विज्ञापन

मध्य प्रदेश में OBC समुदाय को मिलेगा बढ़े आरक्षण का लाभ? सुप्रीम कोर्ट ने लिया अहम फैसला

यह याचिका मध्य प्रदेश में ओबीसी समुदाय के सदस्यों द्वारा दायर की गई है. इसमें 2019 में मध्य प्रदेश विधानसभा द्वारा पारित उस कानून को लागू करने की मांग की गई है, जिसमें ओबीसी कोटा 14% से बढ़ाकर 27% किया गया है.

मध्य प्रदेश में OBC समुदाय को मिलेगा बढ़े आरक्षण का लाभ? सुप्रीम कोर्ट ने लिया अहम फैसला
नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों के लिए 27% आरक्षण कोटा लागू किए जाने की उम्मीद जगी है. इससे जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट तत्काल सुनवाई के लिए राजी हो गया है. जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की आंशिक कार्यदिवस पीठ (partial working day bench) ने याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करने पर सहमति जताई है.

14% से 27% किया था OBC कोटा

यह याचिका मध्य प्रदेश में ओबीसी समुदाय के सदस्यों द्वारा दायर की गई है. इसमें 2019 में मध्य प्रदेश विधानसभा द्वारा पारित उस कानून को लागू करने की मांग की गई है, जिसमें ओबीसी कोटा 14% से बढ़ाकर 27% कर दिया गया है.

याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा एमबीबीएस छात्रों को पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए दिए गए स्टे का हवाला देकर राज्य सरकार ओबीसी के बढ़े हुए कोटा का फायदा देने से इनकार कर रही है.

कांग्रेस पार्टी लेकर आई थी अध्यादेश

कांग्रेस पार्टी कहती रही है कि 2019 में उसकी सरकार ने ओबीसी कोटा 14% से बढ़ाकर 27% करने का इंतजाम किया था. लेकिन मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार पर 'कानूनी अड़चन' का हवाला देते हुए इस कानून को जानबूझकर लागू नहीं कर रही है.

8 मार्च 2019 को एक अध्यादेश लाया गया था जिसमें शिक्षण संस्थानों में नौकरियों और प्रवेश में ओबीसी कोटा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का प्रावधान था. हालांकि बाद में एमबीबीएस छात्रों की याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पोस्ट ग्रेजुएशन मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट के लिए अध्यादेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी. इसके बाद जुलाई 2019 में राज्य विधानसभा ने अध्यादेश की जगह लेने के लिए कानून पारित कर दिया.

आरक्षण पर इस तरह फंसा पेंच

  • 2019 से पहले एमपी में ओबीसी के लिए 14%, एसटी के लिए 20% और एससी के लिए 16% आरक्षण था. कुल आरक्षण 50% था. 
  • ओबीसी कोटा बढ़ाने से कुल आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा को पार करके 63 प्रतिशत हो गया.
  • 19 मार्च 2019 को हाईकोर्ट ने ओबीसी में आरक्षण की सीमा बढ़ाने पर रोक लगा दी। 
  • इसके कारण राज्य में संचालित कई भर्ती प्रक्रियाओं को निलंबित कर दिया गया. 
  • बाद में एक फार्मूला पेश किया गया, जिसमें 87 प्रतिशत मौजूदा आरक्षण और 13 प्रतिशत रिजर्व्ड सीट शामिल थीं.
  • इस फार्मूले में 13 प्रतिशत सीटों को तब तक अलग रखने का नियम था, जब तक अंतिम फैसला न हो जाए.
  • 2024 में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने से संबंधित सभी लंबित याचिकाओं को हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया. 
  • मामले पर अंतिम फैसला होने तक राज्य में 87:13 फॉर्मूले के आधार पर भर्तियां हो रही हैं.

याचिका में दी गई हैं ये दलील

राज्य के ओबीसी समुदाय के सदस्यों द्वारा दायर  याचिका में दावा किया गया है कि मध्य प्रदेश में 50% ओबीसी आबादी होने के बावजूद आरक्षण का कोटा केवल 14% है. याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश सरकार लगभग सभी भर्ती प्रक्रियाओं में इस संशोधन का लाभ देने में विफल रही है.

याचिका में दलील दी गई है कि इस कानून को न तो किसी अदालत में चुनौती दी गई और न ही इसके अमल पर अदालत द्वारा कोई रोक लगाई गई है. आरक्षण सीमा बढ़ाने पर मध्य प्रदेश के एडवोकेट जनरल कार्यालय की कानूनी राय के आधार पर अमल नहीं किया जा रहा है. हालांकि याचिका में यह भी कहा गया है कि विधानसभा द्वारा पारित कानून में संवैधानिकता का मामला होने का भी अनुमान है.
 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com