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This Article is From Oct 06, 2023

नांदेड़ अस्पताल मौत मामला : बॉम्बे HC ने महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार, कहा - दाखिल करें हलफनामा

Nanded Hospital Death Case: बॉम्बे HC ने महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि हलफनामे में विशेष रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए कि कर्मचारी केवल खरीद प्राधिकरण के लिए हैं या उन्हें इसके अतिरिक्त प्राधिकरण का प्रभार दिया गया है.

नांदेड़ अस्पताल मौत मामला : बॉम्बे HC ने महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार, कहा - दाखिल करें हलफनामा
Nanded Hospital Deaths: बॉम्बे HC में इस मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

Nanded Hospital Death Case: नांदेड़ अस्पताल में मरीजों की मौत के मामले में बॉम्बे HC ने महाराष्ट्र सरकार को हलफनामा फाइल करने का निर्देश दिया.चीफ जस्टिस ने हलफनामे में पिछले 6 महीनों में सरकारी अस्पतालों में रिक्त पदों को भरने के लिए उठाए गए कदम की जानकारी मांगी. इसके साथ ही पिछले 6 महीनों में सरकारी अस्पतालों की मांग और आपूर्ति की जानकारी देने को कहा. मेडिकल खरीद प्राधिकरण को इसकी खरीद के लिए 2023 अधिनियम के अनुपालन में शपथ पत्र दाखिल करने के लिए भी कहा गया है.

महाराष्ट्र सरकार को हलफनामें में देने होंगे ये डिटेल्स

इसके आगे बॉम्बे HC ने कहा, विशेष रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए कि कर्मचारी केवल खरीद प्राधिकरण के लिए हैं या उन्हें इसके अतिरिक्त प्राधिकरण का प्रभार दिया गया है. चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा द्वारा दायर हलफनामे में पिछले एक साल में चिकित्सा आपूर्ति के लिए नांदेड़ से जुड़े संस्थानों का विवरण भी देना चाहिए. इसी प्रकार का विवरण प्रमुख सचिव जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा अन्य अस्पतालों के लिए भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए.

दवाओं-अन्य चिकित्सा उपकरणों की खरीद का मुद्दा भी महत्वपूर्ण: HC

बॉम्बे HC के चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकार को अस्पताल के डॉक्टरों और पैरामेडिक दोनों कर्मचारियों की कमी की समस्या का उचित समाधान करने की जरूरत है. दवाओं और अन्य चिकित्सा उपकरणों की खरीद का मुद्दा भी बहुत महत्वपूर्ण है. सभी स्तरों के सरकारी अस्पतालों का प्रबंधन सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाता है और मेडिकल कॉलेजों का प्रबंधन चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा किया जाता है.

30 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई

चीफ जस्टिस ने कहा कि एक मेडिकल कॉलेज का प्राथमिक कार्य शिक्षण है और दूसरा कार्य मरीजों की देखभाल करना है.मरीजों की देखभाल की प्राथमिक जिम्मेदारी जन स्वास्थ्य विभाग की है. हमारी राय में अन्य सभी उपायों के अलावा इन 2 विभागों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मेडिकल और नॉन मेडिकल की सभी रिक्तियां भरी जाएं.एडवोकेट जनरल (AG)  ने बताया कि मेडिकल कॉलेजों में भर्ती प्रक्रिया एमपीएससी द्वारा आयोजित की गई है और अन्य अस्पतालों में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग द्वारा अन्य भर्ती प्रक्रिया द्वारा डॉक्टरों की नियुक्ति की जा रही है. इस मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी.

सरकारी रिपोर्ट में कही गई ये बात

महाराष्ट्र सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ मरीज़ बच नहीं सके क्योंकि उन्हें निजी अस्पतालों द्वारा बहुत बाद में रेफर किया गया था. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि सभी दवाएँ और अन्य आपूर्तियाँ उपलब्ध थीं और प्रोटोकॉल के अनुसार प्रशासित की गईं थी.रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सीनियर रेजिडेंट्स के 97 पदों के मुकाबले केवल 49 पद भरे हुए हैं. सरकारी रिपोर्ट में स्वास्थ्य संबंधी विभाग को आवंटित बजट का भी जिक्र है.

जिसके अनुसार, 2020-21 में कुल बजट का 4.87%, 2021-22 में कुल बजट का 5.09%,2022-23 में कुल बजट का 4.0%, 2023-24 में कुल बजट का 4.01% स्वास्थ्य संबंधी विभाग को आवंटित किया गया.इससे  पता चल रहा है कि स्वास्थ्य से जुड़े विभाग को मिलने वाले बजट में साल दर साल कमी आ रही है.
 

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