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This Article is From Oct 13, 2023

स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की पोल खोलता नांदेड का सरकारी अस्‍पताल, 12 दिन में 127 मौतें, कितना हुआ सुधार?

प्रशासन का कहता है कि डेथ रेट नहीं बढ़ी है. दूसरे जिले और अस्पतालों से आए लास्ट स्टेज के बेहद गम्भीर मरीजों की मौत के कारण संख्या बढ़ी दिखती है.

अस्‍पताल परिसर में बिना रोकटोक घूमते सूअर की तस्वीर भी नहीं बदली है. (फाइल)

मुंबई:

महाराष्‍ट्र (Maharashtra) के नांदेड में सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्‍पताल में एक से 12 अक्‍टूबर के बीच 127 मरीजों की मौत हुई है. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलते नांदेड के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कितना सुधरा हुआ है? एनडीटीवी की फिर से हुई पड़ताल बता रही है कि इन मौतों में 46 नवजात शामिल हैं. अस्पताल के अंदर और बाहर की गंदगी आज भी कायम है और दवाओं की कमी की शिकायत कुछ परिजन आज भी कर रहे हैं. 

48 घंटों में 31 मरीजों की मौत से पूरे स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलने वाले महाराष्ट्र के इस नांदेड सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कुछ मरीजों के परिजन आज भी दवा के लिए बाहर भटक रहे हैं. आज भी सुअर अस्पताल परिसर में आजादी से घूम रहे हैं. वॉर्ड के शौचालयों की गंदगी आज भी बरकरार है और मौत के आंकड़े आज भी परेशान करने वाले हैं. 

महाराष्‍ट्र के इस अस्‍पताल में एक अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक यहां 127 मौतें हो चुकी हैं. इनमें 46 बच्चे और नवजात हैं. इनमें से 25 लड़कियां और 21 लड़के हैं. 

इसे लेकर प्रशासन का कहता है कि डेथ रेट नहीं बढ़ी है. दूसरे जिले और अस्पतालों से आए लास्ट स्टेज के बेहद गम्भीर मरीजों की मौत के कारण संख्या बढ़ी दिखती है. नांदेड अस्‍पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ गणेश मनूरकर के मुताबिक, निजी अस्‍पतालों से जो गंभीर पेशेंट नहीं संभलते हैं, उन्‍हें यहां पर लाया जाता है. अभी जिनकी मौत हुई, वो भी ऐसे ही आए. जब निजी या दूसरे अस्पताल हाथ उठा देते हैं तो मरीजों को यहां लाया जाता है. इसलिए संख्या बढ़ी दिखती है,  लेकिन वैसे आप देखें तो डेथ रेट नहीं बढ़ा है. 

"क्‍यों आए हम किसी सरकारी अस्‍पताल में?"

ठाणे जिले के मोइनुद्दीन शेख अपनी बीवी का इलाज कराने नांदेड के इस सरकारी अस्पताल पहुंचे. उन्‍हें पूरी दवा नहीं मिली.  मोइनुद्दीन शेख ने बताया कि कहां से लाऊं गोली आप बताओ, क्‍यों आए फिर हम किसी सरकारी अस्पताल में. 

"प्रशासन को कुछ करना चाहिए, जिधर देखो उधर गंदगी"

बदबूदार गंदे पड़े शौचालयों और परिसर में बिना रोकटोक घूमते सूअर की तस्वीर भी नहीं बदली है. एक शख्‍स ने कहा कि यहां पर मेरे पिताजी भर्ती हैं, हम यहां खाते हैं. जानवर हमारा खाना छीनकर भाग जाते हैं. प्रशासन को कुछ करना चाहिए. जिधर देखो, उधर गंदगी है. 

"क्षमता 500 बेड की और मरीज हजार से ज्‍यादा"

नांदेड अस्‍पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ. गणेश मनूरकर ने कहा कि क्षमता पाँच सौ बेड की और मरीज हज़ार से ऊपर तो सफाई के लिए स्टाफ की दिक्‍कत आती है, लेकिन काम हो रहा है. बात रही दवाई कि तो ओपीडी में मिलने वाली कुछ दवा की बस थोड़ी कमी है. नहीं तो कलेक्टर से अच्छा स्टॉक दवा का आया है. डोनेशन भी मिला है. 

हाईकोर्ट ने मुद्दे को गंभीरता से लेने के दिए थे निर्देश 

नांदेड मौतों पर सख्‍त हाईकोर्ट ने सरकार को अस्पताल के डॉक्टरों और पैरा मेडिकल कर्मचारियों की समस्या का उचित हल निकालने के साथ ही दवाओं और अन्य चिकित्सा उपकरणों की खरीद के मुद्दे को गंभीरता से लेने के लिए कहा है. मौतों के मामलों की जांच के लिए राज्य स्तरीय समिति काम कर रही है. साथ ही सीएम एकनाथ शिंदे ने भी भरोसा दिया है कि इन मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.

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