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This Article is From Apr 18, 2024

कैसे बिहार से पंजाब आए मजदूर बन गए गैंगस्टरों के शार्पशूटर?

स्पेशल सेल  के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने पिछले साल 15 से 20 साल की उम्र के बीच गिरोह के कई लोगों को गिरफ्तार किया था. उन्हें बिहार, हरियाणा, राजस्थान या दिल्ली के ग्रामीण इलाकों से भर्ती किया गया था.

कैसे बिहार से पंजाब आए मजदूर बन गए गैंगस्टरों के शार्पशूटर?
नई दिल्ली:

अभिनेता सलमान खान (Salman khan) के घर के बाहर कथित तौर पर गोलीबारी करने वाले दो शूटरों की गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police Special Cell) और क्राइम ब्रांच, जो गिरोह की गतिविधियों पर नज़र रख रहे हैं, ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के सिंडिकेट के नए तौर-तरीकों को लेकर बड़ा खुलासा किया है.  गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई गैंग को लेकर अब तक माना जाता रहा था कि इस गिरोह के द्वारा नाबालिगों के अपने गैंग में शामिल करवाया जाता रहा है. हालांकि अब इस गैंग ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है.  केवल महत्वाकांक्षी युवाओं को टारगेट करने के बजाय अब बिश्नोई गैंग ने मोटे पैसे पर मजदूरों को लुभाना शुरू कर दिया है. 

सूत्रों के अनुसार मोटी रकम की संभावना से लुभाए गए ये मजदूर अनजाने में सिंडिकेट की भयावह योजनाओं में मोहरा बन जाते हैं. बदले में, उन्हें अमेरिका, दुबई या कनाडा में बैठे गिरोह के सदस्यों के आदेशों पर अपराध को अंजाम दिया है. 

कैसे हुआ खुलासा? 
गैंग की इस रणनीति का खुलासा दो शूटरों - 24 वर्षीय विक्की गुप्ता और 23 वर्षीय सागर पाल की गिरफ्तारी के बाद हुआ हुआ.  जो 14 अप्रैल को सलमान खान के आवास के बाहर गोलीबारी में शामिल थे और उन्हें मुंबई पुलिस और उसके संयुक्त अभियान में गुजरात के भुज से गिरफ्तार किया गया था. गुप्ता और पाल बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के महसी गांव के रहने वाले हैं और मजदूरी करने के लिए पंजाब गए थे. 

सूत्रों ने बताया कि दोनों को अपराध के लिए हरियाणा में एक सिंडिकेट सदस्य द्वारा 1 लाख रुपये और एक देशी पिस्तौल प्रदान की गई थी.  गैंगस्टर जीवन से आकर्षित पाल, हरियाणा में रहने वाले अपने भाई के माध्यम से अपराध सिंडिकेट के संपर्क में आया. उन्होंने कहा कि अपराध के बाद, गुप्ता और पाल हरियाणा में अपने कॉन्टेक्ट के साथ लगातार संपर्क में थे, जिन्हें मुंबई पुलिस ने भी हिरासत में लिया है. 

15-20 साल के युवाओं को गैंग में शामिल किया जा रहा है
स्पेशल सेल  के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने पिछले साल 15 से 20 साल की उम्र के बीच गिरोह के कई लोगों को गिरफ्तार किया था. उन्हें बिहार, हरियाणा, राजस्थान या दिल्ली के ग्रामीण इलाकों से भर्ती किया गया था. उन्होंने कहा कि इन अपरिपक्व किशोरों और पुरुषों को गिरोह के सदस्यों ने बहकाया और इंटरनेट के माध्यम से उनसे संपर्क किया. 

अधिकारी ने कहा, "युवाओं को एक विशिष्ट स्थान पर पहुंचने का निर्देश दिया गया था और नकाबपोश लोगों द्वारा उन्हें हथियार और साजो-सामान सहायता प्रदान की गई थी, ठीक उसी तरह जैसे अभिनेता के घर के बाहर गोलीबारी में शामिल शूटरों को बताया गया था. अधिकारी ने बताया, "अंतर्राष्ट्रीय सदस्यों के माध्यम से विदेश से काम करने वाला हैंडलर, भर्ती करने वालों और शूटरों सहित विभिन्न गिरोह के सदस्यों के साथ समन्वय करता था. सिंडिकेट कानून प्रवर्तन से बचने के लिए अक्सर फोन, सिम कार्ड और स्थान में परिवर्तन करता रहता है."

दिसंबर में हुई थी गिरफ्तारी
दिसंबर में, लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ गिरोह के दो शार्पशूटर को गिरफ्तार किया गया था. जिन्होंने पैसे वसूलने के लिए दिल्ली के पंजाबी बाग इलाके में शिरोमणि अकाली दल (SAD) पंजाब के पूर्व विधायक के आवास के सामने सात से आठ राउंड फायरिंग की थी, को गिरफ्तार किया गया था.  अदालत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की चार्जशीट के अनुसार, लॉरेंस बिश्नोई सिंडिकेट की मुख्य गतिविधियों में अपहरण,हत्या, फिरौती के लिए जबरन वसूली, अत्याधुनिक हथियारों और नशीले पदार्थों की सीमा पार तस्करी, प्रतिबंधित पदार्थों की अंतर्देशीय तस्करी और अवैध शराब की तस्करी शामिल है.

गैंगस्टर ने सीधे तौर पर किसी भी शूटर से बात नहीं की, बल्कि अपने करीबी सहयोगियों, जिनमें सतिंदरजीत सिंह उर्फ ​​​​गोल्डी बराड़ और अनमोल बिश्नोई शामिल थे, के माध्यम से उनसे काम करवाया जाता है. यह गैंग अमेरिका या कनाडा से काम कर रहा है. 

आतंकवाद रोधी एजेंसी ने कहा कि जांच से पता चला है कि सावधानीपूर्वक योजना बनाकर काम बांटा गया था और गिरोह के सदस्यों को अलग-अलग काम सौंपे गए थे. फंडिंग के मामले ज्यादातर लॉरेंस बिश्नोई, गोल्डी बराड़, जग्गू भगवानपुरिया और दरमनजोत काहलों द्वारा तय किए गए थे. 

बिश्नोई जेल के पीछे से पूरा ऑपरेशन को करता है कंट्रोल
आरोप पत्र में कहा गया है कि बिश्नोई जेल के पीछे से पूरा ऑपरेशन चला रहा था. वह जेल के अंदर से संचालन करने में इतना माहिर था कि उसने किसी भी मामले में जमानत के लिए आवेदन नहीं किया. यह भी पता चला है कि जबरन वसूली गतिविधियों के माध्यम से अर्जित धन का एक बड़ा हिस्सा था. विदेश में अपने सहयोगियों/परिवार के सदस्यों के उपयोग के लिए और खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों की गतिविधियों को वित्तपोषित करने के लिए कनाडा, अमेरिका, दुबई, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया में भेजा गया था. 

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