केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद सरकार ने अब अपना रुख सख्त कर लिया है। विपक्ष ने मोदी के बयान के बावजूद राज्यसभा में कामकाज नहीं होने दिया, और वह साध्वी के इस्तीफे की मांग पर अड़ा हुआ है। इसी तरह लोकसभा में भी प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर कार्यवाही का बहिष्कार किया गया।
संसद में बने गतिरोध को दूर करने के लिए विपक्ष की ओर से एक निंदा प्रस्ताव लाने का सुझाव भी दिया गया है। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने यह सुझाव दिया, जिसके मुताबिक बिना किसी का नाम लिए कहा जा सकता है कि यह सदन ऐसे बयानों की निंदा करता है, लेकिन सरकार अब विपक्ष के आगे और झुकने को तैयार नहीं है। सरकार ने कहा है कि अगर ऐसा कोई प्रस्ताव आता है तो फिर उसमें वर्ष 1952 से अब तक दिए गए ऐसे तमाम विवादास्पद बयानों का जिक्र होना चाहिए, जिसमें मोदी के बारे में सोनिया गांधी के दिए गए 'मौत के सौदागर' वाला बयान भी शामिल किया जाए।
सरकार का कहना है कि साध्वी निरंजन ज्योति का बयान गलत था, इसीलिए मंगलवार को बीजेपी संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अपनी ओर से चेतावनी दे दी थी। इसके बाद निरंजन ज्योति ने दोनों सदनों में अपने बयान के लिए माफी मांगी और अपशब्द वापस ले लिए। इसके बावजूद विपक्ष प्रधानमंत्री के बयान और साध्वी के इस्तीफे के लिए अड़ा रहा।
गतिरोध दूर करने के लिए सरकार की ओर से पहल की गई, और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस से सरकार के आला मंत्रियों की बातचीत के बाद तय हुआ कि प्रधानमंत्री गुरुवार को राज्यसभा में बयान देंगे, जिसके बाद सदन की कार्यवाही चलेगी। तय समझौते के मुताबिक प्रधानमंत्री ने बयान दिया, जिसमें उन्होंने न सिर्फ निरंजन ज्योति के बयान को गलत ठहराया, बल्कि यह भी कहा कि उन्होंने ऐसे बयान न देने की नसीहत दी है। मगर ऐन वक्त पर कांग्रेस अपने वादे से पलट गई और बाकी विपक्षी दलों के साथ उसके सांसदों ने हंगामा कर कार्यवाही नहीं चलने दी।
कांग्रेस के नेताओं के मुताबिक इस पलटी की दो वजहें हैं। पहली, बाकी विपक्षी दल इस्तीफे की मांग पर जोर दे रहे हैं, लिहाज़ा कांग्रेस विपक्षी एकता नहीं तोड़ना चाहती। दूसरी, कांग्रेस का नेतृत्व बीजेपी को ऐसे किसी मुद्दे पर रियायत देने के खिलाफ है, क्योंकि उसके मुताबिक विपक्ष में रहते हुए बीजेपी ने भी कई हफ्तों तक संसद ठप रखी थी।
लेकिन सरकार अब साध्वी के मुद्दे को दूसरा मोड़ देने की तैयारी में है। बीजेपी नेता बताते हैं कि साध्वी जिस निषाद वर्ग से आती हैं, उसका प्रभाव गंगा के इलाके वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक फैला है और इस चुनाव में मोदी के नाम पर इस वर्ग ने बीजेपी का जबर्दस्त समर्थन किया। निरंजन ज्योति बुंदेलखंड इलाके से हैं। वह निर्धन और पिछड़े परिवार से हैं। इस इलाके में बहुजन समाज पार्टी का दबदबा रहा है, मगर माफी मांगने के बावजूद जिस तरह से साध्वी को निशाना बनाया जा रहा है, उससे निषाद, मल्लाह आदि वर्ग में रोष की खबरें दिल्ली पहुंच रही हैं।
यानि अगर विपक्ष इसे एक बड़ा राजनीतिक मुददा बनाना चाहता है तो सरकार भी इसमें पीछे नहीं रहेगी। सरकार के प्रबंधकों का आरोप है कि जिस तेजी के साथ एक के बाद एक बिल संसद में पास हो रहे हैं, उससे विपक्ष घबराया हुआ है और इसीलिए साध्वी के मुद्दे को तूल दिया जा रहा है। सरकार ने साफ किया है कि विपक्ष चाहे तो अगले दो हफ्ते तक संसद ठप रख सकता है, मगर आखिरी वक्त पर सरकार बीमा और पेंशन बिल पास कराकर ही दम लेगी। सरकार ने यह भी कहा है कि लोकसभा में जीएसटी बिल भी पेश कर दिया जाएगा।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं