प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की वकालत करते हुए कहा कि देश में दो कानून नहीं चल सकता. पीएम मोदी के इस बयान पर कांग्रेस और उसकी सहयोगी डीएमके ने आपत्ति जताई है. तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके (DMK) ने तर्क दिया कि पहले हिंदुओं के लिए एक समान संहिता लागू की जानी चाहिए, जिसके बाद सभी जातियों के लोगों को मंदिरों में प्रार्थना करने की अनुमति देनी होगी.
डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने कहा. "समान नागरिक संहिता सबसे पहले हिंदू धर्म में लागू की जानी चाहिए. अनुसूचित जाति और जनजाति सहित हर व्यक्ति को देश के किसी भी मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. हम समान नागरिक संहिता केवल इसलिए नहीं चाहते, क्योंकि संविधान ने हर धर्म को सुरक्षा दी है.”
कांग्रेस ने भी जारी किया बयान
वहीं, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के एक बयान में कहा गया, "पीएम मोदी को पहले देश में गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी के बारे में जवाब देना चाहिए." वेणुगोपाल ने कहा, "वह (पीएम) मणिपुर मुद्दे पर कभी नहीं बोलते. हिंसा में पूरा राज्य जल रहा है. पीएम मोदी इन मुद्दों से सिर्फ लोगों का ध्यान भटका रहे हैं."
पीएम मोदी ने क्या कहा?
समान नागरिक संहिता बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा रहा है. पीएम मोदी ने भोपाल में वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने के बाद एक सवाल के जवाब में कहा- "यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कुछ लोग भड़का रहे हैं. एक घर में परिवार के सदस्य के लिए एक कानून हो, परिवार के दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो क्या वो घर चल पाएगा? एक घर दो कानूनों से नहीं चल सकता. यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बीजेपी भ्रम दूर करेगी."
तीन तलाक पर भी उठाए सवाल
मोदी ने सवाल किया कि अगर 'तीन तलाक' इस्लाम का अभिन्न अंग है, तो पाकिस्तान, बांग्लादेश, मिस्र, इंडोनेशिया, कतर, जॉर्डन और सीरिया जैसे मुस्लिम-बहुल देशों में ये अब क्यों नहीं है. मिस्र का उदाहरण देते हुए पीएम मोदी ने कहा- 'मिस्र में 90% से ज्यादा सुन्नी मुस्लिम हैं. 80-90 साल पहले वहां तीन तलाक की प्रथा समाप्त हो चुकी है.' पीएम मोदी रविवार देर रात मिस्त्र की दो दिन की राजकीय यात्रा से लौटे हैं.
वोट बैंक के भूखे लोग अन्याय कर रहे
पीएम मोदी ने कहा, "जो भी तीन तलाक के पक्ष में बात करते हैं, वकालत करते हैं, ये वोट बैंक के भूखे लोग मुस्लिम बेटियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं. तीन तलाक से नुकसान का दायरा बड़ा है. बहुत अरमानों से पिता अपनी बेटी को ससुराल भेजता है. 8-10 साल बाद बेटी वापस आती है, तो उसका भाई, पिता सब उसकी चिंता में दुखी हो जाते हैं. तीन तलाक का इस्लाम से संबंध होता तो दुनिया के मुस्लिम बहुल देश इसे खत्म नहीं करते.
उन्होंने कहा कि मुस्लिम बेटियों पर तीन तलाक का फंदा लटकाकर कुछ लोग उन पर हमेशा अत्याचार करने की खुली छूट चाहते हैं. इसीलिए मेरी मुस्लिम बहनें, बेटियां बीजेपी और मोदी के साथ हैं.
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है- भारत के हर नागरिक के लिए एक समान कानून, चाहे वह किसी भी धर्म हो या जाति का हो. जिस भी राज्य में UCC लागू होगा- वहां, शादी, तलाक, एडॉप्शन, उत्तराधिकार, जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा. आसान शब्दों में समझें, तो यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी देश के सभी नागरिकों के लिए एक जैसा पर्सनल लॉ और लागू करना राज्य की ड्यूटी है.
पिछले साल सितंबर में समान नागरिक संहिता तैयार करने के लिए एक पैनल का प्रावधान करने वाला निजी विधेयक विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद राज्यसभा में पेश किया गया था. इस महीने की शुरुआत में विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर नए सिरे से परामर्श प्रक्रिया शुरू की, जिसमें राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर सभी हितधारकों से विचार मांगे गए.
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