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This Article is From Sep 21, 2022

सुप्रीम कोर्ट में अगले सप्ताह से संविधान पीठ में मामलों की सुनवाई की होगी लाइव स्ट्रीमिंग

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई में मंगलवार को हुई फुल कोर्ट मीटिंग में लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करने का निर्णय लिया गया

सुप्रीम कोर्ट में अगले सप्ताह से संविधान पीठ में मामलों की सुनवाई की होगी लाइव स्ट्रीमिंग
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में होने वाली सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी (प्रतीकात्मक फोटो).
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
कानून के छात्र की एक याचिका पर शीर्ष अदालत ने लिया था फैसला
राष्ट्रीय महत्व के मामलों की लाइव-स्ट्रीमिंग की इजाजत दी थी
अदालत ने कहा था कि यह खुलापन "सूर्य की रोशनी" की तरह
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग (Live streaming) करने का फैसला लिया गया है. संविधान पीठ (Constitution Bench) के मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने अगले हफ्ते से लाइव स्ट्रीमिंग करने का फैसला लिया है. CJI यूयू ललित की अगुवाई में मंगलवार को फुल कोर्ट मीटिंग में यह निर्णय लिया गया. 

दरअसल 26 सितंबर, 2018 को  कानून के छात्र की एक याचिका पर शीर्ष अदालत के फैसले ने संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों की अदालती कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग की अनुमति दी थी. अदालत ने कहा था कि यह खुलापन "सूर्य की रोशनी" की तरह है जो "सर्वश्रेष्ठ कीटाणुनाशक" है. 

पिछले साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग जल्द ही शुरू हो सकती है. इसे सक्षम करने के लिए लॉजिस्टिक्स पर काम किया जा रहा है. न्यायमूर्ति रमना ने गुजरात हाईकोर्ट की कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग के वर्चुअल लॉन्च के दौरान कहा था, "सुप्रीम कोर्ट कुछ अदालतों की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करने के बारे में सोच रहा है." हाईकोर्ट लाइव हो गया है.

जस्टिस रमना ने कहा था कि वर्तमान में लोगों को मीडिया के माध्यम से अदालती कार्यवाही के बारे में जानकारी मिलती है. उन्होंने कहा था, "वास्तव में प्रसारण के एजेंटों द्वारा अदालतों की जानकारी को फ़िल्टर किया जा रहा है. इस प्रक्रिया में, कभी-कभी ट्रांसमिशन लॉस होता है. इसके कारण संदर्भ की अनुपस्थिति के कारण पूछे गए प्रश्नों और पीठ द्वारा की गई टिप्पणियों की गलत व्याख्या होती है. निहित स्वार्थ हैं, जो संस्था को शर्मिंदा करने या बदनाम करने के लिए इन गलत व्याख्याओं को बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं."

उन्होंने कहा था कि "सीधी पहुंच की कमी गलत धारणाओं के लिए जगह देती है. अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की औपचारिकता इस बीमारी का सबसे अच्छा इलाज है. सूचना के प्रसार के लिए कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग महत्वपूर्ण है जो अनुच्छेद 19 का एक पवित्र पहलू है." उन्होंने कहा था कि इस तरह की सीधी पहुंच के माध्यम से लोग पूरी कार्यवाही और न्यायाधीशों की राय के बारे में प्रत्यक्ष रूप से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. इससे "किसी भी शरारत के लिए बहुत कम जगह बचती है."

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