- मणिपुर में राष्ट्रपति शासन फरवरी 2025 से लागू है, विधानसभा सस्पेंडेड एनिमेशन में है, इसलिए नई सरकार बन सकती है
- भाजपा के पास विधानसभा में बहुमत है, लेकिन नए मुख्यमंत्री के नाम पर पार्टी नेतृत्व में सहमति नहीं बन पाई है.
- मई 2023 से मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा जारी है, जिससे कानून व्यवस्था प्रभावित हुई है.
Manipur New Government: मणिपुर में नई सरकार के गठन की कवायद शुरू हो गई है. मणिपुर के कई विधायक आज दिल्ली पहुंचें हैं. इन सभी का BJP के केंद्रीय नेतृत्व से मिलकर मणिपुर में फिर से सरकार बनाने का प्रस्ताव है. जिस पर केंद्र को और पार्टी को अंतिम फैसला लेना है. मणिपुर में फिलहाल राष्ट्रपति शासन जारी है, जो फरवरी 2025 से लागू है. पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था. बता दें कि मणिपुर में विधानसभा भंग नहीं हुई है, बल्कि सस्पेंडेड एनिमेशन में है, इसलिए नई सरकार गठन संभव है. BJP के पास 60 सदस्यीय विधानसभा में 32-37 विधायक हैं, जो बहुमत के लिए पर्याप्त है. कई विधायकों को उम्मीद है कि केंद्रीय नेतृत्व सकारात्मक फैसला आ सकता है.
BJP की रणनीति क्या है?
बीजेपी की रणनीति राज्य में स्थिरता बहाल करना और लोकप्रिय सरकार गठित करना है. पार्टी ने सभी विधायकों को दिल्ली बुलाकर एकजुटता दिखाई है. पार्टी और सरकार का मुख्य फोकस शांति बहाली पर है, क्योंकि कुकी समुदाय के कुछ विधायक लगभग 7 बीजेपी सहित अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं. केंद्रीय नेतृत्व जैसे संबित पात्रा और बीएल संतोष ने पहले दौरा किया था, और अब सबको एक साथ लाकर सरकार गठन की कोशिश की जा रही है. यह मई 2023 से चली आ रही मैतेई-कुकी जातीय संघर्ष के बाद राजनीतिक स्थिरता लाने की कोशिश है.

कब गठन हो सकती है सरकार?
सूत्रों के अनुसार दिसंबर 2025 के अंत तक या जनवरी 2026 की शुरुआत में नई सरकार बन सकती है. विधायकों के साथ बैठक के बाद अंतिम फैसला आने पर जल्द प्रक्रिया शुरू हो सकती है.
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन 13 फरवरी 2025 को लागू किया गया था, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत होता है. यह तब लगाया जाता है जब राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता हो जाती है, यानी राज्य सरकार संविधान के अनुसार काम नहीं कर पा रही हो.
मणिपुर हिंसा, सीएम का इस्तीफा, 5 प्वाइंट्स में जानें पूरी कहानी
- मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का इस्तीफा- 9 फरवरी 2025 को एन बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसकी वजह राज्य में लंबे समय से चली आ रही जातीय हिंसा (मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष) पर उनकी काफी आलोचना हुई , पार्टी के अंदर असंतोष, और विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव की धमकी थी. इस्तीफे के बाद बीजेपी नए मुख्यमंत्री पर सहमति नहीं बना पाई, भले ही उसके पास बहुमत था.
- नए मुख्यमंत्री पर सहमति न बन पाना- बीजेपी के पास विधानसभा में बहुमत होने के बावजूद (37 विधायक + सहयोगी), पार्टी नेतृत्व नए सीएम के नाम पर आम राय नहीं बना सका. कई दौर की बैठकों के बाद भी सहमति नहीं बनी , जिससे कोई नई सरकार नहीं बन पाई .
- संवैधानिक संकट- संविधान के अनुच्छेद 174(1) के अनुसार, विधानसभा का सत्र हर 6 महीने में बुलाना जरूरी है. मणिपुर में आखिरी सत्र अगस्त 2024 में हुआ था, और अगला सत्र फरवरी 2025 में बुलाना था. इस्तीफे के बाद बजट सत्र रद्द हो गया, जिससे संवैधानिक संकट पैदा हो सकता था.
- जातीय हिंसा- मई 2023 से चली आ रही हिंसा (200+ मौतें, हजारों विस्थापित) ने राज्य की कानून-व्यवस्था को कमजोर किया. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रपति शासन हिंसा रोकने और शांति बहाली के लिए लगाया गया, न कि किसी को बचाने या अविश्वास प्रस्ताव से डर कर . हिंसा के बाद शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है.
- सरकार गठन की तैयारी- यह मणिपुर में 11वीं बार राष्ट्रपति शासन है सबसे ज्यादा किसी राज्य में लगा . विधानसभा भंग नहीं हुई, बल्कि सस्पेंडेड एनिमेशन में है, ताकि स्थिति सामान्य होने पर नई सरकार बनाई जा सके. बाद में इसे अगस्त 2025 तक बढ़ाया गया और अब केंद्रीय नेतृत्व सभी पहलुओं को देखते हुए , आम सहमति से नई सरकार का गठन करने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है.
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