भारत के एक शीर्ष अर्थशास्त्री और चुनाव विश्लेषक सुरजीत भल्ला ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में भाजपा इस बार बेहतर प्रदर्शन कर सकती है. 'How We Vote' नाम की बुक के लेखक भल्ला ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में कहा कि भाजपा को 330 से 350 सीटें मिल सकती हैं.
उन्होंने कहा, "आंकड़ों को देखते हुए भाजपा को खुद की दम पर 330 से 350 सीटें मिलने की उम्मीद है. ये आंकड़े केवल भाजपा के हैं, इसमें उनके सहयोगी दलों के नंबर शामिल नहीं हैं." उन्होंने कहा कि 2019 की तुलना में 5 से 7 फीसदी ज्यादा सीटें जीत सकती हैं.
चार दशक से भारत के चुनावों पर नजर रखने वाले अर्थशास्त्री ने कहा, "यह एक लहर वाला चुनाव हो सकता है. हर चुनाव में एक लहर की संभावना होती है. लेकिन यह एक लहर वाला चुनाव भी नहीं हो सकता."
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के लिए उन्होंने कहा कि उसे 44 सीटें मिल सकती हैं, या 2014 के चुनाव में मिली जीत से 2 प्रतिशत कम सीटें मिलने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा, "विपक्षी गठबंधन के साथ नेतृत्व की समस्या है. अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा मायने रखती है, नेतृत्व दूसरे नंबर पर है. और ये दोनों भाजपा के पक्ष में हैं. अगर विपक्ष ने एक ऐसे नेता का चयन किया होता जो जनता के बीच बड़े स्तर पर पकड़ रखता हो या पीएम मोदी से आधी लोकप्रियता भी रखता तो ये अनुमान लगाया जा सकता था कि स्थिति टक्कर वाली है."
उनका मानना है कि भाजपा को तमिलनाडु में कम से कम पांच सीटें मिलेंगी, जहां वह हमेशा एक कमजोर पार्टी रही है. भल्ला ने कहा, "मुझे हैरानी नहीं होगी, अगर तमिलनाडु में भाजपा पांच से अधिक सीटें हासिल कर ले या केरल में शायद एक या दो सीटें मिल जाएं."
उन्होंने इस संभावना को लेकर श्रेय लोगों के जीवन स्तर में सुधार को दिया. भल्ला ने कहा कि, "भारत में इस आधार पर वोट किए जाते हैं कि लोगों के जीवन में कितना सुधार हुआ है. यह एक मूल आधार है. यह जाति नहीं है, लिंग नहीं है, वे विभिन्न कारण नहीं हैं जिन्हें लोग जिम्मेदार मानते हैं, लेकिन यह बिल्कुल वही है जो बिल क्लिंटन ने 1992 में कहा था, 'यह अर्थव्यवस्था है, बेवकूफी.''
अर्थशास्त्री ने एनडीटीवी को बताया कि, "देश में एक प्रतिशत या 14 मिलियन लोग गरीबी की पुरानी परिभाषा के अनुसार गरीब हैं. हम जो कहते हैं वह यह है कि उनके जीवन में महत्वपूर्ण सुधार के कारण हमने विकास किया है, प्रति व्यक्ति खपत में सुधार हुआ है, जीवन में सुधार हुआ है. कुछ अर्थों में शायद एक चौथाई आबादी गरीब है. गरीबी अब सापेक्ष है, यह अब निरपेक्ष नहीं है.''
भल्ला ने कहा कि, "गरीब हमेशा हमारे साथ रहेंगे. अमीर हमेशा हमारे साथ रहेंगे. यह इस पर निर्भर करता है कि आप कैसे परिभाषित करते हैं कि गरीब कौन हैं? हम प्रति व्यक्ति प्रति दिन 1.9 डॉलर की विश्व बैंक की परिभाषा का उपयोग करते हैं. हम कह रहे हैं कि इसे दोगुना किया जाना चाहिए क्योंकि जीवन और अर्थव्यवस्था में सुधार हो.“
उन्होंने थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के डेटा को अविश्वसनीय बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने चुनावी सीजन के दौरान बीजेपी को निशाना बनाने के लिए सीएमआईई डेटा का चयनात्मक उपयोग करने के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया.
भल्ला ने कहा कि, "दुनिया में हर जगह, विपक्ष हमेशा कहेगा कि महंगाई अधिक है, नौकरियां बहुत कम हैं. लेकिन उदाहरण के लिए, भारत में 2019 की तुलना में बेरोजगार लोगों का प्रतिशत कम है."
उन्होंने कहा कि, "मैं (CMIE) के डेटा पर सवाल उठाने वाला एक मात्र व्यक्ति नहीं हूं. कई लेखकों ने कहा है. वे कह रहे हैं कि आज भारत में यमन और इराक की तुलना में कम महिला कार्यबल है, 10 फीसदी से भी कम? यही वह पॉइंट है जो मैं कहना चाहता हूं, यह बहुत बेतुका है. यह लोकप्रिय क्यों हो गया? क्योंकि विपक्ष इसे पसंद करता है. मुझे लगता है कि सीएमआईई डेटा दुनिया में किसी भी समय प्रकाशित सबसे अविश्वसनीय डेटा में से एक है."
लोकसभा चुनाव का दूसरा चरण 26 अप्रैल को है. चुनाव के बाकी चरण मई में होंगे. वोटों की गिनती 4 जून को होगी.
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