Uniform Civil Code पर बढ़ रही हलचल, 10 प्वाइंट्स में जानें सभी Updates

Uniform Civil Code पर बढ़ रही हलचल, 10 प्वाइंट्स में जानें सभी Updates

समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर हलचल बढ़ गई है.

समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर हलचल बढ़ गई है. बृहस्पतिवार को ही मध्य प्रदेश में इसे लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ी घोषणा की. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कल कहा कि वे राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के पक्ष में हैं. बड़वानी में एक रैली में घोषणा करते हुए उन्होंने कहा, ' यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का समय आ गया है. मध्य प्रदेश में यूसीसी लागू करने के लिए मैं एक कमेटी बना रहा हूं. अब सभी के लिए केवल एक ही शादी." आइए जानते हैं समान नागरिक संहिता पर महत्वपूर्ण तथ्य-

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. Uniform Civil Code (समान नागरिक संहिता) को आसान शब्दों में ऐसे समझ सकते हैं कि देश में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून. चाहे वह व्यक्ति या महिला किसी भी धर्म या जाति से क्यों न हों. 

  2. पूरे देश में फिलहाल समान नागरिक संहिता का ही एक स्वरूप गोवा में लागू है. गोवा में पुर्तगाल सिविल कोड 1867 लागू है. 1961 में गोवा की आजादी के बाद भी वहां इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया. पुर्तगाल सरकार के दौरान गोवा में ईसाई और हिंदू धर्म के लोग ही बहुलता में थे. यहां के हिंदुओं को कुछ शर्तों के साथ एक से ज्यादा विवाह करने की छूट है.

  3. अक्टूबर 2022 में गुजरात सरकार के निवर्तमान मंत्रिमंडल ने समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने के सभी पहलुओं का मूल्यांकन करने के लिए हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में समिति गठित करने का प्रस्ताव पेश किया. केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा, ‘‘समिति की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे और इसमें तीन से चार सदस्य होंगे.''

  4. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया है कि विधानसभा चुनाव में जीत मिलने पर हिमाचल प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किया जाएगा. इसके लिए एक कमेटी बनाई जाएगी, जिसकी सिफारिशों के आधार पर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाएगा.

  5. 27 मई 2022 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट किया कि देवभूमि की संस्कृति को संरक्षित करते हुए सभी धार्मिक समुदायों को एकरूपता प्रदान करने के लिए माननीय न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई जी की अध्यक्षता में समान नागरिक संहिता (UCC) के क्रियान्वयन हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया गया है.

  6. 23 अप्रैल 2022 को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने कहा कि कॉमन सिविल कोड (Common Civil Code) इस देश और उत्तर प्रदेश के लिए जरूरी है. इस दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार गंभीरता से विचार कर रही है. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘‘एक देश में एक कानून सबके लिए हो, इसकी आवश्यकता है. मैं समझता हूं कि अलग- अलग लोगों के लिए अलग-अलग कानून की जरूरत नहीं है.''

  7. देश भर में एक समान नागरिक संहिता लागू करने का काम सरकार 22वें विधि आयोग को सौंप सकती है. कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को पत्र लिख कर यह जानकारी 31 जनवरी 2022 को दी. कानून मंत्री ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 44 केंद्र सरकार को देश भर के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कहता है.

  8. कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने पत्र में लिखा कि समान नागरिक संहिता इससे जुड़े सभी प्रावधानों का विस्तृत अध्ययन करने के लिए यह मामला 21वें विधि आयोग को दिया गया था, लेकिन इस आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को समाप्त हो गया. इसलिए यह मामला अब 22वें विधि आयोग को सौंपा जा सकता है.

  9. 09 जुलाई 2021 को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने तलाक के मामले में फैसला देते हुए देश में समान नागरिक संहिता की जरूरत बताई. जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने अपने फैसले में कहा कि आज का हिंदुस्तान धर्म, जाति, समुदाय से ऊपर उठ चुका है. आधुनिक हिंदुस्तान में धर्म, जाति की बाधाएं धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं. इस बदलाव की वजह से शादी और तलाक में दिक्कत भी आ रही है. आज की युवा पीढ़ी को इन दिक्कतों से जूझना नहीं चाहिए. लिहाजा, देश में समान नागरिक संहिता लागू होना चाहिए. अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता की जो उम्मीद जताई गयी थी, अब उसे केवल उम्मीद नहीं रहनी चाहिए, उसे हकीकत में बदल देना चाहिए. 

  10. सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर 2019 को दिए गए एक फैसले में कहा कि देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए अभी तक कोई प्रयास नहीं किया गया है. जबकि सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में कई बार कह चुका है. न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि गोवा भारतीय राज्य का एक चमचमाता उदाहरण है, जिसमें समान नागरिक संहिता लागू है. यहां सभी धर्मों की परवाह किए बिना यह लागू है, वो भी कुछ सीमित अधिकारों को छोड़कर. पीठ ने एक संपत्ति विवाद मामले में ये टिप्पणियां की.