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This Article is From Jul 21, 2023

"भीड़ ने मेरे पति और बेटे को मार डाला, फिर बेटी ले गए" : मणिपुर वीडियो में मौजूद पीड़िता की मां

मणिपुर में 3 मई को बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. जगह-जगह आगजनी और लूट की घटनाएं हुई. जातीय हिंसा में अब तक 120 से अधिक लोगों की जान चली गई. एक पीड़िता की मां ने कहा कि जो हुआ, उसके बाद अपने गांव लौटने का विचार भी दिमाग में नहीं आ रहा है.

पीड़ित महिलाओं का परिवार गहरे सदमे में है और वो गांव नहीं लौटना चाहते.

इंफाल:

हिंसाग्रस्त मणिपुर में तीन महिलाओं के कपड़े उतरवाकर उन्हें सड़क पर घुमाने और एक महिला के साथ गैंगरेप के वायरल वीडियो ने देश को झकझोर दिया है. इस कांड की चर्चा सड़क से लेकर संसद तक हो रही है. सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक ने इस घटना की निंदा की. पीड़ित महिलाएं और उनका परिवार सदमे में है. आरोपियों ने एक महिला के साथ हैवानियत की हरकत करने से पहले उसके पिता और भाई को उसके सामने मार डाला था. पीड़िता की मां ने कहा कि तबाह हुए परिवार के कभी भी अपने गांव लौटने की कोई संभावना नहीं है.

पीड़ित महिला की मां गहरे सदमे में हैं. NDTV से बातचीत में वह कुछ मिनट से ज्यादा देर तक नहीं बोल पाती हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मणिपुर सरकार ने हिंसा को रोकने या लोगों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं.

पीड़ित महिला की मां बताती हैं, "भीड़ ने मेरा घर जला दिया. पति और बेटे को मार डाला. फिर मेरी बेटी के साथ वो सब किया. उसके कपड़े उतरवाए. सड़क पर घुमाया. यौन हिंसा की गई." घटना 4 मई की है. इसका वीडियो बुधवार को सोशल मीडिया पर सामने आया और वायरल हो गया. इस मामले में पुलिस ने अब तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया है.

पीड़िता की मां ने NDTV को बताया, "मैंने सबसे छोटा बेटा खो दिया है, जो मेरी पूरी उम्मीद था. मैं उम्मीद कर रही थी कि एक बार वह 12वीं की पढ़ाई पूरी कर लेगा तो कुछ काम करने लगेगा. बहुत मुश्किलों के बाद मैंने उसे उचित शिक्षा हासिल करने के लिए स्कूल भेजा था. अब उसके पिता भी नहीं रहे. मेरे बड़े बेटे के पास नौकरी नहीं है. इसलिए जब मैं अपने परिवार के भविष्य के बारे में सोचती हूं, तो मुझे लगता है कि कोई उम्मीद नहीं बची है. मैं निराश और असहाय महसूस करती हूं. मेरे दिमाग में और कुछ भी नहीं चल रहा है.'' 

मणिपुर में 3 मई को बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. जगह-जगह आगजनी और लूट की घटनाएं हुई. जातीय हिंसा में अब तक 120 से अधिक लोगों की जान चली गई. एक पीड़िता की मां ने कहा कि जो हुआ, उसके बाद अपने गांव लौटने का विचार भी दिमाग में नहीं आ रहा है.

उन्होंने कहा, "हमारे गांव वापस जाने की कोई संभावना नहीं है. नहीं... हम वापस नहीं जा सकते. मैं वापस नहीं जाना चाहती. हमारे घर जला दिए गए हैं, हमारे खेत बर्बाद हो गए हैं. मैं वापस क्यों जाऊंगी? मेरा गांव जल गया है. मुझे नहीं पता कि मेरा और मेरे परिवार का भविष्य क्या होगा?"

वायरल वीडियो में मौजूद एक पीड़िता की मां ने 3 मई से शुरू हुई हिंसा को नियंत्रित न कर पाने के लिए मणिपुर सरकार को दोषी ठहराया है. उन्होंने कहा, "मैं बहुत गुस्से में और उत्तेजित हूं. उन लोगों ने उसके (पीड़िता) पिता और उसके भाई की बेरहमी से हत्या कर दी. उन लोगों उसके साथ भी यह अपमानजनक काम किया... मैं बहुत आहत हूं. मणिपुर सरकार कुछ नहीं कर रही है. हम यह सोचने में असमर्थ हैं कि एक समुदाय के रूप में क्या करना है. ईश्वर की कृपा से शारीरिक रूप से मैं ठीक हूं, लेकिन मैं दिन-रात इसके बारे में सोचती हूं कि ऐसा कैसे कोई कर सकता है."

पीड़िताओं में एक महिला ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में आरोप लगाया है कि पुलिस मौके पर मौजूद थी. वो लोग कपड़े उतरवा रहे थे. यौन हिंसा कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया. मामला 4 मई का है. इसकी पहली एफआईआर घटना के 15 दिन बाद दर्ज की गई थी. पहली गिरफ्तारी गुरुवार को हुई.
 

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