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Analysis: कितना अलग होगा मोदी सरकार का थर्ड टर्म? 'INDIA' के लिए क्या है मैसेज? संजय पुगलिया ने समझाया

BJP लोकसभा चुनाव में बहुमत के लिए 272 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है. NDA को 291 सीटों पर जीत मिली है. ऐसे में नरेंद्र मोदी को गठबंधन की सरकार चलाने होगी. NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया ने समझाया कि BJP को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में मोदी सरकार का थर्ड टर्म 2014 और 2019 के मुकाबले कितना अलग होगा:-

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Analysis: कितना अलग होगा मोदी सरकार का थर्ड टर्म? 'INDIA' के लिए क्या है मैसेज? संजय पुगलिया ने समझाया
पीएम मोदी तीसरी बार वाराणसी से सांसद चुने गए हैं. तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.
नई दिल्ली:

देश में 18वीं लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election Result 2024) के नतीजे करीब-करीब साफ हो गए हैं. 542 सीटों की काउंटिंग पूरी हो गई है. केंद्र में तीसरी बार नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में NDA की सरकार बनने जा रही है. लेकिन इस बार BJP बहुमत से दूर है, लिहाजा उसे गठबंधन के सहयोगियों पर निर्भर रहना होगा. नतीजों के मुताबिक, NDA को 291 सीटों पर जीत मिली. जबकि विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA (INDIA Alliance) को 234 सीटें मिल रही हैं. 2014 में BJP को 278 और 2019 में 303 सीटें मिली थीं. वहीं, नेहरू के बाद नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम बनने वाले दूसरे नेता होंगे. NDA बुधवार को सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है. उसने अपने घटकदलों की बुधवार को बैठक बुलाई है. पीएम ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और टीडीपी (TDP) नेता चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) को फोन कर बैठक के लिए बुलाया है.

चूंकि BJP लोकसभा चुनाव में बहुमत के लिए 272 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है. NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया ने समझाया कि BJP को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में मोदी सरकार का थर्ड टर्म 2014 और 2019 के मुकाबले कितना अलग होगा:-

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कितना अलग होगा मोदी सरकार का थर्ड टर्म?
ऐसी स्थिति में वक्त के मुताबिक और समय की मांग के हिसाब से कोई भी अच्छा राजनेता लचीलेपन का परिचय देगा. क्योंकि जब आप बड़े लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं, और आपको सरकार चलानी है तो आपको सोच कुछ बदलनी होगा. आपको देश की मांग को समझना होगा. इस बार देश की मांग निरंतरता और स्थायित्व है. इसके लिए गठबंधन सरकार के लीडर को सहयोगियों को साथ में लेकर चलना और उन्हें मैनेज करना दोनों आना चाहिए. इस केस में NDA की एक हिस्ट्री रही है. पीएम मोदी की भी एक हिस्ट्री रही है. कुछ लोग तर्क देते हैं कि सिंपल मैजॉरिटी नहीं मिलने पर BJP की निर्भरता NDA के सहयोगियों पर बढ़ गई है, इससे सरकार का स्वरूप बदल जाएगा. वास्तव में देखा जाए, तो ऐसा नहीं है. अगर आपकी नियत साफ है और जज्बा साफ है तो आप ऐसी सरकार चला लेंगे. क्योंकि ये तीसरी बार केंद्र में नरेंद्र मोदी को लाने का जनादेश है. INDIA की सरकार बनाने का जनादेश नहीं है.

ऐतिहासिक चुनाव का ऐतिहासिक जनादेश
भारत का लोकसभा चुनाव दुनिया के इतिहास में, लोकतांत्रिक देश के इतिहास में सबसे अहम चुनाव है. ये चुनाव ऐतिहासिक ही निकला है. इसका जनादेश भी ऐतिहासिक है. जो नंबर आए हैं, उसका कोल्ड एनालिसिस करें तो समझेंगे कि BJP और NDA की सरकार लौट रही है. मोदी सरकार की ये हैट्रिक है. केंद्र में तीसरी बार नरेंद्र मोदी की सरकार बनने जा रही है. इस चुनाव में सबसे बड़ा मैसेज इतिहास बनाना है. देश के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद ये पहली बार है, जहां एक स्पष्ट बहुमत के साथ किसी सरकार की वापसी हो रही है. इसमें नरेंद्र मोदी की रणनीति किस तरह से काम आई, इसे भी समझने की जरूरत है.

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JDS, नीतीश कुनार और नायडू के आने से फायदा
इसमें चुनाव के आखिरी दिनों का जिक्र भी जरूरी है. चुनाव के आखिरी दिनों में BJP JDS को लेकर आई. नीतीश कुमार को लेकर आई. चंद्रबाबू नायडू को लेकर आई. NDA में जो 3 नए सहयोगी आए, उसके नतीजे इलेक्शन रिजल्ट के तौर पर सामने है. इससे ये पता चलता है कि ग्राउंड रियालिटी, फील्ड वर्क और स्ट्रैटजी के आधार पर BJP कितने लचीलेपन के साथ खुद को मैनेज कर सकती है.

चुनाव नतीजे ने दिए ये 3 मैसेज
इस चुनाव के कई मैसेज हैं. पहला मैसेज- ये लोकसभा चुनाव बिल्कुल तीसरी बार की इंकमबेंसी का होने के बावजूद ऐसा स्पष्ट जनादेश कि हम सरकार को जारी रखना चाहते हैं. हम नीतियों को जारी रखना चाहते हैं. दूसरा-BJP की अब तक सिंगल और क्लियर मेजॉरिटी थी. उसके सामने एक गठबंधन सरकार के युग की शुरुआत हो गई है. इस तरह की सरकार 2014 के पहले तक देश में थी. तीसरा- गठबंधन सरकार के युग में दो लोग NDA की टेंप्रामेंट के साथ अच्छी तरह से कंफर्टेबल नजर आते हैं, वो हैं चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार. ये दोनों NDA के भरोसेमंद पार्टनर हैं. यानी मुलाकातों और फोन कॉल का दौर कुछ घंटों से ज्यादा चल नहीं पाएगा. इस चुनाव में एक बैलेंस का मैसेज भी है."

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विपक्ष के लिए भी सीख
इस चुनाव में विपक्ष के लिए खास मैसेज है. हारी हुई बाज़ी को कैसे जीतना है, ये मोदी से सीखिए. जहां जीत सकते हैं, उसको कैसे हार जाए. लास्ट बैच में कैसे हाफ जाए... ये अपोजिशन से सीखिए. ये जनादेश देश की जनता ने दिया है. विपक्ष के विरोधाभासों, आलस्य के बावजूद, कंफ्यूजन के बावजूद, कमजोर नैरेटिव के बावजूद जनता का फैसला है. इस चुनाव में विपक्ष के लिए ये मैसेज है कि उन्हें थोड़ा आलस कम करना चाहिए था. समय रहते एक्टिव होना चाहिए था. एकजुट होना चाहिए था. कंफ्यूजन को दूर करके मजबूत नैरेटिव पर काम करना चाहिए था. अगर INDIA वाले समय रहते फैसले लेते, तो शायद नंबर कुछ और हो सकता था. 

BJP ने ऐसे दी साइलेंट एंटी इंकमबेंसी को मात
पीएम मोदी अपनी नीतियों को लेकर हमेशा से फीडबैक लेते रहे हैं. ऐसा करके वो जमीनी हकीकत को समझते हुए आगे काम करना चाहते हैं. आप कल्पना करिए अगर ये तीन सहयोगी साथ नहीं होते, BJP की परिस्थिति और इस जनादेश का आउटकम कुछ और होता. गौर करने वाली बात ये भी है कि BJP हमेशा एक नए क्षेत्र की पहचान करती है और वहां काम करके उसे अपना बनाने की कोशिश करती है. ओडिशा में कुछ ऐसा ही हुआ. यहां विधानसभा चुनाव में BJP को पूर्ण बहुमत मिला है. BJP पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है. यानी फीडबैक, सोची-समझी रणनीति और जुझारूपन से BJP ने इस साइलेंट एंटी इंकमबेंसी को मात दी.

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