बचपन से ही हम लोग सुनते आ रहे हैं कि जिस साल को 4 से भाग दिया जा सकेगा, वह हमेशा लीप वर्ष होगा, यानी उस साल की फरवरी में 28 नहीं, 29 दिन होंगे. मौजूदा साल 2024 को भी 4 से पूरा-पूरा भाग दिया जा सकता है, इसलिए इस साल की फरवरी में 29 दिन हैं, और आज 29 फरवरी है.
इस नियम के मुताबिक, हर शताब्दी वर्ष लीप वर्ष होना चाहिए, और वर्ष 2000 था भी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वर्ष 1700, 1800, 1900 शताब्दी वर्ष होते हुए भी लीप वर्ष नहीं थे. मज़े की बात यह है कि इन्हें 4 से भी पूरा-पूरा भाग दिया जा सकता है, लेकिन फिर भी इन्हें लीप वर्ष नहीं बनाया गया था.
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क्यों सभी शताब्दी वर्ष नहीं होते लीप ईयर
दरअसल, धरती के सूर्य की परिक्रमा करने में 365 दिन से कुछ घंटे ज़्यादा लगते हैं, और हर चार साल में हम एक दिन अपने कैलेण्डर में जोड़ लेते हैं, ताकि गणना में गड़बड़ी न हो, लेकिन ध्यान रखें, पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाने में जितना समय लिया करती है, उसके लिहाज़ से हर चार साल में एक दिन जोड़ते चले जाने की वजह से लगभग 72 लीप चक्रों में तीन दिन अतिरिक्त मिल जाएंगे, और संतुलन बनाए रखने की खातिर हर चार सौ साल में तीन दिन कम करने के उद्देश्य से शताब्दी वर्ष को लीप वर्ष बनाने के लिए 4 के स्थान पर 400 से भाग देने का नियम बनाया गया.
आठ साल में भी आता है लीप वर्ष
एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इसी नियम की बदौलत हर चार साल में लीप वर्ष आने का नियम भी चुनिंदा शताब्दी वर्षों में बदल जाता है. वर्ष 1996 के चार साल बाद 2000 भी लीप वर्ष था, और उसके चार साल बाद 2004 भी लीप वर्ष ही था. लेकिन 1896 के बाद 1900 लीप वर्ष नहीं था, और फिर उसके बाद 1904 लीप वर्ष हुआ, सो, 1896 के बाद सीधा 1904 ही लीप वर्ष हुआ था, यानी लीप वर्ष आठ साल के अंतराल के बाद आया था.
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