
2014 बैच के बर्खास्त IPS अधिकारी मणिलाल पाटीदार, जो महोबा के एक व्यापारी की आत्महत्या के लिए उकसाने और भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी हैं, को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल जमानत नहीं मिली है. जस्टिस एस वी एन भट्टी की बेंच ने यूपी सरकार को एक अर्जी पर जवाब दाखिल करने के लिए और समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई 2025 को निर्धारित की है.
क्या है पूरा मामला?
मणिलाल पाटीदार पर सितंबर 2020 में महोबा जिले के क्रशर व्यवसायी इंद्रकांत त्रिपाठी से रिश्वत मांगने, उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है. त्रिपाठी ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी, जिसके बाद पाटीदार के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया. हालांकि, विशेष जांच दल (SIT) की जांच के बाद हत्या का आरोप हटा लिया गया, लेकिन आत्महत्या के लिए उकसाने और भ्रष्टाचार के आरोप बरकरार रहे.
पाटीदार लगभग दो साल तक फरार रहे और इस दौरान यूपी पुलिस ने उन पर एक लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया था. 2022 में पाटीदार ने अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण) की कोर्ट में सरेंडर किया, और तब से वह जेल में बंद हैं.उसी साल केंद्र सरकार के अनुमोदन के बाद यूपी सरकार ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया.
वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने रखा पक्ष
पाटीदार की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि उनके मुवक्किल तीन साल से अधिक समय से जेल में हैं और अभी तक इस मामले में आरोप भी तय नहीं हुए हैं. उन्होंने जमानत की मांग करते हुए कहा कि लंबे समय तक हिरासत में रखना उचित नहीं है.
दूसरी ओर, यूपी सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) नटराजन ने जमानत का कड़ा विरोध किया. उन्होंने तर्क दिया कि पाटीदार एक पूर्व IPS अधिकारी हैं और इस मामले में ज्यादातर गवाह पुलिस कर्मचारी हैं. यदि उन्हें जमानत दी गई, तो वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. ASG ने कोर्ट से सरकार को निर्देश लेने के लिए अतिरिक्त समय देने की मांग की.
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