देश में स्कूली शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए नीतियों और स्कूलों के लिए मॉडल पाठ्यपुस्तकें तैयार और प्रकाशित करने वाले स्वायत्त संगठन राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training) ने बारहवीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की किताब में कई अहम बदलाव किये हैं. "Politics in India Since Independence" नाम की पॉलिटिकल साइंस की किताब के नए एडिशन से अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को गिराने और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व वाली राम रथ यात्रा से जुड़े संदर्भों को हटा दिया गया है. शनिवार को न्यूज एजेंसी PTI के मुख्यालय में संपादकों के साथ खास बातचीत में NCERT के डायरेक्टर दिनेश प्रसाद सकलानी ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि पाठ्यपुस्तकों में बदलाव निरंतर बदलाव की प्रक्रिया के तहत किया गया है.
टेक्स्टबुक में बदलाव निरंतर प्रक्रिया : NCERT मैनेजमेंट
इस बदलाव पर NCERT मैनेजमेंट ने कहा है कि टेक्स्टबुक में बदलाव निरंतर प्रक्रिया है, जो वक्त की जरूरत के हिसाब से किया गया है. NCERT के डायरेक्टर प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी के मुताबिक स्कूली पाठ्यक्रम में दंगों और हिंसा से जुड़े कंटेंट से छात्रों में हिंसक और हताश मनोवृति को बढ़ावा मिल सकता है.
दिनेश सकलानी ने स्कूली पाठ्यक्रम के भगवाकरण के आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, "यदि सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर, बाबरी मस्जिद या राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला दिया है तो क्या इसे हमारी पाठ्यपुस्तकों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, इसमें क्या समस्या है? अगर कोई चीज अप्रासंगिक हो गई है, तो उसे बदलना होगा. इसे क्यों नहीं बदला जाना चाहिए? मुझे यहां कोई भगवाकरण नहीं दिखता".
विशेष विचारधारा से प्रेरित थीं किताबें : राजपूत
पूर्व प्रधामनंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान NCERT के निदेशक रहे शिक्षाविद जेएस राजपूत कहते हैं कि NCERT की किताबों में परिवर्तन आवश्यक होता है क्योंकि बच्चों को नए परिवर्तन से अवगत कराना और उसमें भागीदारी के लिए तैयार करना जरूरी है. उनके मुताबिक गतिशीलता शिक्षा का अभिन्न अंग है, किताबें बदलती हैं और आगे भी बदलती रहेगी. लेकिन इस दौरान बच्चों पर पाठ्यक्रम का बोझ कम हो, यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है.
राजपूत के मुताबिक NCERT की किताबों में निरंतर नए तथ्यों को शामिल करना चाहिए, उनमें परिवर्तन करना आवशयक है और ये NCERT प्रबंधन का दायित्व भी है.
अतीत की पूरी जानकारी दी जानी चाहिए : आचार्य
दरअसल, लम्बे समय से बारहवीं कक्षा की राजनीति शास्त्र की किताबों में बाबरी मस्जिद ढांचा को गिराए जाने और अयोध्या से जुड़े कंटेंट को शामिल किया जाता रहा. अब 12th क्लास की पॉलिटिकल साइंस की किताबों में किये गए बदलाव पर कुछ एजुकेशन एक्सपर्ट सवाल उठा रहे हैं. उनकी दलील है कि इससे छात्रों को भारत के मॉडर्न हिस्ट्री के बारे में सही तरीके से पूरी जानकारी नहीं मिल पाएगी.
देशभर के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के जाने माने संघ नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल्स कॉन्फ्रेंस (NPSC) की एग्जीक्यूटिव मेंबर और दिल्ली के ITL पब्लिक स्कूल की चेयरपर्सन सुधा आचार्य कहती हैं कि स्कूली बच्चों को देश के अतीत के बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए.
एनडीटीवी से बातचीत में सुधा आचार्य ने कहा, "बच्चों को देश के इतिहास से जुड़े हर तरह के तथ्यों के बारे में बताना जरूरी है. अगर कोई हिंसक आंदोलन हुआ है या इतिहास में किसी मुद्दे पर सामाजिक तनाव हुआ तो इससे भविष्य में कैसे बचा जा सकता है, इससे क्या सीख ली जा सकती है. भविष्य के लिए ये सब बच्चों को बताना बेहद जरूरी है. हम बच्चों को इन तथ्यों के प्रति अलग नहीं कर सकते हैं. अगर हम "तीन गुंबद वाली संरचना" का जिक्र कर रहे हैं तो बाबरी मस्जिद लिखने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए".
जाहिर है कि NCERT द्वारा बारहवीं कक्षा की पॉलिटिकल साइंस की टेक्स्टबुक में बदलाव ने इस मसले पर एक बहस छेड़ दी है और ये बहस जल्दी खत्म होगी, इसके आसार फिलहाल दिखाई नहीं देते.
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