कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि SIR का कानूनी अधिकार चुनाव आयोग के पास नहीं है, लेकिन फिर भी अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो मशीन रिडेबल लिस्ट क्यों नहीं दे देते. उन्होंने एंटी डिफेक्शन कानून पर सवाल उठाए और कहा कि उसमें बार-बार संशोधन हुए. 2014 के बाद तो यह बिल्कुल मेगामार्ट एक्टिविटी बन गया है. कभी एक रिसर्च करवा के देखिए, 1950 से 1985 तक इसी सदन की डिबेट क्वालिटी क्या थी और 1985 से 2025 तक क्या रही.
- ECI की नियुक्ति का कानून बदले. उसमें राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और सीजेआई को शामिल करें.
- SIR बंद करवाइए. पहले अगर किसी ने कानून नहीं देखा, इसका मतलब यह नहीं कि जो हो रहा वह सही है.
- चुनाव से पहले डाइरेक्ट कैश ट्रांसफर बंद होना चाहिए.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में ईवीएम को लेकर कहा कि लोगों के मन में यह शंका है कि क्या ईवीएम मैनुपुलेट किया जा सकता है. इस शंका को दूर करने के दो ही तरीके हैं, एक ये कि सौ फीसदी वीवीपैट हों या दूसरा पेपर बैलट से चुनाव हों. सरकार को पहले तो यह बताना चाहिए कि ईवीएम का सोर्स कोड किसके पास है. यह चुनाव आयोग के पास है या उन कंपनियों के पास है. मनीष तिवारी ने चुनाव के समय पैसा लोगों के खाते में भेजे जाने पर भी सवाल उठाए और कहा कि यह लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ है. यह भारत सरकार के राजस्व के साथ भी खिलवाड़ है. उन्होंने केंद्र से लेकर राज्यों तक, सरकारों की देनदारियों के आंकड़े गिनाए और कहा कि संसद को लिमिट तय करनी चाहिए. एक आर्टिकल जोड़कर यह प्रस्ताव करना चाहिए कि जिसका जीडीपी रेशियो 20 फीसदी से ज्यादा है. वह सरकार कोई कैश ट्रांसफर नहीं कर सकती. इसे बहुत गंभीरता से सदन को अपने संज्ञान में लेना चाहिए. नहीं तो कोई राज्य सरकार बदलेगी ही नहीं. आपके सूबे का कर्जा और ऊपर चढ़ता जाएगा. यह किस तरह का देश बना रहे हैं आप. ये चुनाव जीतना, ये सरकार बनाना... हमसे पहले बहुत लोग आए, बाद में भी आएंगे. हम किस तरह का देश छोड़ना चाहते हैं.
'राजीव गांधी ने किया सबसे बड़ा चुनाव सुधार'
मनीष तिवारी ने चुनाव सुधार पर डिबेट की शुरुआत करते हुए कहा कि लोकतंत्र में दो सबसे बड़े भागीदार हैं- 98 करोड़ मतदाता और राजनीतिक दल. एक न्यूट्रल अंपायर की जरूरत महसूस हुई और चुनाव आयोग का गठन हुआ. उन्होंने कहा कि इस देश में सबसे बड़ा चुनाव सुधार राजीव गांधी की सरकार ने किया पिछले 78 साल में, जब उन्होंने 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को मतदान का अधिकार दिया. मनीष तिवारी ने कहा कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर आज सवाल उठ रहे हैं. चुनाव सुधार की जो सबसे पहली जरूरत है, वह 2023 में बने कानून में सुधार की है. इसमें दो और सदस्य जोड़े जाने चाहिए. चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की कमेटी में दो लोग सरकार से, दो लोग विपक्ष से रहने चाहिए और एक सीजेआई को रखना चाहिए. ऐसा होगा तो ठीक से खेला होबे.
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