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This Article is From Sep 04, 2023

"भारत के संविधान और संप्रुभता को.... ": अकबर लोन के 'पाक समर्थित भाषण' पर सुप्रीम कोर्ट सख्‍त

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अकबर लोन ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा लगाया था.

"भारत के संविधान और संप्रुभता को.... ": अकबर लोन के 'पाक समर्थित भाषण' पर सुप्रीम कोर्ट सख्‍त
अकबर लोन ने अक्सर खुले तौर पर पाकिस्तान समर्थक बयान दिये
नई दिल्‍ली:

सीजेआई ने कहा कि जब वह इस अदालत के अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हैं. हम उनसे यह जानना चाहते हैं कि उनका मानना है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. क्या वह भारत की संप्रभुता को स्वीकार करते हैं? इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर उन्होंने ऐसा कहा है, तो हलफनामा मांगे. सीजेआई ने कहा कि हम इस धारणा पर आगे बढ़ रहे हैं कि वह एक हलफनामा दाखिल करेंगे कि उनका मानना है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. इस पर कपिल सिब्बल ने कहा, "मैं उनके या उन्होंने जो कहा उसके पक्ष में नहीं खड़ा हूं." सीजेआई ने कहा कि क्या हम यह मानते हैं कि लोन बिना शर्त भारत की संप्रभुता स्वीकार करते हैं और मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर  भारत का अभिन्न अंग है?

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोन को सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगनी चाहिए. उन्हें भारतीय संविधान के प्रति अपनी अटूट निष्ठा बताते हुए एक हलफनामा दायर करना चाहिए. उन्हें जम्मू-कश्मीर में पाक प्रायोजित अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों की निंदा करनी चाहिए. वह संसद के सदस्य हैं और उन्हें जिम्मेदारी से काम करना चाहिए. 

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जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि जब आप बहस करते हैं, तो आप भारत की संप्रभुता को स्वीकार करते हैं. आप स्वीकार करते हैं कि जम्मू-कश्मीर अभिन्न अंग है. जब आपका मुवक्किल इस अदालत के बाहर कुछ कहता है, तो शायद तब वह यह भी स्वीकार कर रहा होता है कि निपटाने के लिए एक मुद्दा है. 

कपिल सिब्बल ने इस पर कहा, "वह संसद सदस्य हैं. उन्होंने भारत के संविधान की शपथ ली है. वह भारत के नागरिक हैं. वह अन्यथा कैसे कह सकते है? और यदि किसी ने ऐसा कहा है तो मैं अपने स्तर पर इसकी निंदा करता हूं. उनसे अदालत हलफनाना मांग सकती है. लेकिन ये संवैधानिक मुद्दा नहीं है. इस केस का दायरा बढ़ाया नहीं जाना चाहिए. ये मीडिया कवरेज के लिए है. 

लोन को सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगनी चाहिए
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि लोन को सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगनी चाहिए और उन्हें भारतीय संविधान के प्रति अपनी अटूट निष्ठा बताते हुए एक हलफनामा दायर करना चाहिए. उन्हें जम्मू-कश्मीर में पाक प्रायोजित अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों की निंदा करनी चाहिए. वह संसद के सदस्य हैं और उन्हें जिम्मेदारी से काम करना चाहिए. दरअसल, रूट इन कश्मीर संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. इस मामले में याचिकाकर्ता नेशनल कॉन्फ्रेंस सांसद मोहम्मद अकबर लोन पर सवाल उठाए हैं. लोन पर पाकिस्तान समर्थित होने का आरोप लगाया है. उन्होंने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने का हवाला दिया है. कोर्ट में अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया है. कोर्ट ने हलफनामे को मंजूर करने की गुहार लगाई है.

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में "पाकिस्तान जिंदाबाद" जैसे नारे लगाए थे
कश्मीरी पंडितों के संगठन रूट इन कश्मीर की ओर से अमित रैना ने अर्जी में कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले मोहम्मद अकबर लोन को जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी ताकतों के समर्थक के रूप में जाना जाता है, जो पाकिस्तान का समर्थन करते हैं. वो नेशनल कॉन्फ्रेंस से संसद सदस्य है. वो 2002 से 2018 तक विधानसभा के सदस्य थे और उन्होंने जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पटल पर "पाकिस्तान जिंदाबाद" जैसे नारे लगाए थे. 
उक्त तथ्य को मीडिया  द्वारा व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया था. इसके बाद उन्होंने खुद न सिर्फ नारे लगाने की बात स्वीकारी बल्कि माफी मांगने से भी इनकार कर दिया, जब पत्रकारों ने पूछा गया तो लोन मीडिया को संबोधित करते हुए खुद को भारतीय बताने भी में झिझक रहे थे. इसी तरह वो अपनी रैलियों में भी वह पाकिस्तान समर्थक भावनाएं फैलाने के लिए जाने जाते हैं. अर्जी में कहा गया है कि इस मामले में संविधान पीठ के समक्ष दो राजनीतिक दल हैं.

लोन ने अक्सर खुले तौर पर पाकिस्तान समर्थक बयान दिये
नेशनल कॉन्फ्रेंस का प्रतिनिधित्व लोन और अन्य संसद सदस्यों के द्वारा कर रहे हैं और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी [पीडीपी] का प्रतिनिधित्व इसकी अध्यक्ष  महबूबा मुफ्ती करती हैं . जम्मू-कश्मीर में उपरोक्त दोनों मुख्यधारा की पार्टियों ने खुले तौर पर अनुच्छेद 370 का समर्थन किया है और किसी भी ऐसे अभ्यास का जोरदार विरोध किया है, जो पूरे संविधान को जम्मू-कश्मीर के सभी लोगों पर लागू करता है. लोन ने अक्सर खुले तौर पर पाकिस्तान समर्थक बयान दिए हैं. संभवतः, यह जम्मू-कश्मीर के लोगों को देश के बाकी हिस्सों के बराबर लाने वाले किसी भी कदम को चुनौती देने के उनके विरोध को स्पष्ट करता है. इसे लेकर संगठन ने मीडिया की रिपोर्ट भी हलफनामे में दाखिल की है.

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