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This Article is From Apr 26, 2024

क्या है VVPAT और इसे लेकर क्यों है विवाद? SC ने इसे लेकर अपने फैसले में क्या कहा

VVPATs controversy : वोटर्स बैलेट यूनिट के जरिये उम्मीदवार को वोट देते हैं, वे VVPAT यूनिट पर 7 सेकंड तक एक पर्ची देख सकते हैं, जिसमें उक्त उम्मीदवार की पार्टी का चिह्न होता है. चूंकि, भारत में सीक्रेट वोटिंग सिस्टम है. इसलिए वोटर्स VVPAT पर्ची घर नहीं ले जा सकते.

क्या है VVPAT और इसे लेकर क्यों है विवाद? SC ने इसे लेकर अपने फैसले में क्या कहा
EVM पर आने वाली कुल लागत में प्रत्येक VVPAT पर 16000 रुपये शामिल है.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के दूसरे फेज की वोटिंग के बीच गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने VVPAT मामले पर सुनवाई की. अदालत ने बैलट पेपर से चुनाव कराने और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और VVPAT स्लिप की 100% क्रॉस-चेकिंग कराने से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दी हैं. इसके साथ ही VVPAT को लेकर कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. आइए जानते हैं क्या है  VVPAT और इसे लेकर क्यों है विवाद? सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT से जुड़ी याचिकाएं खारिज करते हुए क्या कहा?

VVPAT क्या होता है?
VVPAT का फुल फॉर्म वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (Voter Verifiable Paper Audit Trail)होता है. ये एक वोट वेरिफिकेशन सिस्टम है. इससे यह पता चलता है कि वोट सही तरीके से गया है या नहीं. EVM में एक बैलेट यूनिट, एक कंट्रोल यूनिट और एक VVPAT होती है. EVM पर आने वाली कुल लागत में प्रति बैलेट यूनिट पर 7900 रुपये, हर कंट्रोल यूनिट पर 9800 रुपये और प्रत्येक VVPAT पर 16000 रुपये शामिल हैं.

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कौन करता है VVPAT मैन्युफैक्चर?
VVPAT, बैलेट यूनिट और कंट्रोल यूनिट की मैन्युफैक्चरिंग पब्लिक सेक्टर की दो कंपनी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड करते हैं.

पहली बार कब हुआ इसका इस्तेमाल?
चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए निर्वाचन संचालन नियम 1961 में 2013 में संशोधन किया गया था, ताकि VVPAT मशीनों का इस्तेमाल किया जा सके. नगालैंड में नोकसेन विधानसभा सीट पर उपचुनाव (2013) में इनका पहली बार इस्तेमाल किया गया था.

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VVPAT कैसे करता है काम?
चुनाव में अधिक पारदर्शिता के लिए 2019 से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के 5 मतदान केंद्रों से VVPAT पर्चियों का मिलान EVM में पड़े मतों से किया जाता है. अब तक कोई विसंगित नहीं पाई गई है. वोटर्स बैलेट यूनिट के जरिये उम्मीदवार को वोट देते हैं, वे VVPAT यूनिट पर 7 सेकंड तक एक पर्ची देख सकते हैं, जिसमें उक्त उम्मीदवार की पार्टी का चिह्न होता है. चूंकि, भारत में सीक्रेट वोटिंग सिस्टम है. इसलिए वोटर्स VVPAT पर्ची घर नहीं ले जा सकते.

कब विवादों में आया VVPAT?
2019 के लोकसभा चुनावों से पहले VVPAT विवादों में आया था. तब 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने सभी EVM में से कम से कम 50 प्रतिशत VVPAT मशीनों की पर्चियों से वोटों के मिलान करने की मांग की थी. चुनाव आयोग पहले हर निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक EVM का VVPAT मशीन से मिलान करता था. इसके बाद कई टेक्नोक्रेट्स ने VVPAT की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे. 

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SC में कितने दाखिल की थी याचिकाएं?
कुछ टेक्नोक्रेट्स ने सभी EVM के VVPAT से वेरिफाई करने की मांग की याचिकाएं दायर की थी. इसके अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी. शीर्ष अदालत ने EVM के जरिये डाले गए मतों का VVPAT पर्चियों के साथ शत-प्रतिशत मिलान का अनुरोध करने वाली याचिकाएं खारिज कर दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले में सहमति वाले दो अलग-अलग फैसले सुनाये. इस मामले से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दीं, जिनमें बैलट पेपर से दोबारा चुनाव कराने के अनुरोध वाली याचिका भी शामिल है. 

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अदालत ने दिए कौन से निर्देश?
जस्टिस खन्ना ने अपने फैसले में निर्वाचन आयोग को मतदान के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में चिह्न ‘लोड' करने वाली स्टोर यूनिट्स को 45 दिनों के लिए ‘स्ट्रॉन्ग रूम' में सुरक्षित करने के निर्देश दिए. चूंकि कोई भी व्यक्ति परिणाम की घोषणा के 45 दिनों के अंदर निर्वाचन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर कर सकता है, इसलिए EVM और पर्चियां 45 दिनों के लिए सुरक्षित रखी जाती हैं, ताकि अदालत द्वारा रिकार्ड मांगे जाने पर उसे उपलब्ध कराया जा सके.

7 दिनों के अंदर करनी होगी ‘माइक्रो कंट्रोलर' के वेरिफिकेशन की अपील
शीर्ष अदालत ने EVM निर्माताओं के इंजीनियरों को यह अनुमति दी कि वे परिणाम घोषित होने के बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवारों के अनुरोध पर मशीन के ‘माइक्रो कंट्रोलर' को सत्यापित कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘माइक्रो कंट्रोलर' के वेरिफिकेशन के लिए अपील नतीजे घोषित होने के सात दिनों के भीतर किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए पहले फीस देनी होगी.

बेंच ने कहा, "अगर वेरिफिकेशन के दौरान यह पाया गया कि EVM से छेड़छाड़ की गई है, तो उम्मीदवार द्वारा दी गई फीस लौटा दी जाएगी."

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