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महाराष्ट्र के किसान ने दुनिया में बजाया डंका, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने सिद्धेश सकोरे को "लैंड हीरो" नामित किया

Who is Siddhesh Sakore : सिद्धेश सकोरे किसान होने के साथ मैकेनिकल इंजीनियर भी हैं. वह भूमि क्षरण पर काम कर रहे हैं और महाराष्ट्र से आते हैं.

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महाराष्ट्र के किसान ने दुनिया में बजाया डंका, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने सिद्धेश सकोरे को "लैंड हीरो" नामित किया
सिद्धेश सकोरे समेत महज दुनिया के 10 लोगों को लैंड हीरो नामित किया गया है.

महाराष्ट्र के किसान और एग्रो रेंजर्स (AGRO RANGERS) के संस्थापक सिद्धेश सकोरे (Siddhesh Sakore) को संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (UNCCD) ने लैंड हीरो नामित किया है. विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा दिवस (World Desertification and Drought Day) के मौके पर यूएनसीसीडी ने रविवार को जर्मनी के बॉन में एक कार्यक्रम में 10 लैंड हीरो के नामों की घोषणा की. सिद्धेश सकोरे के अलावा, अन्य लैंड हीरो ब्राजील, कोस्टा रिका, जर्मनी, माली, मोल्दोवा, मोरक्को, फिलीपींस, अमेरिका और जिम्बाब्वे से हैं.

कौन हैं सिद्धेश सकोरे?

किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले सिद्धेश सकोरे के पास मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री है. वर्डप्रेस पर उनकी वेबसाइट पर लिखा है, "मुझे प्राकृतिक खेती का शौक है और अपशिष्ट प्रबंधन में तकनीकी विशेषज्ञता है. विज्ञान आश्रम में, मैंने जैविक कचरे को खाद में बदलने के लिए कई कम लागत वाले मैकेनिकल डिवाइसेज विकसित किए हैं. मैंने समाज की वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए कई सामाजिक इनोवेशंस किए हैं. "

यूएनसीसीडी ने क्या कहा?

यूएनसीसीडी ने अपने उद्धरण में कहा, "सिद्धेश को कृषि भूमि पर मिट्टी के क्षरण की समस्याओं को हल करने का शौक है. वह नवीन कृषि वानिकी मॉडल के माध्यम से अपने समुदाय के छोटे और सीमांत किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं." सिद्धेश सकोरे ने कहा, "किसान समुदाय में बड़े होते हुए, मैंने दुख और गरीबी देखी है, जो महाराष्ट्र में एक किसान का अपरिहार्य भाग्य प्रतीत होता है." उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट और जहरीले रसायनों के उपयोग के कारण अस्थिर खेती होती है. तरीकों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव भी किसानों पर भारी बोझ डालते हैं.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, "इस वर्ष के विश्व दिवस का फोकस हमें याद दिलाता है, हमें "भूमि के लिए एकजुट" होना चाहिए. सरकारों, व्यवसायियों, शिक्षाविदों, समुदायों और अन्य को एक साथ आना चाहिए और कार्य करना चाहिए. हम जानते हैं कि हमें क्या करने की आवश्यकता है."

 यूएनसीसीडी ने कहा कि भूमि क्षरण दुनिया की 40 प्रतिशत भूमि और दुनिया की लगभग आधी आबादी को प्रभावित करता है, जिसकी सबसे अधिक लागत ग्रामीण परिवार, छोटे किसान और विशेष रूप से युवा और महिलाओं द्वारा वहन की जाती है, जो इसे कम से कम वहन कर सकते हैं. विकासशील देशों में रहने वाले एक अरब से अधिक युवा भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं. इसमें कहा गया है कि भूमि बहाली में युवाओं को शामिल करने से अगले 15 वर्षों में आवश्यक अनुमानित 600 मिलियन नौकरियां पैदा हो सकती हैं, जो आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों में योगदान देंगी.

चार फुटबॉल मैदानों के बराबर हर सेकेंड भूमि क्षरण

जर्मनी के संघीय गणराज्य के राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर ने कहा, "अच्छी मिट्टी, सुरक्षित भोजन और साफ पानी से अधिक महत्वपूर्ण, अधिक बुनियादी कुछ भी नहीं है. तो आइए एक साथ काम करें! और आइए यह सुनिश्चित करने के लिए युवाओं को शामिल करें कि हमारे आज के फैसले उनके कल के अच्छे भविष्य को सुनिश्चित करते हैं." यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियाव ने कहा, "हमारी भूमि का भविष्य हमारे ग्रह का भविष्य है. 2050 तक 10 अरब लोग इस महत्वपूर्ण संसाधन पर निर्भर होंगे. फिर भी हम हर सेकेंड भूमि क्षरण के कारण चार फुटबॉल मैदानों के बराबर खो रहे हैं." 

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