कलकत्ता हाई कोर्ट ने (Calcutta High Court) पश्चिम बंगाल में 37 वर्गों को दिए गए ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) आरक्षण (OBC Reservation Cancel) रद्द क्या किया, सीएम ममता बनर्जी बगावत पर उतर आईं. सीएम बनर्जी अदालत के फैसले को मानने को ही तैयार नहीं हैं.उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि ओबीसी दर्जा रद्द करने और ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द करने का अदालत का फैसला उनको स्वीकार्य नहीं है. दमदम लोकसभा क्षेत्र के खड़दह में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी के तेवर काफी आक्रामक रहे.बता दें कि कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले से बंगाल में मुस्लिमों के करीब 5 लाख OBC सर्टिफिकेट रद्द होंगे.
ममता दीदी ने हाई कोर्ट के इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती देने का संकेत दिया. इसके साथ ही अपनी आवाज को बुलंद करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि वह अदालत का सम्मान करती हैं, लेकिन मुस्लिमों को ओबीसी आरक्षण से बाहर रखने वाले फैसले को वह स्वीकर नहीं करेंगी. ममता बनर्जी का एक वीडियो बीजेपी नेता अमित मालवीय ने अपने एक्स हैंडल पर शेयर किया है, जिसमें वह अदालत की बात मानने से साफ इनकार करती नजर आ रही हैं.
Stung by Calcutta High Court's order scrapping Muslim reservation under OBC sub-quota, Mamata Banerjee, it seems has decided to precipitate a Constitutional crisis.
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) May 22, 2024
She refuses to accept the verdict and attacked the judges of the High Court. Calls it a ‘BJP order' and vows that… pic.twitter.com/op8gCogMcA
OBC आरक्षण पर ममता बनर्जी के सख्त तेवर
ममता बनर्जी का कहना है कि पश्चिम बंगाल में ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा, क्योंकि इससे संबंधित विधेयक संविधान की रूपरेखा के भीतर पारित किया गया था.
OBC आरक्षण रोके जाने का आरोप भी बीजेपी पर
सीएम ममता बनर्जी ने आरक्षण रोके जाने का आरोप भी बीजेपी पर मढ़ दिया. उन्होंने कहा कि बीजेपी केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर ओबीसी आरक्षण को रोकने की साजिश कर रही है. उन्होंने कहा, "कुछ लोग ओबीसी के हितों पर कुठाराघात करने के लिए अदालत गए और उन्होंने याचिकाएं दायर कीं, तब यह घटनाक्रम सामने आया है. बीजेपी इतना दुस्साहस कैसे दिखा सकती है?". इसके साथ ही दीदी ने बीजेपी से सवाल किया कि क्या सरकार उसके द्वारा चलायी जाएगी या फिर अदालत के. ममता बनर्जी का आरोप है कि संदेशखाली में अपनी साजिश में विफल हो जाने के बाद अब बीजेपी नयी साजिश रच रही है.
अमित शाह का ममता दीदी पर पलटवार
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर हमलावर नजर आए. उन्होंने बुधवार को ममता बनर्जी पर वोट बैंक की राजनीति के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने और घुसपैठियों को राज्य की जनसांख्यिकी बदलने की अनुमति देकर 'पाप करने का' आरोप लगाया. शाह ने यहां तक कह दिया कि बंगाल में बीजेपी के 30 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के बाद तृणमूल कांग्रेस बिखर जाएगी और ममता बनर्जी सरकार की विदाई हो जाएगी.
शाह ने कहा कि ममता बनर्जी अपने वोट बैंक की तुष्टीकरण के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध कर रही हैं. शाह ने यहां तक कह दिया, ''टीएमसी को घुसपैठियों से प्यार है और सीएए पर वार, घुसपैठिए टीएमसी का 'वोट बैंक' हैं."
क्या है OBC आरक्षण रद्द करने का मामला?
कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में कई वर्गों को दिया गया ओबीसी का दर्जा रद्द कर दिया. साथ साल 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाण पत्रों को रद्द कर दिया. अदालत ने कहा कि राज्य में सेवाओं और पदों में रिक्तियों में 2012 के एक अधिनियम के तहत ऐसा आरक्षण गैरकानूनी है. हाई कोर्ट ने अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया कि जिन वर्गों का ओबीसी दर्जा हटाया गया है, उसके सदस्य अगर पहले से ही सेवा में हैं या आरक्षण का लाभ ले चुके हैं या राज्य की किसी चयन प्रक्रिया में सफल हो चुके हैं, तो उनकी सेवाएं इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगी.
OBC सर्टिफिकेट पर अदालत ने क्या कहा?
अदालत के इस फैसले से उन लोगों को बड़ी राहत मिली है जो ओबीसी सर्टिफिकेट के आधार पर आरक्षण पाकर नौकरी कर रहे हैं. हाई कोर्ट की बेंच ने कहा कि राजनीतिक उद्देश्य के लिए मुस्लिमों के कुछ वर्गों को ओबीसी आरक्षण दिया गया. यह लोकतंत्र और पूरे समुदाय का अपमान है. अदालत ने अपनी टिप्पणी ने ये भी कहा कि इन समुदायों को आयोग ने जल्दबाजी में इसलिए ओबीसी आरक्षण दिया, क्यों कि ये सीएम ममता बनर्जी का चुनावी वादा था. सत्ता में लौटते ही इस वादे को पूरा करने के लिए असंवैधानिक तरीके से आयोग ने आरक्षण की रेबड़ियां बांटीं.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 2010 में बंगाल में पिछड़े मुस्लिमों के लिए 10% आरक्षण की घोषणा के छह महीने के भीतर, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने 42 समुदायों को ओबीसी के रूप में अनुशंसित किया, जिनमें से 41 समुदाय मुस्लिम थे. सिफारिश के बाद, राज्य ने तुरंत इन समुदायों को सूची में शामिल कर लिया. इसके बाद, 11 मई, 2012 में राज्य में 35 वर्गों (ओबीसी-ए श्रेणी में 9 और ओबीसी-बी में 26) को शामिल किया गया. कोर्ट ने कहा कि ममता बनर्जी के चुनावी वादे को पूरा करने के लिए आयोग ने जल्दबाजी में आरक्षण दे दिया.
कोर्ट के फैसले का क्या होगा असर?
अदालत का यह फैसला ममता सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. ममता सरकार ने साल 2012 में एक कानून लागू किया था. इस कानून में ओबीसी वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान था. कोर्ट ने 2012 के उस कानून के एक प्रावधान को भी रद्द कर दिया है. इनमें कई जातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग शामिल था. अदालत के फैसले का असर करीब 5 लाख लोगों पर होगा. ममता सरकार के वोट बैंक पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है. सरकार के वादे के मुताबिक, जिन लोगों को आरक्षण का फायदा मिल रहा था, वह अब नहीं मिलेगा तो इन समुदायों की ममता सरकार से नाराजगी तो निश्चित है. इसका असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है. ममता सरकार को मुस्लिम समुदायों की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है.
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