विज्ञापन
This Article is From Nov 28, 2013

लिव-इन रिश्तों से जन्मे बच्चों की रक्षा के लिए कानून बनाया जाए : सुप्रीम कोर्ट

लिव-इन रिश्तों से जन्मे बच्चों की रक्षा के लिए कानून बनाया जाए : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लिव-इन संबंध स्थापित करना न किसी तरह का अपराध है, और न ही ऐसा करना पाप है, लेकिन संसद को इस तरह के संबंधों में रह रही महिलाओं और उनसे जन्मे बच्चों की रक्षा के लिए कानून बनाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुर्भाग्य से लिव-इन संबंधों को नियमित करने के लिए वैधानिक प्रावधान नहीं हैं। मौजूदा कानूनों के तहत लिव-इन संबंध खत्म होने के बाद न विवाह की प्रकृति के माने जाते हैं, और न कानून में इन्हें मान्यता प्राप्त है।

न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने ऐतिहासिक फैसले में लिव-इन संबंधों को 'वैवाहिक संबंधों की प्रकृति' के दायरे में लाने के लिए दिशानिर्देश तय किए।

पीठ ने कहा, 'संसद को इन मुद्दों पर गौर करना है... अधिनियम में उचित संशोधन के लिए उपयुक्त विधेयक लाया जाए, ताकि महिलाओं और इस तरह के संबंधों से जन्मे बच्चों की रक्षा की जा सके, भले ही इस तरह के संबंध विवाह की प्रकृति के संबंध नहीं हों...'

पीठ ने कहा, 'लिव-इन संबंध या विवाह की तरह के संबंध न अपराध हैं, न पाप हैं, भले ही इस देश में सामाजिक रूप से ये अस्वीकार्य हों... शादी करना या नहीं करना या यौन संबंध रखना बिल्कुल व्यक्तिगत मामला है...' पीठ ने कहा कि विभिन्न देशों ने इस तरह के संबंधों को मान्यता देना शुरू कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून बनाए जाने की जरूरत है, क्योंकि इस तरह के संबंध टूटने पर महिलाओं को भुगतना पड़ता है। कोर्ट ने कहा, 'बहरहाल हम इन तथ्यों से मुंह नहीं मोड़ सकते कि इस तरह के संबंधों में असमानता बनी रहती है और इस तरह के संबंध टूटने पर महिला को कष्ट उठाना पड़ता है...'

पीठ ने भले ही कहा, 'लिव-इन संबंधों को भारत में स्वीकार नहीं किया गया, जबकि कई देशों में इसे मान्यता हासिल है...', लेकिन इसके साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि कानून विवाह-पूर्व यौन संबंधों को बढ़ावा नहीं दे सकता, और लोग इसके पक्ष एवं विपक्ष में अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com