विज्ञापन
This Article is From Jun 02, 2020

आरटीआई के मामलों में वीडियो कॉल पर सुनवाई, व्हाट्सऐप पर आदेश और एक ही दिन में अमल!

मध्यप्रदेश में आरटीआई (RTI) के केसों में नया प्रयोग, पहली बार वीडियो कॉल के जरिए सुनवाई की गई और व्हाट्सऐप पर आदेश जारी हुआ

आरटीआई के मामलों में वीडियो कॉल पर सुनवाई, व्हाट्सऐप पर आदेश और एक ही दिन में अमल!
प्रतीकात्मक फोटो.
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
मध्यप्रदेश में पहली बार मोबाइल फोन पर केस की सुनवाई
प्रदेश में सूचना के अधिकार की 7000 अपीलें लंबित हैं
दो महीने से काम ठप होने से मोबाइल फोन पर सुनवाई शुरू की
भोपाल:

मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने पहली बार मोबाइल फोन के जरिए वीडियो कॉल पर आरटीआई (RTI) के लंबित मामलों की सुनवाई शुरू की है. सोमवार को प्रयोग के तौर पर सुने गए मामलों के आदेश भी दो घंटे के भीतर व्हाट्सऐप पर भेजे गए. उमरिया के एक प्रकरण में तो आदेश पहुंचने के पहले ही आवेदक को जानकारी मिल गई. लॉकडाउन के चलते दो महीने सुनवाइयां नहीं हो पाईं. अभी भी यातायात पूरी तरह बहाल होने के आसार नहीं हैं. लोगों में बाहर जाने का डर बाद में भी बना रहेगा. इसी वजह से आयोग ने यह शुरुआत की है.

सूचना आयोग में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सीमित सुविधा को देखते हुए यह संभव नहीं था कि नियमित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हो सके. इसलिए पहली बार मोबाइल पर वीडियो कॉल के जरिए दूर के दो जिलों उमरिया और शहडोल की लंबित अपीलों पर सुनवाई की गई. सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाने वालों और उनके विभागों के लोक सूचना अधिकारियों को सबसे पहले इसके लिए तैयार किया गया. दोनों पक्षों की सहमति मिलने के बाद व्हाट्सऐप पर ही उन्हें सुनवाई का सूचना पत्र दिया गया. सोमवार को पहले दो मामलों की सुनवाई के बाद निराकरण किया गया और इसका फैसला भी हाथों-हाथ व्हाट्सऐप के जरिए भेजा गया, जो डाक से उन्हें बाद में मिलेगा. 

आयोग ने फैसले में लिखा है कि कोरोना महामारी के कठिन समय में सरकारी कामकाज में नई तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ाना चाहिए. यही इस वैश्विक संकट में हमारा सबक है कि हम रोजमर्रा के काम में तकनीक का इस्तेमाल करें. इससे सुनवाई के लिए लंबी यात्रा का समय और खर्च दोनों ही बचाए जा सकते हैं.

मध्यप्रदेश में आरटीआई के करीब सात हजार केस लंबित हैं और हर महीने औसत 400 नई अपीलें आती हैं. लोक सूचना अधिकारियों को यह हिदायत दी गई है कि जितना संभव हो आवागमन से बचने के लिए मामलों को फौरन निपटाएं. चाही गई जानकारियां दें. अनावश्यक रूप से सुनवाइयों में भोपाल आने की स्थिति में कोरोना से वे भले ही सुरक्षित रहेंगे, लेकिन 25 हजार रुपये की पेनाल्टी से नहीं बच पाएंगे, क्योंकि जानकारी देने की 30 दिन की समय सीमा पहले ही समाप्त हो चुकी है. अपीलार्थियों से भी कहा गया है कि वे चाही गई देने योग्य जानकारी लें, प्रकरणों को लंबा न खींचें.

उमरिया के केस में आवेदक शशिकांत सिंह ने शिक्षा विभाग में एक ही बिंदु पर शिक्षकों के रिक्त पदों की जानकारी अक्टूबर 2019 में मांगी थी, जो 30 दिन की समय सीमा में उन्हें नहीं दी गई. सोमवार को सुनवाई में लोक सूचना अधिकारी उमेश धुर्वे को तत्काल यह जानकारी देने का आदेश किया गया. दोपहर बाद आदेश की प्रति व्हाट्सऐप पर भेजी गई. लेकिन तब तक आवेदक शिक्षा विभाग के कार्यालय पहुंचे और उन्हें जानकारी मिल चुकी थी. उन्होंने बाद में कहा कि मामलों को टालने की आम प्रवृत्ति है. अधिकारी जानकारी देने से बचते हैं. लोग बिलावजह परेशान होते हैं.

शहडोल के केस में स्थानीय निवासी जगदीश प्रसाद ने तीन बिंदुओं की जानकारी शिक्षा विभाग से नवंबर 2019 मांगी थी. यह निजी स्कूलों की मान्यता और शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता से संबंधित जानकारी थी. प्रथम अपील अधिकारी के आदेश का भी इसमें पालन नहीं किया गया था. दो बिंदुओं से संबंधित दस्तावेज सुनवाई के दौरान ही उपलब्ध कराए गए. लेकिन अपीलार्थी ने कहा के वे एक साथ पूरी जानकारी लेना चाहेंगे. आयोग ने आदेश दिया कि एक महीने के भीतर पूरी जानकारी दी जाए.

मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी का कहना है कि "स्मार्ट फोन सबके पास हैं. सोशल मीडिया पर ज्यादातर यूजर हैं. आपात स्थिति में व्हाट्सऐप एक आसान विकल्प है. वीडियो कॉल पर सुनवाई का पहला अनुभव आशाजनक है. लोक सूचना अधिकारियों को आदेशित किया गया है कि वे लंबित मामलों को निपटाएं. सुनवाई का इंतजार ही न करें. चूंकि 30 दिन की समय सीमा वे पार कर चुके हैं इसलिए पेनाल्टी के दायरे में हैं. मुझे खुशी है कि लोक सूचना अधिकारियों ने पूरी तैयारी के साथ सुनवाई में हिस्सा लिया.'

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com