- ममता बनर्जी ने जलपाईगुड़ी में बीएलओ की मौत पर चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया पर अमानवीय दबाव का आरोप लगाया.
- ममता बनर्जी ने 2026 विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की SIR कार्रवाई को अनियोजित और अत्यधिक थकावट वाला बताया.
- TMC ने कहा कि लंबी ड्यूटी और दबाव के कारण कई बीएलओ का स्वास्थ्य खराब हो चुका है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को जलपाईगुड़ी के माल क्षेत्र में एक बूथ स्तर अधिकारी (BLO) की मौत पर चिंता जताते हुए आरोप लगाया कि SIR ने क्षेत्र के कर्मचारियों पर 'अमानवीय' दबाव डाल दिया है, जिसकी वजह से अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है. सीएम बनर्जी ने दावा किया कि मृत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बीएलओ के रूप में काम कर रही थी. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की एसआईआर की कवायद के 'असहनीय दबाव' के चलते उसने आत्महत्या कर ली. वहीं बीजेपी ने उनके आरोपों पर पलटवार किया है.
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मौतों पर ममता बनर्जी की चेतावनी
सीएम ममता बनर्जी ने 'एक्स' पर जारी बयान में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग द्वारा सौंपे गए कार्य की निंदा कर इसे 'अनियोजित, अथक कार्यभार' की संज्ञा दी. उन्होंने आयोग से 'विवेक से काम करने' और इस अभियान को तत्काल निलंबित करने की भी अपील की. सीएम ममता बनर्जी ने इसके साथ ही चेतावनी दी है कि अगर वर्तमान गति से एसआईआर का काम जारी रहा तो और मौतें हो सकती हैं.
Deeply shocked and saddened.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) November 19, 2025
Today again, we lost a Booth Level Officer in Mal, Jalpaiguri — Smt Shanti Muni Ekka, a tribal lady, an anganwadi worker who took her own life under the unbearable pressure of the ongoing SIR work.
28 people have already lost their lives since SIR…
तृणमूल कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि लंबी ड्यूटी के घंटे, यात्रा संबंधी जरूरतों और समय सीमा पूरी करने के दबाव की वजह से कई बीएलओ का स्वास्थ्य खराब हो चुका है. हालांकि ममता बनर्जी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
सीएम ममता बनर्जी के आरोपों पर बीजेपी विधायक शंकर घोष ने कहा कि सीएम बनर्जी आदतन झूठ बोलती हैं. उनके इस तरह के बेबुनियाद आरोपों के खिलाफ चुनाव आयोग को जांच शुरू करनी चाहिए. क्योंकि हमारे देश के 12 राज्यों में SIR का काम चल रहा है और इनमें से किसी भी राज्य में कोई घटना सामने नहीं आई है, लेकिन बंगाल में हमारी मुख्यमंत्री लगातार SIR से बचने की कोशिश कर रही हैं.ऐसा करना उन्हें शोभा नहीं देता.
#WATCH | Siliguri: On West Bengal CM Mamata Banerjee's tweet, BJP MLA Sankar Ghosh says, "Our chief minister is a habitual liar. Whenever she makes such baseless allegations, the Election Commission should initiate an investigation against her. Because SIR work has been ongoing… pic.twitter.com/pb9733Hqbs
— ANI (@ANI) November 19, 2025
TMC के शिविरों में BLO पर अवैध SIR का आरोप
इस बीच बीजेपी ने टीएमसी पर ही गंभीर आरोप लगाए हैं. बीजेपी ने मंगलवार को चुनाव आयोग से शिकायत करते हुए कहा कि टीएमसी के कंट्रोल वाले सामुदायिक भवनों से बीएलओ अवैध एसआईआर कर रहे हैं. उन्होंने ऐसे शिविरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की. बीजेपी ने दावा किया कि यह कवायद पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की निष्पक्षता का उल्लंघन है.
बीजेपी नेता शिशिर बाजोरिया ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखे एक पत्र में इसे चुनाव आयोग के मानदंडों का ‘‘गंभीर और संगठित उल्लंघन'' बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के कई हिस्सों में बीएलओ अनिवार्य रूप से घर-घर जाकर सत्यापन करने के बजाय राजनीतिक नियंत्रण वाले परिसरों से एसआईआर संबंधी गतिविधियां संचालित कर रहे हैं.
बीजेपी नेता शिशिर बाजोरिया ने क्या कहा?
बजोरिया ने विधाननगर विधानसभा क्षेत्र में प्रसारित एक कथित निर्देश की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिसमें पार्ट-133 के मतदाताओं को सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे के बीच फॉर्म भरकर, परिवार के सभी सदस्यों के मूल मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड लेकर सत्यापन के लिए एक सामुदायिक भवन में आने का निर्देश दिया गया है.
पत्र में लिखा है कि पार्ट-133 के बीएलओ और बीएलए सामुदायिक भवन में मौजूद रहेंगे. परिवार का कोई एक सदस्य सभी के मूल मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड लेकर आएगा, जो सत्यापन के बाद वापस कर दिए जाएंगे. बीजेपी नेता ने दावा किया कि संबंधित सामुदायिक भवन ‘‘तृणमूल के एक मंत्री और नगरपालिका अध्यक्ष के नियंत्रण में'' है और उन्होंने एसआईआर में राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया. उन्होंने मांग की कि निर्वाचन आयोग कोलकाता के पास विधाननगर में लगे शिविर से शुरुआत करते हुए, राजनीतिक रूप से आयोजित ऐसे सभी एसआईआर शिविरों को तुरंत बंद करे. बीजेपी के इन आरोपों पर अब तक चुनाव आयोग या टीएमसी की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
इनपुट- भाषा के साथ
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