राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की कमेटी ने शरद पवार के इस्तीफे को नामंजूर कर दिया है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने ये जानकारी दी. प्रफुल्ल पटेल ने बताया कि कुछ दिनों पहले शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की एक कमेटी गठित कर नए अध्यक्ष चुनने की जिम्मेदारी हमें दी थी. इस कमेटी में मेरा नाम पहला था. जब शरद पवार ने इस्तीफे की घोषणा की थी, तब हम सभी उस कार्यक्रम में थे. इसके बाद से ही उनसे इस्तीफा वापस लेने की अपील की जा रही है. हमने उनसे कहा कि आज पार्टी ही नहीं, राज्य और देश की राजनीति को भी उनकी जरूरत है. एनसीपी कमेटी ने शरद पवार का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है. कमेटी के सभी सदस्यों ने ये फैसला सर्वसम्मति से लिया है.
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कमेटी के सदस्य शरद पवार से मिले. प्रफुल्ल पटेल ने बताया कि कमेटी ने अपना निर्णय शरद पवार को बता दिया है. शरद पवार ने सोचने के लिए वक्त मांगा है. राष्ट्रवादी स्टूडेंट्स कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया दुहन ने कहा कि एनसीपी की उस समिति की सदस्य भी हैं, जिसने आज एकमत से पवार को फैसला वापस लेने के लिए प्रस्ताव पारित किया.सोनिया ने बताया कि पवार साहब ने सोचने के लिए वक्त मांगा है और उन्हें उम्मीद है कि वो सभी की भावनाओं का सम्मान करते हुए अपना फैसला वापस ले लेंगे.
इससे पहले प्रफुल्ल पटेल ने बताया था कि कमेटी के सभी सदस्य अब शरद पवार के पास जाएंगे और जो प्रस्ताव पास किया गया है, उससे अवगत कराया जाएगा. शरद पवार का पार्टी अध्यक्ष के रूप में जब तक कार्यकाल है, तब तक वह इस पद पर बने रहेंगे. इसके बाद भी पार्टी निर्णय करेगी कि क्या होना चाहिए. कमेटी के इस फैसले के बाद एनसीपी कार्यकर्ताओं में जश्न शुरू हो गया है.
शरद पवार के एनसीपी अध्यक्ष पद से इस्तीफ़े के बाद से उनकी पार्टी में उथल-पुथल जारी है. एक ओर नए अध्यक्ष के नाम तय करने की बात चल रही है, तो दूसरी ओर राज्य के कई शहरों में शरद पवार के समर्थन में NCP कार्यकर्ता सड़क पर उतरे हैं. वे लगातार उनसे फ़ैसला वापस लेने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि शरद पवार को ही अध्यक्ष रहना चाहिए और उन्हें अपना फ़ैसला वापस लेना चाहिए. पवार के समर्थन में कई जगह पोस्टर, होर्डिंग लगाए गए हैं. पुणे में एक पोस्टर लगा है, जिसपर लिखा है- आज महाराष्ट्र ही नहीं पूरे देश को आपके नेतृत्व की ज़रूरत है.
मुंबई-पुणे-बेलापुर हाईवे पर भी शरद पवार की अध्यक्ष पद के तौर पर वापसी से जुड़ी होर्डिंग लगाई गई है. ये होर्डिंग जितेंद्र अव्हाड ने लगाई है. पवार के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद जितेंद्र अव्हाड ने पार्टी सचिव पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
शरद पवार का उत्तराधिकारी चुनने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की एक समिति की अहम बैठक आज मुंबई में हुई. शरद पवार (82) ने मंगलवार को मुंबई में अपनी आत्मकथा ‘लोक माझे सांगाती' के अद्यतन संस्करण के विमोचन कार्यक्रम में राकांपा प्रमुख के पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था.
उन्होंने अपने उत्तराधिकारी पर फैसला लेने के लिए पार्टी की एक समिति भी गठित की थी, जिसमें अजित पवार, सुप्रिया सुले, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल शामिल हैं. शरद पवार ने बृहस्पतिवार को कहा था कि राकांपा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का उनका फैसला पार्टी के भविष्य और नया नेतृत्व तैयार करने के लिए है. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा लगातार अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किए जाने के बीच यह टिप्पणी की थी.
राकांपा नेताओं ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि बारामती से लोकसभा सदस्य एवं शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालने की संभावना है, जबकि अजित पवार को महाराष्ट्र इकाई की कमान सौंपी जा सकती है. पार्टी नेताओं ने कहा कि 1999 में अस्तित्व में आई राकांपा की बागडोर पवार परिवार के हाथों में ही रहने की संभावना है, क्योंकि किसी और को कमान सौंपे जाने की सूरत में पार्टी में दरार पनपने और वर्चस्व की लड़ाई शुरू होने की आशंका है.
इन नेताओं ने जोर देकर कहा कि तीन बार की लोकसभा सदस्य सुले खुद को एक प्रभावी सांसद के रूप में स्थापित करने में कामयाब रही हैं और उनके विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से अच्छे रिश्ते हैं, जबकि अजित पवार की राकांपा की प्रदेश इकाई पर अच्छी पकड़ है और उन्हें एक सक्षम प्रशासक के रूप में व्यापक स्वीकार्यता हासिल है. इन नेताओं ने यह भी कहा कि अजित पवार ने हाल ही में महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने की अपनी ख्वाहिश उजागर की थी, जबकि सुले ने हमेशा स्पष्ट किया है कि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में दिलचस्पी है.
यही नहीं, राकांपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मंत्री छगन भुजबल भी कह चुके हैं कि सुले को राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए, जबकि अजित पवार को प्रदेश इकाई का नेतृत्व करना चाहिए। हालांकि, बाद में उन्होंने यह कहने में भी देरी नहीं लगाई कि यह उनकी निजी राय है.
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