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This Article is From Jun 03, 2025

मुंबई में बारिश से पहले MHADA का बड़ा फैसला! 96 खतरनाक इमारतों के रहवासियों को मिलेगा ₹20,000 किराया

फिलहाल MHADA के पास केवल 786 ट्रांजिट टेनेमेंट्स उपलब्ध हैं, जो सभी प्रभावितों के लिए पर्याप्त नहीं हैं. ऐसे में बारिश के मौसम को देखते हुए और लोगों की जान को खतरे से बचाने के लिए यह अंतरिम व्यवस्था की जा रही है.

मुंबई में बारिश से पहले MHADA का बड़ा फैसला! 96 खतरनाक इमारतों के रहवासियों को मिलेगा ₹20,000 किराया
प्रतीकात्मक फोटो

मुंबई में मॉनसून से पहले MHADA ने एक बड़ा और राहत भरा कदम उठाया है. मुंबई बिल्डिंग रिपेयर एंड रीकंस्ट्रक्शन बोर्ड (MBRRB), जो MHADA का एक घटक है, ने शहर की 96 सीज़ इमारतों को "सबसे खतरनाक" घोषित किया है. इन इमारतों में रह रहे करीब 2,400 किरायेदारों और निवासियों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए बोर्ड ने वैकल्पिक निवास की व्यवस्था करने वालों को ₹20,000 मासिक किराया सहायता देने का निर्णय लिया है. साथ ही, MHADA ने 400 ट्रांजिट टेनेमेंट्स (स्थानांतरित घरों) को लीज़ पर लेने के लिए सार्वजनिक विज्ञापन जारी करने का निर्देश भी दिया है. ये घर 180 से 250 वर्गफुट के होंगे और इन्हें तीन साल की अवधि के लिए बाहरी एजेंसियों से किराए पर लिया जाएगा, ताकि 96 खतरनाक इमारतों के प्रभावित निवासियों को अस्थायी आश्रय मिल सके.

फिलहाल MHADA के पास केवल 786 ट्रांजिट टेनेमेंट्स उपलब्ध हैं, जो सभी प्रभावितों के लिए पर्याप्त नहीं हैं. ऐसे में बारिश के मौसम को देखते हुए और लोगों की जान को खतरे से बचाने के लिए यह अंतरिम व्यवस्था की जा रही है. मासिक किराया सहायता और बाहरी एजेंसियों से ट्रांजिट घरों की लीज़ ये दोनों व्यवस्था, पर होने वाला पूरा खर्च उन निजी बिल्डरों या हाउसिंग सोसाइटियों से वसूला जाएगा जो संबंधित इमारतों का पुनर्विकास कर रहे हैं. यह वसूली उस दिन से प्रभावी होगी जब से किराया दिया गया हो या घरों की लीज़ शुरू की गई हो.

गौरतलब है कि मुंबई के आईलैंड सिटी क्षेत्र में कुल 13,091 सीज़ इमारतें हैं। MHADA वर्तमान में 20,591 ट्रांजिट टेनेमेंट्स का संचालन करती है, जिनका उपयोग इमारतों की मरम्मत, गिरावट, संकरी जगहों पर पुनर्विकास या सड़क चौड़ीकरण जैसी वजहों से हटाए गए निवासियों को अस्थायी आश्रय देने के लिए किया जाता है. MHADA का यह फैसला न सिर्फ राहत देने वाला है, बल्कि समय पर उठाया गया एक सुरक्षात्मक कदम भी है, जिससे मानसून के दौरान किसी बड़ी त्रासदी से बचा जा सके.

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