तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता (फाइल फोटो)
चेन्नई:
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि एमबीबीएस और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए साझा प्रवेश परीक्षा नीट अपनाने के लिए राज्य को भविष्य में भी ‘मजबूर नहीं किया जाए’ क्योंकि इसके क्रियान्वयन से राज्य की कुछ नीति संबंधी पहलें और सामाजिक-आर्थिक उद्देश्य ‘निर्थक’ हो जाएंगे।
छात्रों एवं उनके माता-पिता को दी है राहत...
जयललिता ने इस अकादमिक वर्ष में नीट से छूट देने वाले अध्यादेश की ‘त्वरित घोषणा’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए मंगलवार को कहा कि इसने कुछ समय के लिए उन लाखों छात्रों एवं उनके माता-पिता को मानसिक पीड़ा, तनाव एवं चिंता से राहत दी है, जो राज्य के कोटा से मौजूदा वर्ष में चिकित्सकीय पाठ्यक्रम में प्रवेश पाना चाहते हैं। उन्होंने मंगलवार को पीएम मोदी को एक पत्र लिखा था।
स्थिति अन्य राज्यों से विशिष्ट एवं अलग है...
जयललिता ने आज (बुधवार) जारी किए गए पत्र में कहा कि यह अध्यादेश मौजूदा वर्ष में इस समस्या से अस्थायी रूप से निपटेगा लेकिन तमिलनाडु की ‘स्थिति अन्य राज्यों से विशिष्ट एवं अलग है।’ उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने चिकित्सकीय सीटों के लिए दाखिला प्रणाली को व्यवस्थित करने के वास्ते वर्ष 2005 से कई कदम उठाए हैं और एक विधेयक के जरिए प्रवेश परीक्षाओं को भी समाप्त कर दिया गया है, जिसे अदालत ने भी बरकरार रखा है।
छात्रों एवं उनके माता-पिता को दी है राहत...
जयललिता ने इस अकादमिक वर्ष में नीट से छूट देने वाले अध्यादेश की ‘त्वरित घोषणा’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए मंगलवार को कहा कि इसने कुछ समय के लिए उन लाखों छात्रों एवं उनके माता-पिता को मानसिक पीड़ा, तनाव एवं चिंता से राहत दी है, जो राज्य के कोटा से मौजूदा वर्ष में चिकित्सकीय पाठ्यक्रम में प्रवेश पाना चाहते हैं। उन्होंने मंगलवार को पीएम मोदी को एक पत्र लिखा था।
स्थिति अन्य राज्यों से विशिष्ट एवं अलग है...
जयललिता ने आज (बुधवार) जारी किए गए पत्र में कहा कि यह अध्यादेश मौजूदा वर्ष में इस समस्या से अस्थायी रूप से निपटेगा लेकिन तमिलनाडु की ‘स्थिति अन्य राज्यों से विशिष्ट एवं अलग है।’ उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने चिकित्सकीय सीटों के लिए दाखिला प्रणाली को व्यवस्थित करने के वास्ते वर्ष 2005 से कई कदम उठाए हैं और एक विधेयक के जरिए प्रवेश परीक्षाओं को भी समाप्त कर दिया गया है, जिसे अदालत ने भी बरकरार रखा है।
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