देश में इस वर्ष मानसून का मौसम समाप्त, औसत से कम दर्ज की गई बारिश 

विभाग ने कहा कि सकारात्मक कारकों, मुख्य रूप से हिंद महासागर डिपोल (आईओडी) और मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन (एमजेओ) ने अल नीनो स्थितियों के कारण होने वाली बारिश की कमी को कुछ कम किया और ‘‘लगभग सामान्य’’ वर्षा हुई.

देश में इस वर्ष मानसून का मौसम समाप्त, औसत से कम दर्ज की गई बारिश 

नई दिल्ली: दक्षिण पश्चिम मानसून का मौसम शनिवार को समाप्त हो गया. इस मौसम में भारत में ‘औसत से कम' बारिश हुई. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी. विभाग ने बताया कि देश में औसत से कम 820 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि किसी अल नीनो वर्ष में बारिश का दीर्घकालिक औसत 868.6 मिलीमीटर (मिमी) रहता है.

विभाग ने कहा कि सकारात्मक कारकों, मुख्य रूप से हिंद महासागर डिपोल (आईओडी) और मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन (एमजेओ) ने अल नीनो स्थितियों के कारण होने वाली बारिश की कमी को कुछ कम किया और ‘‘लगभग सामान्य'' वर्षा हुई.

आईओडी एक महासागर-वायुमंडलीय घटना है जो प्रशांत महासागर में अल नीनो के उतार-चढ़ाव के समान है जबकि एमजेओ भी एक समुद्री-वायुमंडलीय घटना है जो दुनियाभर में मौसम की गतिविधियों को प्रभावित करती है. वर्ष 2023 से पहले, भारत में लगातार चार वर्षों तक मानसून के मौसम में ‘‘सामान्य'' और ‘‘सामान्य से अधिक'' बारिश दर्ज की गई थी.

विभाग ने बताया कि सकारात्मक कारकों के कारण अल नीनो देश में मानसून की बारिश को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर सका. दीर्घकालिक औसत (एलपीए) के 96 प्रतिशत से 104 प्रतिशत के बीच बारिश को सामान्य माना जाता है. भारतीय मानसून विभिन्न प्राकृतिक कारकों के कारण समय के साथ होने वाले अंतर्निहित उतार-चढ़ाव और बदलावों को संदर्भित करता है.

आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अल नीनो के प्रभाव का मुकाबला करने वाले सकारात्मक कारकों के साथ, 2023 का मानसून 94.4 प्रतिशत बारिश दर्ज करने के साथ समाप्त हुआ, जिसे ‘‘सामान्य के करीब'' माना जाता है. पूरे देश में मासिक बारिश जून में एलपीए का 91 प्रतिशत, जुलाई में 113 प्रतिशत, अगस्त में 64 प्रतिशत और सितंबर में 113 प्रतिशत रही.

महापात्र ने कहा, ‘‘मौसम संबंधी 36 उपविभागों में से तीन (कुल क्षेत्रफल का नौ प्रतिशत) में अधिक बारिश हुई, 26 में सामान्य बारिश हुई (कुल क्षेत्रफल का 73 प्रतिशत) और सात में कम बारिश हुई. कम बारिश वाले सात उपखंडों में नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा, गांगेय पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और केरल शामिल हैं.''

मौसम विभाग ने कहा कि पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य 1,367.3 मिमी की तुलना में 1,115 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 18 प्रतिशत कम है. उसने कहा कि उत्तर पश्चिम भारत में दीर्घकालिक औसत 587.6 मिमी के मुकाबले 593 मिमी बारिश दर्ज की गई. मध्य भारत में सामान्य बारिश 978 मिमी के मुकाबले 981.7 मिमी दर्ज की गई.

महापात्र ने दो कारकों पर प्रकाश डाला - हिंद महासागर डिपोल और मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन - जिसने इस साल के मानसून मौसम को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया. उन्होंने एमजेओ को भारत में मानसून के मौसम पर अल नीनो के प्रभाव का मुकाबला करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक बताया.

इस साल, भारत में जून में नौ प्रतिशत बारिश की कमी हुई, लेकिन उत्तर पश्चिम भारत में लगातार पश्चिमी विक्षोभ और एमजेओ के अनुकूल चरण के कारण जुलाई में सामान्य से 13 प्रतिशत अधिक बारिश हुई. अल नीनो की स्थिति भारत में कमजोर मानसूनी हवाओं और शुष्क परिस्थितियों से जुड़ी है.

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छत्तीस प्रतिशत बारिश की कमी के साथ अगस्त 2023, 1901 के बाद से सबसे शुष्क महीना और भारत में अब तक का सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया था, जिसका कारण अल नीनो की स्थिति को मजबूत करना है. कई निम्न दबाव प्रणालियों और एमजेओ के सकारात्मक चरण के कारण सितंबर में अधिक बारिश हुई थी.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)