
मुंबई में हुए 26/11 के हमले के दौरान आतंकियों ने ताज होटल को निशाना बनाया था. आतंकियों ने होटल को काफी नुकसान पहुंचाया था. होटल के एक हिस्से में ताज होटल के तत्कालिन जनरल मैनेजर कर्मवीर कांग अपने परिवार के साथ रहते थे. जब 4 आतंकी होटल के भीतर घुसे तो उन्होंने जमकर उत्पात मचाया आतंकियों ने होटल में आगजनी की शुरुआत कर दी. इसी दौरान कांग की पत्नी और दोनों बच्चे ने अपने आपको होटल के एक कमरे में कैद कर लिया था. वो मीडिया वालों से गुहार लगा रही थी कि प्लीज मुझे बचाइए, मुझे बचाइए. लेकिन किसी की भी अंदर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी
कुछ ही देर बाद देखा गया कि अंदर से घुआं निकलना शुरू हो गया और आग की लपटे दिखने लगी. बाद में जब यह आतंकी ऑपरेशन खत्म हुआ तो 29 नवंबर को यह जानकारी मिली कि कर्मवीर कांग की पत्नी और उनके दोनों बच्चे इस हमले में मारे गए. घुआं के कारण दम घुटने से उनकी मौत हुई थी.
इस घटना में कई लोगों की जलने से मौत हुई थी. कई को आतंकियों ने गोली मार दी थी. हमले की शुरुआत में 2 आतंकी घुसे थे बाद में 2 और आतंकी अंदर पहुंच गए थे. 4 आतंकियों ने करीब 59 घंटों तक इस होटल पर कब्जा कर के रखा था. पहले मुंबई पुलिस के जवानों ने मोर्चा संभाला था बाद में नेवी के मरीन कमांडों पहुंचे थे. अंतिम में एनएसजी की टीम को लाया गया था. एनएसजी की टीम के ऑपरेशन के बाद होटल को आतंकियों से मुक्त करवाया गया था.
तहव्वुर राणा की क्या थी भूमिका
जिस डेविड हेडली ने हमले के सारे कोओर्डिनेट लश्यर-ए-तैयबा को भेजे थे. तहव्वुर राणा उसी का साथी था. राणा ने एक इमिग्रेशन एजेंसी खोली थी, जिसकी अलग-अलग देशों में ब्रांच थी. जो इस काम में लोगों की मदद करती थी कि कैसे विदेशों में जाने के लिए कागजी कार्रवाई की जाए. इसी का एक ऑफिस मुंबई के ताड़देव इलाके में हेडली ने खोला था. यहीं से हेडली ने सारे लोकेशन के जीपीएस कोओर्डिनेट लश्कर-ए-तैयबा को भेजे थे.
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