महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में 2022 में 1,023 किसानों ने आत्महत्या की, जो पिछले वर्ष 887 थी. डिविजनल कमिश्नर कार्यालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. जालना, औरंगाबाद, परभणी, हिंगोली, नांदेड़, लातूर, उस्मानाबाद और बीड जिलों में 2001 में एक किसान ने आत्महत्या की थी. डिविजनल कमिश्नर कार्यालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2001 के बाद से अब तक इस क्षेत्र के आठ जिलों में 10,431 किसानों ने अपना जीवन समाप्त कर लिया है.
कभी सूखे जैसी स्थिति और कभी अत्यधिक बारिश
आंकड़ों के अनुसार, 2001 और 2010 के बीच, 2006 में सबसे अधिक 379 किसान आत्महत्याएं दर्ज की गईं. 2011-2020 के दशक में, 2015 में सबसे अधिक 1,133 किसान आत्महत्याएं दर्ज की गईं. एक अधिकारी ने कहा कि 2001 के बाद से आत्महत्या करने वाले 10,431 किसानों में से 7,605 को सरकारी मानदंडों के अनुसार सहायता भी मिली थी. सामाजिक कार्यकर्ताओं और अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में, इस क्षेत्र में कभी सूखे जैसी स्थिति और कभी अत्यधिक बारिश देखी गई, जिसने किसानों की कठिनाइयों को बढ़ा दिया. क्षेत्र में सिंचाई नेटवर्क का भी पूरी क्षमता से उपयोग नहीं किया जा रहा है.
दिसंबर और जून के बीच आत्महत्याएं
जिला प्रशासन के सहयोग से उस्मानाबाद में किसानों के लिए एक परामर्श केंद्र चलाने वाले विनायक हेगाना ने किसान आत्महत्याओं का विश्लेषण करते हुए सूक्ष्म स्तर पर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा, "शीर्ष स्तर पर नीतियां तैयार की जा रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन में सुधार किया जा सकता है." इससे पहले जुलाई और अक्टूबर के बीच सबसे ज्यादा किसान आत्महत्याएं दर्ज की गई थीं, लेकिन अब पैटर्न बदल गया है. उन्होंने कहा, " दिसंबर और जून के बीच संख्या बढ़ रही हैं." आत्महत्या पर अंकुश लगाने की नीतियों पर हेगाना ने कहा, " इन नीतियों में खामियां ढूंढना और उन्हें बेहतर बनाना एक सतत प्रक्रिया होनी चाहिए और ऐसे लोगों का एक समूह होना चाहिए, जो इस पर काम कर सकें."
उच्च दरों पर बेचे जा रहे घटिया बीजों और उर्वरक : दानवे
संपर्क किए जाने पर, महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा, “हालांकि, किसानों के लिए कई बार कर्जमाफी हुई है, फिर भी आत्महत्या के आंकड़े बढ़ रहे हैं. जब हम उनका कर्ज माफ करते हैं, तो हमें यह भी देखना होता है कि उनकी फसल की उपज को भी अच्छा रिटर्न मिले. दानवे ने उच्च दरों पर बेचे जा रहे घटिया बीजों और उर्वरकों की चिंताओं पर भी प्रकाश डाला." उन्होंने कहा,ये कृषि क्षेत्र के लिए हानिकारक हैं." दानवे ने कहा, "इन कृषि संसाधनों की गुणवत्ता अच्छे स्तर की होनी चाहिए, जो सबसे महत्वपूर्ण है." इस मामले में प्रतिक्रिया के लिए महाराष्ट्र के कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार से संपर्क नहीं हो सका.
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