चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र की पुलिस महानिदेशक (DGP) रश्मि शुक्ला का तुरंत तबादला करने का आदेश दिया है. विपक्ष, खासकर कांग्रेस पार्टी की शिकायतों के बाद ये फैसला लिया गया है. महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने DGP के कार्यों पर कई बार सवाल उठाए थे और उनकी निष्पक्षता पर गंभीर आरोप लगाए थे. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से कुछ ही हफ्ते पहले चुनाव आयोग का यह फैसला राज्य की पुलिस व्यवस्था में बड़ा बदलाव लेकर आया है. कांग्रेस सहित विपक्षी नेताओं की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव रश्मि शुक्ला को पद से हटाने और वरिष्ठतम IPS अधिकारी को प्रभार सौंपने का निर्देश दिया है.
चुनाव आयोग के इस एक्शन के बाद नाना पटोले की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने चुनाव आयोग का धन्यवाद किया और साथ-साथ सवाल उठाया कि महाराष्ट्र की डीजीपी को बदलने में इतना समय क्यों लगा? नाना पटोले ने आरोप लगाया कि रश्मि शुक्ला एक आईपीएस अधिकारी होते हुए भी भाजपा को समर्थन देने का काम कर रही थीं और विपक्ष के नेताओं की फोन टैपिंग जैसी गतिविधियों में लिप्त थीं. उन्होंने कहा कि इतनी शिकायतों के बावजूद, आयोग ने कार्रवाई करने में विलंब किया, जो गंभीर चिंता का विषय है। रश्मि शुक्ला की भूमिका पर विपक्ष पहले भी सवाल उठा चुका है.
कौन है रश्मि शुक्ला
- 1988 बैच की आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला राज्य की पहली महिला डीजीपी बनी थीं.
- इसी साल 4 जनवरी को उन्हें डीजीपी नियुक्त किया गया था.
- डीजीपी बनने से पहले वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में महानिदेशक (डीजी) की जिम्मेदारी संभाल रहीं थीं.
- वह जून महीने में सेवानिवृत्त हो रही थीं, लेकिन सरकार ने उन्हें एक्सटेंशन दे दिया था.
- रश्मि शुक्ला का नाम महाविकास अघाड़ी (एमवीए) नेताओं के फोन टेप करने के मामले में घसीटा गया था.
- हालांकि इस मामले में उन्हें क्लीन चिट मिल गई थी.
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पहले ही राज्य के अधिकारियों को निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने पर जोर दिया था. ताकि किसी भी तरह का पक्षपात न हो. लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने DGP शुक्ला के कामकाज को लेकर आयोग के सिद्धांतों के खिलाफ आरोप लगाए थे.
मुंबई पुलिस कमिश्नर को बनाया गया कार्यवाहक DGP
तबादले के बाद मुंबई पुलिस कमिश्नर विवेक फंसालकर को महाराष्ट्र के कार्यवाहक DGP का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. जब तक कि नए DGP की नियुक्ति नहीं हो जाती. इसके साथ ही मुख्य सचिव को निर्देश दिए गए हैं कि वे 5 नवंबर तक तीन वरिष्ठ IPS अधिकारियों की सूची प्रस्तुत करें, जिससे स्थायी DGP का चयन किया जा सके.
विपक्ष के नेता, विजय वडेट्टीवार ने कहा कि हम चुनावों के दौरान एक निष्पक्ष प्रशासन की आवश्यकता पर जोर देते आए हैं. उम्मीद है कि यह बदलाव पारदर्शिता और निष्पक्षता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.
बीजेपी ने चुनाव आयोग के इस फैसले को महिला अधिकारी को टारगेट करने और परेशान करने का तरीका बताया है. उनका मानना है कि इस कदम का असर सीधे चुनाव पर पड़ेगा और इसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है.
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