मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिए पंचायत चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. इसके बाद सरपंच और पंच के पदों पर महिलाएं चुनकर भी आईं, लेकिन सिर्फ नाम के लिए. क्योंकि पंचायत चुनाव में जीतकर आईं महिलाओं की जगह पर उनके पति, पिता, देवर शपथ ले रहे हैं. जबकि पंचायत अधिनियम में यह नियम विरुद्ध है. राज्य की कई पंचायतों में लोकतंत्र का मज़ाक बना. सागर जिले की जैसीनगर ग्राम पंचायत में 20 वार्ड हैं. 10 वार्डों से महिला पंच चुनकर आई हैं. लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में सिर्फ 3 महिला पंच ही शामिल हुईं. बाकियों के पति, पिता और देवर शपथ लेने पहुंचे और उन्हें शपथ भी दिला दी गई. वहां मौजूद पंचायत सचिव आशाराम साहू ने कहा महिलाएं अतिआवश्यक कार्य आ जाने के कारण उनके प्रतिनिधि उपस्थित हुए हैं, हमने बार बार सूचना दी उन्होंने आने को कहा फिर भी नहीं.
दमोह के गैसाबाद ग्राम पंचायत में नव निर्वाचित महिला सरपंच और महिला पंच के शपथ ग्रहण समारोह में पंचायत सचिव धुन सिंह ने निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की जगह उनके पतियों को शपथ दिला दी, गैसाबाद पंचायत में अनुसूचित जाति की ललिता अहिरवार सरपंच चुनी गई, उनकी जगह पति विनोद अहिरवार ने शपथ ली है. 11 महिला पंच भी निर्वाचित हुई हैं. पंचायत में 20 सदस्य है, जिसमे 11 महिलाएं एवं 9 पुरुष पंच पद पर चुने गए हैं. 11 पंच महिलाओं की जगह उनके पतियों ने ही शपथ ले ली इस शपथ ग्रहण समारोह में एक भी निर्वाचित महिला नहीं पहुंची.
इस मामले में ज़िला पंचायत सीईओ अजय श्रीवास्तव ने कहा वहां नियम विरूद्ध काम हुआ है, सीईओ जनपद को बताया गया तो फिर सही से शपथ दिलवाई गई है, हमने विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट मिलते ही संबंधित सचिव के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
पन्ना जिले के मधपुरा में सरपंच बनीं आराधना सिंह, शपथ ले रहे हैं उनके पति हाकम सिंह. पति शपथ ले रहे हैं और चुनी हुई सरपंच घूंघट में किनारे बैठी हैं. निकाय चुनाव में जीत का दावा कर जमकर पटाखे चलाने वाली बीजेपी कह रही है निकाय चुनाव पार्टी नहीं व्यक्तिगत आधार पर लड़े जाते हैं, वहीं कांग्रेस ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाये हैं. मध्यप्रदेश बीजेपी के सचिव रजनीश अग्रवाल ने कहा सरपंचों के चुनाव त्रिस्तरीय चुनाव दलगत आधार पर नहीं होते, व्यक्तिगत आधार पर लड़ा जाता है, इसमें संबंधित अधिकारी ही बता सकते हैं. बीजेपी या सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है.
वहीं पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने कहा ये देश का अलग तरह का लोकतंत्र है, जहां विधायकों, सांसदों, जन प्रतिनिधियों की मंडियां लगने लगी हैं, बोलियां लगने लगी हैं. मध्यप्रदेश में इसका अलग तरह का उदाहरण है जहां जनपद खरीदे गये 25 लाख में, जिला पंचायत 2 करोड़ में , पंच खरीदे गये 5 लाख में, पति ने शपथ ले ली पत्नी की जगह ये मेरे मध्यप्रदेश में संभव है, शिवराज के राज में संभव है देश के लोकतंत्र की कैसे हत्या की जाती है उसके उदाहरण यहीं मिलेगी यहीं से निकलकर पूरे देश में जा रही है. इस मामले में हम जवाब मांगने राज्य चुनाव आयोग पहुंचे तो पंचायत विभाग का पता दिया गया, पंचायत विभाग में जवाब देने कोई मिला नहीं, खैर जवाब तो यही है कि सरकारी तंत्र ने लोकतंत्र का ही मजाक बना दिया है.
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