टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने के मामले में लोकसभा महासचिव ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है और महुआ मोइत्रा की याचिका का विरोध किया. लोकसभा महासचिव ने कहा कि निष्कासन के खिलाफ महुआ की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. ये याचिका भारत के संविधान की योजना के तहत स्वीकार्य विधायी कार्रवाई की न्यायिक समीक्षा की सीमा को पूरा नहीं करती है.
हलफनामे में कहा गया कि अनुच्छेद 122 एक ऐसी रूपरेखा की परिकल्पना करता है, जिसमें संसद को पहली बार में न्यायिक हस्तक्षेप के बिना अपने आंतरिक कार्यों और शक्तियों का प्रयोग करने की अनुमति है, क्योंकि संसद अपनी आंतरिक कार्यवाही के संबंध में संप्रभु है.
इसमें कहा गया कि प्रक्रिया में किसी भी अनियमितता का आरोप लगाकर संसद (और उसके घटकों) की कार्यवाही पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है. लोकसभा अपने समक्ष कार्यवाही की वैधता का एकमात्र न्यायाधीश है. संसद के लिए चुने जाने का अधिकार और संसद में बने रहने का अधिकार भाग III के तहत किसी भी अधिकार से जुड़ा नहीं है. संसद के प्रत्येक सदन और सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और प्रतिरक्षाएं ऐसी होंगी, जैसा कि परिभाषित किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सोमवार को सुनवाई टाल दी है. अब मामले की सुनवाई 6 मई को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने महुआ की संसद कार्रवाई में हिस्सा लेने की इजाजत देने की अर्जी ठुकरा दी थी. हालांकि मोइत्रा के निष्कासन के खिलाफ अर्जी का परीक्षण करने को सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया था. लोकसभा के महासचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
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