मणिपुर (Manipur) के जिरीबाम जिले में संदिग्ध उग्रवादियों द्वारा घात लगातार किए गए हमले में एक सीआरपीएफ जवान शहीद (CRPF Jawan Killed) हो गया. सीआरपीएफ और पुलिस के संयुक्त गश्ती दल पर संदिग्ध उग्रवादियों ने हमला किया था. साथ ही हमले में दो पुलिस कमांडो घायल भी हुए हैं. पुलिस के मुताबिक, संयुक्त गश्ती दल पर असम की सीमा से लगे जिले में संदिग्ध उग्रवादियों ने भारी गोलीबारी की. जिस वक्त संदिग्ध उग्रवादियों ने गोलीबारी शुरू की गई, उस वक्त सीआरपीएफ जवान एक गश्ती एसयूवी के पास चल रहा था.
घटनास्थल से सामने आए दृश्यों में एसयूवी पर कई गोलियों के छेद हैं और पीछे की विंडशील्ड टूटी नजर आ रही है. वाहन के अंदर मौजूद दो पुलिस कमांडो को भी गोली लगी है. प्रदेश की राजधानी इंफाल से करीब 220 किलोमीटर दूर जिरीबाम से फोन पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, "हमने प्रभावी गोलीबारी की. उग्रवादी जंगल की आड़ लेकर भाग गए. तलाशी अभियान जारी है."
CM एन बीरेन सिंह ने कुकी उग्रवादियों पर जताया संदेह
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक्स पर एक पोस्ट में हमले की निंदा की है. उन्होंने कहा, "मैं जिरीबाम जिले में आज कुकी उग्रवादियों के संदेह वाले एक सशस्त्र समूह द्वारा किए गए हमले में सीआरपीएफ जवान की हत्या की कड़ी निंदा करता हूं. कर्तव्य के पथ पर उनका सर्वोच्च बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. मैं मृतक सैनिक के शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं, साथ ही हमले के दौरान घायल हुए लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं." कहा है.
I strongly condemn the killing of a CRPF personnel in an attack carried out by an armed group, suspected to be Kuki militants, in Jiribam district today.
— N. Biren Singh (@NBirenSingh) July 14, 2024
His supreme sacrifice in the line of duty shall not go in vain. I further extend my sincere condolences to the bereaved…
इस हमले से पहले मैतेई समुदाय और हमार जनजातियों के बीच झड़पों के बाद हालिया हफ्तों में जिरीबाम में तनाव काफी बढ़ गया था.
जिरीबाम में पिछले महीने हुई थी झड़पें
मई 2023 में मैतेई-कुकी जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से जिले में एक साल से अधिक समय तक हिंसा नहीं देखी गई. हालांकि पिछले महीने जिरीबाम में झड़पें हुईं, जिससे दोनों समुदायों के एक हजार से अधिक लोगों को राहत शिविरों में रहना पड़ रहा है.
मणिपुर की दूसरी लाइफ लाइन राष्ट्रीय राजमार्ग 37 है, जो इंफाल को असम के कछार से जोड़ता है. यह जिरीबाम से होकर गुजरता है. वहीं मुख्य लाइफ लाइन मणिपुर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 2 है. यह कुकी समुदाय के प्रभुत्व वाले कांगपोकपी जिले में अवरुद्ध है. यह राष्ट्रीय राजमार्ग नागालैंड से होते हुए असम तक जाता है. कुकी जनजातियों का यह भी आरोप है कि मैतेई समुदाय ने सभी आवश्यक वस्तुओं और मालवाहक ट्रकों को उन पहाड़ी इलाकों में जाने से रोक दिया है, जहां वे रहते हैं.
जातीय हिंसा में 200 से ज्यादा मौतें, 50 हजार विस्थापित
घाटी में प्रभुत्व रखने वाले मैतेई समुदाय और कुकी नाम से मशहूर करीब दो दर्जन जनजातियों के बीच जातीय हिंसा में 220 से अधिक लोगों की जान ले ली है और करीब 50 हजार लोग विस्थापित हुए हैं. कुकी औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों द्वारा दिया गया एक शब्द है, जो पहाड़ी इलाकों में रहते हैं.
सामान्य श्रेणी के मैतेई अनुसूचित जनजाति में शामिल होना चाहते हैं, वहीं पड़ोसी म्यांमार के चिन राज्य और मिजोरम के लोगों के साथ जातीय संबंध साझा करने वाली करीब दो दर्जन जनजातियां भेदभाव के साथ ही संसाधनों और शक्ति में मैतेई के मुकाबले असमानता का हवाला देकर एक अलग प्रशासनिक व्यवस्था चाहती हैं.
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