.
जयशंकर ने कहा कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया है. सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे.
देपसांग और डेमचोक को लेकर हुआ समझौता
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत-चीन के बीच LAC पेट्रोलिंग को लेकर हुए यह समझौता कथित तौर पर दो पॉइंट देपसांग और डेमचोक को लेकर है. जल्द ही इन दो पॉइंट पर मिलिट्री डिस-इंगेजमेंट शुरू होगा. यानी दोनों देशों की सेनाएं यहां से पीछे हटेंगे.
हम आर्थिक कायाकल्प की राह पर
जयशंकर ने कहा, "हम आर्थिक कायाकल्प की राह पर हैं. अगर आप इस सदी के विकास की भविष्यवाणी कर रहे हैं, तो आप भारत और चीन को छूट नहीं दे सकते. हम पड़ोसी हैं. हमारे पास अनसुलझे सीमा मुद्दे हैं. लेकिन हाल के समय में दो बड़े पड़ोसी देश एक-दूसरे के बगल में उभरे हैं. इसपर आगे भी काम करना है. इसकी डेडलाइन तय करना आसान नहीं है. हमें इसके लिए बहुत ज्यादा स्किल और डेप्लोमेसी की जरूरत होगी."
नेवर फर्स्ट पॉलिसी पर क्या बोले जयशंकर
जयशंकर ने कहा, "हमारे पड़ोसी देश लोकतांत्रिक हैं, जिसका मतलब है कि राजनीतिक परिवर्तन होते रहेंगे. हम अक्सर उनकी राजनीति का विषय होंगे. हमें अपनी नीतियों में इसे शामिल करना होगा. अगर हम एक ऐसा देश होने का रिकॉर्ड बना सकते हैं, जो किसी भी मुसीबत के समय एक विश्वसनीय दोस्त का परिचय देता है, तो यह किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है. श्रीलंका संकट के दौरान हमने उसकी तरफ मदद का हाथ बढ़ाया था, वो बहुत बड़ा बदलाव था."
उन्होंने कहा, "भूटान के पास बिजली पर सहयोग करने की बुद्धिमत्ता थी. हमने उसका साथ दिया. एक दूसरे के सहयोग से हम आगे बढ़ सकते हैं. यह एक सबक है जिसे हर किसी को सीखना चाहिए."
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