मुंबई में राजनीतिक दलों को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ सकता है। दरअसल मेट्रो फेज 3 के लिए मंत्रालय के पास बने उनके आलीशान दफ्तरों पर सरकार की नजर है। फिलहाल उन्हें यहां से अस्थाई तौर पर हटाने की योजना है।
विधानभवन मेट्रो स्टेशन के लिए कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना समेत लगभग सभी राजनीतिक दलों के दफ्तर हटेंगे। वैसे सत्ताधारी बीजेपी का प्रदेश कार्यालय इस मार से बच गया है क्योंकि वह प्रस्तावित 33 किलीमीटर लंबी कोलाबा-सीप्ज की मेट्रो लाइन के रास्ते में नहीं पड़ता।
मेट्रो फेज-3 के लिए कांग्रेस का तिलक भवन, एनसीपी का राष्ट्रवादी भवन, शिवसेना का शिवालय, शेतकरी कामगार पार्टी, भारिप बहुजन महासंघ, समाजवादी पार्टी और पीपल्स रिपब्लिकन पार्टी सबके दफ्तर एमएमआरडीए के रेडार पर हैं। इन दफ्तरों को नोटिस भी दिया जा चुका है। नोटिस के मुताबिक सरकार मेट्रो-3 के लिए अस्थाई रूप से इन दफ्तरों की जमीन लेगी क्योंकि इनके नीचे अंडरग्राउंड विधानभवन मेट्रो स्टेशन का निर्माण होगा।
कई राजनीतिक दलों ने अपने दफ्तर को बेहद आलीशान बना लिया है। मसलन एनसीपी का दफ्तर लगभग 6000 वर्ग फीट में बना है। 1999 में बने इस दफ्तर को कुछ सालों पहले कॉरपोरेट लुक दिया गया है। वैसे पार्टी अब शहर को रफ्तार देने के लिए सरकारी काम में ब्रेक नहीं लगाने की बात कह रही है। पार्टी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा, 'हमें नोटिस मिला है। यह योजना हमारे वक्त में ही बनाई गई थी।'
एमएमआरडीए कमिशनर यूपीएस मदान ने बताया है कि सीएम इस बारे में अंतिम फैसला लेंगे। हम इस मामले में पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हैं। इसी इलाके में सत्ताधारी शिवसेना का कार्यालय शिवालय भी है जो करीब 1200 वर्ग फीट में बना है। पार्टी प्रवक्ता अनिल देसाई का कहना है हमें निर्माण से कोई ऐतराज नहीं है लेकिन अधिवेशन के वक्त कई नेता कार्यकर्ता पार्टी दफ्तर में आते हैं। ऐसे में सरकार को देखना चाहिए कि अगर हमें मंत्रालय के आस-पास ही वैकल्पिक जगह मिल जाए।
एमएमआरडीए ने पुराने बैरक के सभी दफ्तरों को चार साल के लिए खाली करने का नोटिस दिया है। 16 जनवरी तक सभी प्रभावित लोग अपनी राय या आपत्ति दे सकते हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता वाली एमएमआरडीए कमिटी मेट्रो का मार्ग तय कर स्टेशन बनाने के बारे में आखिरी फैसला लेगी।
मेट्रो फेज -3 में विधानभवन स्टेशन अंतिम टर्मिनल होगा। पूरी तरह अंडरग्राउंड स्टेशन को बनाने के लिए 80 हजार वर्ग फीट की जगह लगेगी। जमीन के नीचे खुदाई करने के बाद इसको दोबारा पाटकर ऊपर की जगह दोबारा राजनीतिक दलों को दफ्तर के इस्तेमाल के लिए लौटाई जा सकेगी। सालों की देरी से बने मेट्रो फेज वन के बाद राजनीतिक दलों को डर है कि क्या तय समयसीमा में उनके दफ्तर उन्हें वापस मिल सकेंगे।
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