प्रतीकात्मक फोटो
मुंबई:
महाराष्ट्र सरकार मुंबई में बिजली मुहैया कराने वाली निजी कंपनियों का ऑडिट कराएगी। राज्य के ऊर्जा मंत्री चन्द्रशेखर बावनकुले ने महाराष्ट्र विधानसभा को आज यह जानकारी दी।
महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र जारी
महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र मुंबई में चल रहा है। इस दौरान विधानसभा में मुंबई के बिजली उपभोक्ताओं के लिए समान बिजली दरों को लागू करने का प्रश्न बीजेपी विधायक आशीष शेलार ने उठाया। शेलार का कहना था कि शहर में चार बिजली कम्पनियां हैं और शुरुआती 100 यूनिट बिजली इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों के लिए इन सभी के लिए दर अलग-अलग हैं। इसमें समानता लानी होगी।
बिजली दरों में समानता लाने के लिए कटिबद्ध सरकार
बहस के जवाब में ऊर्जा मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि मुंबई की बिजली दरों में समानता लाने के लिए सरकार कटिबद्ध है। टाटा पॉवर और बेस्ट इन बिजली कंपनियों ने शुरुआती 100 यूनिट के इस्तेमाल के लिए एक सामान दर रखने की तैयारी दिखाई है। जबकि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर इसके लिए तैयार नहीं। कंपनी का दावा है कि बिजली की दरों में समानता लाने से उसे 150 करोड़ रुपए का घाटा होगा।
कैग की मदद से कराया जाएगा ऑडिट
ऊर्जा मंत्री ने आगे बताया कि ऐसे में राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि CAG की मदद से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और TATA की बिजली कंपनियों का ऑडिट होगा। इससे इन बिजली कंपनियों के इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ आमदनी और खर्च के हिसाब की जांच होगी। उपभोक्ता को सस्ती बिजली देने में आनाकानी करना और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी बताना ऑडिट कराने के पीछे के मुख्य कारण बताए जा रहे हैं।
मुंबई में कुल चार बिजली कम्पनियां सेवाएं दे रही हैं। इनमें टाटा पॉवर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर निजी कंपनियां हैं। जबकि बेस्ट और महावितरण सरकारी कम्पनियां हैं।
महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र जारी
महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र मुंबई में चल रहा है। इस दौरान विधानसभा में मुंबई के बिजली उपभोक्ताओं के लिए समान बिजली दरों को लागू करने का प्रश्न बीजेपी विधायक आशीष शेलार ने उठाया। शेलार का कहना था कि शहर में चार बिजली कम्पनियां हैं और शुरुआती 100 यूनिट बिजली इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों के लिए इन सभी के लिए दर अलग-अलग हैं। इसमें समानता लानी होगी।
बिजली दरों में समानता लाने के लिए कटिबद्ध सरकार
बहस के जवाब में ऊर्जा मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि मुंबई की बिजली दरों में समानता लाने के लिए सरकार कटिबद्ध है। टाटा पॉवर और बेस्ट इन बिजली कंपनियों ने शुरुआती 100 यूनिट के इस्तेमाल के लिए एक सामान दर रखने की तैयारी दिखाई है। जबकि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर इसके लिए तैयार नहीं। कंपनी का दावा है कि बिजली की दरों में समानता लाने से उसे 150 करोड़ रुपए का घाटा होगा।
कैग की मदद से कराया जाएगा ऑडिट
ऊर्जा मंत्री ने आगे बताया कि ऐसे में राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि CAG की मदद से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और TATA की बिजली कंपनियों का ऑडिट होगा। इससे इन बिजली कंपनियों के इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ आमदनी और खर्च के हिसाब की जांच होगी। उपभोक्ता को सस्ती बिजली देने में आनाकानी करना और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी बताना ऑडिट कराने के पीछे के मुख्य कारण बताए जा रहे हैं।
मुंबई में कुल चार बिजली कम्पनियां सेवाएं दे रही हैं। इनमें टाटा पॉवर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर निजी कंपनियां हैं। जबकि बेस्ट और महावितरण सरकारी कम्पनियां हैं।
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