केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एक बड़ी पहल करते हुए देश के सभी स्कूल बोर्डों पर डिटेल स्टडी की है. स्टडी के नतीजों के आधार पर शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों के बोर्डों को एक साझा मंच पर लाने की तैयारी की है. मंत्रालय की स्टडी में एक चौंकाने वाली बात भी सामने आई है. स्टडी के मुताबिक, दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में 11वीं और 12वीं में छात्रों के साइंस स्ट्रीम चुनने की अधिक संभावना है. इनमें से 3 राज्यों में आर्ट्स स्ट्रीम चुनने वाले छात्रों की संख्या 2 प्रतिशत से भी कम है. जबकि पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और झारखंड में आर्ट्स विषय में छात्रों की ज्यादा दिलचस्पी है.
रिकॉर्ड बताते हैं कि 2022 के 12वीं बोर्ड परीक्षाओं में तमिलनाडु से आर्ट्स स्ट्रीम के छात्रों की संख्या 1.53 प्रतिशत थी. जबकि उसी साल तेलंगाना से 2.01 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश 2.19 प्रतिशत छात्र आर्ट्स स्ट्रीम से बोर्ड परीक्षाओं में शामिल हुए थे.
इन राज्यों में छात्रों ने चुनी साइंस स्ट्रीम
'इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वोत्तर को छोड़कर शीर्ष पांच राज्यों में साइंस स्ट्रीम छात्रों का पसंदीदा विकल्प था. इनमें आंध्र प्रदेश- 75.63 प्रतिशत, तेलंगाना- 64.59 प्रतिशत, तमिलनाडु- 61.50 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश- 57.13, केरल- 44.50 प्रतिशत शामिल है. वहीं, पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा देने वालों में से 68.87 प्रतिशत ने साइंस सब्जेक्ट को चुना था.
इन राज्यों में छात्रों ने चुनी आर्ट्स स्ट्रीम
स्टडी के मुताबिक, गुजरात, बंगाल समेत उत्तर और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में छात्रों ने आर्ट्स स्ट्रीम को प्राथमिकता दी है. इनमें गुजरात (81.55 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (78.94 प्रतिशत), पंजाब (72.89 प्रतिशत), हरियाणा (73.76 प्रतिशत), राजस्थान (71.23 प्रतिशत) शामिल है. इसके अलावा पूर्वोत्तर में मेघालय (82.62), त्रिपुरा (85.12 प्रतिशत) और नगालैंड (79.62 प्रतिशत) आर्ट्स छात्रों का फेवरेट स्ट्रीम है.
पश्चिम बंगाल के छात्रों में साइंस में सबसे कम दिलचस्पी
एकेडमिक सेशन 2021-22 के दौरान पश्चिम बंगाल में छात्रों ने साइंस के लिए सबसे कम दिलचस्पी दिखाई. यहां 13.42 प्रतिशत छात्रों ने साइंस स्ट्रीम ली. इसके बाद पंजाब (13.71 प्रतिशत), हरियाणा (15.63 प्रतिशत), गुजरात (18.33 प्रतिशत) और झारखंड (22.91 प्रतिशत) का नंबर आता है.
क्यों की गई ये स्टडी
केंद्र द्वारा विभिन्न शिक्षा बोर्डों के बीच मूल्यांकन में समानता लाने के लिए यह स्टडी की गई थी. शिक्षा मंत्रालय का विश्लेषण कहता है कि 10वीं में मेघालय बोर्ड से 57% छात्र पास होते हैं तो वहीं केरल से 99.85% पास होते हैं. इसी तरह 12वीं बोर्ड में आंध्र प्रदेश से 69 फीसदी तो राजस्थान बोर्ड से 96.6 फीसदी पास होते हैं.
मंत्रालय ने दिया ये सुझाव
दरअसल आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना में 10वीं व 12वीं के लिए अलग-अलग स्कूल बोर्ड हैं, जबकि मंत्रालय का मानना है कि इन राज्यों में 10वीं व 12वीं के लिए एक ही बोर्ड होना चाहिए. रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि राज्य बोर्ड सेंट्रल बोर्ड के साइंस के सिलेबस को फॉलो कर सकते हैं, ताकि छात्रों को जेईई मेन (JEE) और नीट (NEET) जैसी कॉमन एंट्रेस एग्जाम के लिए समान मौके मिले.
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