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मराठा आरक्षण vs ओबीसी रैली: बीड में मुंडे और जरांगे की सभा, एंबुलेंस से कार्यक्रम में पहुंचे मनोज जरांगे

बीड जिले में दशहरा के मौके पर पंकजा मुंडे और मनोज जरांगे की सभा हो रही है. मराठा आरक्षण के विरोध और समर्थन में हो रही इस सभा पर पूरे राज्य की नजर है.

मराठा आरक्षण vs ओबीसी रैली: बीड में मुंडे और जरांगे की सभा, एंबुलेंस से कार्यक्रम में पहुंचे मनोज जरांगे
  • बीड जिले में दशहरा के दिन पंकजा मुंडे और मनोज जरांगे दो बड़े राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं
  • पंकजा मुंडे की सभा मराठा आरक्षण के विरोध में है वहा जरांगे मराठा आरक्षण की मांग करते रहे हैं
  • मनोज जरांगे अस्पताल में भर्ती हैं लेकिन वो सभा स्थल की तरफ निकल पड़े हैं
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मुंबई:

महाराष्ट्र की राजनीति आज दशहरा के मौके पर बीड जिले में दो बड़े राजनीतिक शक्ति-प्रदर्शन की गवाह बनेगी. एक ओर बीजेपी नेता और दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे अपनी परंपरागत दशहरा सभा सावरगांव घाट स्थित भगवान भक्तीगढ़ में आयोजित कर रही हैं, तो दूसरी ओर मराठा आंदोलन का चेहरा बने मनोज जरांगे पाटिल नारायणगढ़ में अपनी विशाल सभा करने जा रहे हैं. दिलचस्प यह है कि इन दोनों सभाओं का मुद्दा आरक्षण ही हैं. 

पंकजा मुंडे की सभा मराठा आरक्षण की मांग के खिलाफ है.  वहीं जरांगे की सभा मराठा एकता और आरक्षण को लेकर निर्णायक ऐलान के मुद्दे पर हो रही है. ऐसे में बीड जिला दशहरा के दिन मराठा बनाम ओबीसी राजनीतिक ध्रुवीकरण का अखाड़ा बन सकता है. 

पंकजा मुंडे करेंगी शक्ति प्रदर्शन

पंकजा मुंडे की दशहरा सभा बीजेपी और ओबीसी राजनीति का पारंपरिक मंच मानी जाती है. यह परंपरा उनके पिता, दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे ने शुरू की थी. इस सभा में पंकजा मुंडे ओबीसी समुदाय के हितों की रक्षा का संदेश देंगी.उनका स्पष्ट रुख है कि सभी मराठों को कुणबी प्रमाणपत्र देकर ओबीसी आरक्षण में शामिल करना न केवल ओबीसी अधिकारों पर चोट है बल्कि उनकी सामाजिक और राजनीतिक ताकत को भी कमजोर करने की साजिश है.

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इस सभा को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि ओबीसी समाज लगातार जरांगे की मांगों का विरोध कर रहा है और पंकजा मुंडे इस विरोध को एक राजनीतिक आंदोलन में तब्दील करने की कोशिश कर रही हैं. 

जरांगे लंबे समय से कर रहे हैं आदोलन

दूसरी तरफ, मराठा आंदोलन का चेहरा बने मनोज जरांगे पाटिल बीड जिले के नारायणगढ़ में अपनी दूसरी बड़ी दशहरा सभा कर रहे हैं. बीते साल शुरू हुई इस परंपरा ने मराठा आंदोलन को नया राजनीतिक स्वरूप दिया. हालांकि तेज बुखार और खराब स्वास्थ्य की वजह से जरांगे को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था, लेकिन वे इसके बावजूद सभा में शामिल होने वाले हैं.

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जरांगे ने मीडिया से कहा, “मैं खड़ा नहीं हो सकता, बोल भी पाऊंगा या नहीं पता नहीं. लेकिन किसानों के लिए लड़ाई का ऐलान जरूर करूंगा.  उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा निर्णय लेकर मराठों को आरक्षण में शामिल करने की दिशा में कदम बढ़ाया है.  उन्होंने कहा कि आज हम किसानों के लिए ऐसी लड़ाई का बिगुल बजाएंगे, जो अब तक कभी नहीं हुआ. 

गौरतलब है कि इधर मुबई में भी शिवसेना के दोनों दल उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना यूबीटी और एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना की तरफ से भी अपना-अपना शक्ति प्रदर्शन किया जाएगा. दोनों ही दलों की तरफ से कार्यक्रम को लेकर पूरी ताकत झोंक दी है. 

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