"धार्मिक तो हम भी हैं, लेकिन..." : अज़ान पर कर्नाटक के BJP विधायक के फिर बिगड़े बोल

कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री के.एस. ईश्वरप्पा का विवादों से पुराना नाता रहा है. इससे पहले भी उन्होंने एक विवाद को जन्म दिया था, जब उन्होंने 18वी सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान का ज़िक्र 'मुस्लिम गुंडा' कहकर किया था.

कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री के.एस. ईश्वरप्पा का विवादों से पुराना नाता रहा है...

बेंगलुरू:

कर्नाटक की भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता के.एस. ईश्वरप्पा ने नमाज़ अदा करने से पहले मस्जिदों से दी जाने वाली अज़ान को लेकर एक बार फिर विवादास्पद बयान दिया. ईश्वरप्पा के इस बयान से अज़ान विवाद के फिर ज़ोर पकड़ लेने की आशंका है, जो पिछले साल हाईकोर्ट तक पहुंच गया था.

पूर्व उपमुख्यमंत्री के.एस. ईश्वरप्पा एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे, तभी पास ही मौजूद एक मस्जिद से अज़ान सुनाई दी. इस पर वह बोले, "मैं जहां भी जाता हूं, इससे (अज़ान से) मेरे सिर में दर्द हो जाता है... सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने ही वाला है... आज नहीं तो कल, अज़ान का खात्मा ज़रूर होगा..."

इसके बाद कर्नाटक के पूर्व मंत्री ने सवाल किया कि क्या अल्लाह आपकी प्रार्थना तभी सुनेगा, जब अज़ान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने कहा, "मंदिरों में भी लड़कियां और महिलाएं प्रार्थना करती हैं, भजन गाती हैं... धार्मिक तो हम भी हैं, लेकिन हम लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करते..."

के.एस. ईश्वरप्पा का विवादों से पुराना नाता रहा है. इससे पहले भी उन्होंने एक विवाद को जन्म दिया था, जब उन्होंने 18वी सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान का ज़िक्र 'मुस्लिम गुंडा' कहकर किया था.

ईश्वरप्पा को पिछले साल एक कॉन्ट्रैक्टर की खुदकुशी के बाद मंत्री के तौर पर इस्तीफ़ा देना पड़ा था. कॉन्ट्रैक्टर ने अपने आखिरी संदेशों में ईश्वरप्पा को खुद की मौत के लिए 'पूरी तरह ज़िम्मेदार' बताया था, और इसी के चलते पुलिस केस में उनका नाम शामिल किया गया था.

अज़ान को लेकर भी ज़ोरदार विवाद काफी समय से चला आ रहा है, क्योंकि एक पक्ष का कहना है कि अज़ान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने से अन्य धर्मावलम्बियों को दिक्कत हो सकती है.

जुलाई, 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण के स्वास्थ्य संबंधी नकारात्मक असर का हवाला देते हुए सार्वजनिक आपातकाल की स्थितियों को छोड़कर सामान्य परिस्थितियों में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी. बाद में, अक्टूबर, 2005 में कोर्ट ने कहा कि त्योहारों के मौकों पर साल में 15 दिन के लिए लाउडस्पीकर को आधी रात 12 बजे तक इस्तेमाल किया जा सकेगा.

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पिछले साल कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई की थी, जिसमें दावा किया गया था कि अज़ान में बोले गए शब्दों से अन्य धर्मावलम्बियों की भावनाएं आहत होती हैं. इस पर हाईकोर्ट ने मस्जिदों के लिए किसी भी तरह का निर्देश जारी करने से इंकार करते हुए कहा था कि सहिष्णुता हमारे संविधान का चरित्र है. कोर्ट ने कहा था कि यह तर्क स्वीकार्य नहीं है कि अज़ान से अन्य धर्मावलम्बियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है.