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This Article is From Mar 14, 2024

बिहार में चिराग को साथ रखने के लिए BJP ने क्यों लगाई पूरी ताकत...?

2021 में भतीजे चिराग पासवान के साथ बगावत करके एलजेपी को तोड़ने वाले पशुपति पारस अब हरियाणा में दुष्यंत चौटाला के साथ बीजेपी के छोड़े गए सहयोगियों की कतार में शामिल हो गए हैं. 

बिहार में चिराग को साथ रखने के लिए BJP ने क्यों लगाई पूरी ताकत...?
चिराग पासवान की पार्टी का हुआ एनडीए से गठबंधन, 5 सीटों पर लड़ेंगे

बिहार (Bihar Loksabha elections 2024) में चिराग पासवान (Chirag Paswan) बनाम चाचा पशुपति पारस की बात आई तो चुनाव से कुछ हफ्ते पहले आखिरकार बीजेपी ने बड़ा फैसला लेते हुए एक पक्ष चुन लिया है. भले ही इससे नीतीश कुमार की नाराजगी मोल लेनी पड़ी हो, जो हाल ही एनडीए गठबंधन में वापस लौटे हैं.  बीजेपी ने चिराग पासवान की पांच सीटों की मांग मान ली है, जिसमें हाजीपुर सीट भी शामिल हैं, जहां से उनके पिता रामविलास पासवान 7 बार निर्वाचित हुए थे और 2019 में जहां से उनके चाचा पशुपति पारस ने जीत हासिल की थी.

बिहार में एनडीए गठबंधन की लड़ाई में बीजेपी ने बढ़त ले ली है. वह 40 में से 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी एक-एक सीट पर चुनाव लड़ेंगे.

2021 में भतीजे चिराग पासवान के साथ बगावत करके एलजेपी को तोड़ने वाले पशुपति पारस अब हरियाणा में दुष्यंत चौटाला के साथ बीजेपी के छोड़े गए सहयोगियों की कतार में शामिल हो गए हैं. 

बीजेपी और चिराग पासवान के बीच लंबे समय तक चली बातचीत के बाद बात बनी है. इससे पहले लालू यादव की राजद की ओर से उन्हें 8 सीटों की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने 5 सीटों पर बीजेपी के साथ समझौता कर लिया.

बता दें कि बिहार में मेजर वोट शेयर नीतीश कुमार की पार्टी, लालू यादव की पार्टी और बीजेपी के साथ डबल डिजिट में है. पासवान की पार्टी का वोट शेयर का 6 प्रतिशत है, जो कि चिराग पासवान के साथ है, जिनके पिता राम विलास पासवान समुदाय के सबसे प्रभावशाली नेता है. 

एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी के बावजूद गठबंधन में चिराग पासवान ने अपनी मजबूत जगह बनाई. चिराग ने नीतीश को फोन भी नहीं किया और बीजेपी नेतृत्व ने बातचीत के बाद उनकी सीटों की मांग को मान लिया है, जिससे पशुपति पारस गुट बुरी तरह पिछड़ गया है. 

2021 में दो फाड़ हुई थी लोक जनशक्ति पार्टी
गौरतलब है कि रामविलास पासवान के निधन के बाद साल 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी दो हिस्सों में टूट गई थी. इसका एक धड़ा 'राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी' पशुपति कुमार पारस के साथ है, जबकि राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान के पास है. लोक जनशक्ति पार्टी को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में NDA में साझेदारी के तहत 6 सीटें मिली थीं. इन सभी 6 सीटों पर LJP की जीत हुई थी. पार्टी में टूट के बाद पशुपति कुमार पारस के साथ LJP के 5 सांसद हैं. वहीं, जमुई सीट से सांसद चिराग पासवान हैं. हालांकि, चिराग पासवान इसके बाद भी अपने धड़े LJP(R) को राम विलास पासवान की मूल पार्टी बताते हैं. उनके पास इसके लिए कई तर्क हैं. पिछले साल हुए नगालैंड विधानसभा चुनाव में पहली बार LJP(राम विलास) को 2 सीटों पर जीत मिली थी और वो 8 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. चिराग पासवान ने साल 2020 के बिहार विधानसभा में लोक जनशक्ति पार्टी को बिना किसी गठबंधन के चुनाव मैदान में उतारा था. उन चुनावों में पार्टी को केवल एक जीत मिली थी.

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