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This Article is From May 11, 2022

वैवाहिक बलात्कार अपराध है या नहीं, फैसले पर नहीं पहुंच सकी दिल्ली हाईकोर्ट

जब इस फैसले पर एक सहमति नहीं बन पाई तो दोनों जजों ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट में मामला चले. 

वैवाहिक बलात्कार अपराध है या नहीं, फैसले पर नहीं पहुंच सकी दिल्ली हाईकोर्ट
हाईकोर्ट की 2 जजों की बेंच ने मैरिटल रेप पर फैसला अलग-अलग दिया
नई दिल्ली:

वैवाहिक बलात्कार अपराध (Marital rape) है या नहीं, इस पर दिल्ली हाईकोर्ट में कोई नतीजा नहीं निकल सका. हाईकोर्ट की 2 जजों की बेंच ने मैरिटल रेप पर फैसला अलग-अलग दिया. इस वजह से फैसले पर एक सहमति नहीं बन सकी. जस्टिस शकधर ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध कहा. वहीं जस्टिस हरिशंकर इससे सहमत नहीं हुए. जब इस फैसले पर एक सहमति नहीं बन पाई तो दोनों जजों ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट में मामला चले. 

याचिकाकर्ताओं ने आईपीसी (बलात्कार) की धारा 375 के तहत वैवाहिक बलात्कार को इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह उन विवाहित महिलाओं के साथ भेदभाव करती है, जिनका उनके पतियों द्वारा यौन उत्पीड़न किया जाता है.

आईपीसी के सेक्शन 375 में जो अपवाद है वह वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है और यह दिखाता है कि विवाह में एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध बनाना बलात्कार नहीं है. 
 

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