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राहुल को जीती बाजी हारना आता है! न करते वो जिद तो आज बन सकती थी सरकार

Lok Sabha Election Results 2024 : बिहार में आज भी ये बात सच होती दिख रही है कि नीतीश कुमार जिस पक्ष में होते हैं पलड़ा उसी का भारी होता है. अगर इंडिया गठबंधन ने उन्हें संभाल लिया होता को शायद आज वो केंद्र में सरकार बनाने की स्थिति में होता.

राहुल को जीती बाजी हारना आता है! न करते वो जिद तो आज बन सकती थी सरकार
नई दिल्ली:

बात 23 जून 2023 की है, जब पटना में 'इंडिया' अलायंस की पहली बैठक हो रही थी, बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन की इस मीटिंग के सूत्रधार थे. उन्होंने विभिन्न राज्यों में घूम-घूमकर विपक्ष के कई नेताओं को एकजुट किया था. तब ऐसा लग रहा था कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही अपोजीशन के सभी दल मिलकर नरेंद्र मोदी को चुनौती देंगे, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि इंडिया गठबंधन उन्हें संभाल नहीं पाई और अचानक नीतीश एनडीए के हो गए. कहा जाता है कि नीतीश कुमार राहुल गांधी के रवैये से नाराज हो गए थे.

17-18 जुलाई 2023 को बेंगलुरु में और फिर 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच मुंबई में इंडिया गठबंधन की अगली बैठक हुई थी. इस दौरान कई मुद्दों पर मंथन तो हुआ, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. नीतीश गठबंधन की इस सुस्त चाल से खफा थे. उनका कहना था कि अगर समय पर सभी मुद्दों पर सकारात्मक बातचीत होगी, तभी हम जनता के बीच अपना एजेंडा लेकर जा पाएंगे. नीतीश उस वक्त ये हुंकार भी भर रहे थे कि अगर हम सही तरीके से चुनाव लड़े तो बीजेपी 200 सीटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाएगी.
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नीतीश ने कई पार्टियों को किया एकजुट

ओडिशा में बीजेडी के नवीन पटनायक और तेलंगाना में बीआरएस के चंद्रशेखर को छोड़ दें तो लगभग सभी दल, जिनसे नीतीश कुमार ने मुलाकात की वो विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल हो गए.चाहे ममता बनर्जी की टीएमसी हो या अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी जो दल पहले के यूपीए गठबंधन में शामिल नहीं थी वो भी नए इंडिया अलायंस में शामिल हो गए. नीतीश ने सभी को एक सूत्र में बांधा, लेकिन कांग्रेस लीड अलायंस उन्हें अपने साथ बांधकर नहीं रख सकीं. कुछ ऐसे फैसले इसके कारण बने जो कांग्रेस के रुख के कारण समय से नहीं लिए जा सके.

इंडिया अलायंस की दो-तीन दौर की बैठक के बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव सामने आ गए. तीनों राज्यों में अकेले चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने इस दौरान इंडिया गठबंधन की किसी भी पार्टी को साथ नहीं लिया. यहां तक की सपा के एमपी में गठबंधन की पेशकश को भी कांग्रेस ने ठुकरा दिया, कांग्रेस को उस वक्त ऐसा लग रहा था कि इन तीन राज्यों में उसे किसी की जरूरत नहीं और खुद के दम पर वो यहां सरकारें बना रही है. कांग्रेस को ये भी लगा कि इन प्रदेशों में जीत के बाद इंडिया गठबंधन पर उसका वर्चस्व और बढ़ जाएगा और वो अपने हिसाब से अलायंस में फैसले ले सकते हैं. कांग्रेस के इसी रवैये से नीतीश कुमार नाराज हो गए और इंडिया अलायंस को बाय-बाय कह दिया. जेडीयू के सूत्रों का कहना था कि गठबंधन के सभी फैसले राहुल गांधी ले रहे थे और उनके रवैये के कारण ही बैठक में कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पा रही थी.
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नाराज होकर एनडीए के साथ हो लिए नीतीश

चुनाव से एन वक्त पहले नीतीश विपक्षी इंडिया गठबंधन में नाराजगी जताकर एनडीए के साथ हो लिए. उस समय उनके इस फैसले की काफी आलोचना हो रही थी. कहा गया कि जिसने सभी दलों को जोड़ा, जिन्होंने सत्ता और नरेंद्र मोदी के खिलाफ हुंकार भरी, आज वो ही एनडीए की गोद में बैठ गए. ऐसे में बिहार में कई बार गठबंधन बदलने के बाद नीतीश कुमार के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के साथ जाने को नीतीश कुमार की साख से जोड़ा जाने लगा.

कहा जाता है कि नीतीश कुमार राजनीति में कभी कच्ची गोलियां नहीं खेलते. शायद यही वजह है कि पिछले 19 साल से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने हुए हैं. नीतीश कुमार काफी अनुभवी नेता हैं, लंबी राजनीतिक जीवन में उन्होंने ऐसे कई कठिन दौर और उलटफेर देखे हैं. ऐसे में वो समझते हैं कि कब, कैसे और कहां कौन सी बाजी खेलनी है.

नीतीश होते साथ तो 'इंडिया' बना सकती थी सरकार

चुनाव से पहले बीजेपी ने जेडीयू से संपर्क किया या जेडीयू ने बीजेपी से, ये बीती बात हो गई, लेकिन आज की हकीकत ये है कि नीतीश कुमार ने एक बार फिर से साबित किया है कि बिहार में कोई है को 'नीतीशे कुमार हैं'. बिहार में आज भी ये बात सच होती दिख रही है कि नीतीश कुमार जिस पक्ष में होते हैं पलड़ा उसी का भारी होता है. अगर इंडिया गठबंधन ने उन्हें संभाल लिया होता को शायद आज वो केंद्र में सरकार बनाने की स्थिति में होता. कांग्रेस और राहुल गांधी को अब ये बात समझ आ भी रही होगी.

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